फंदे से कम नहीं फर्जी लोन …? पांच हजार में बन जाते हैं ऐसे ऐप्स ..

भोपाल. फर्जी लोन ऐप्स जानलेवा साबित हो रहे हैं। सरकार के स्तर पर मॉनीटरिंग की पुख्ता व्यवस्था नहीं होने से आमजन लुट रहे हैं। कई बार तो प्रताड़ना इस हद तक होती है कि लोग जान दे देते हैं। इस तरह के ऐप महज 5 हजार रुपए में बन जाते हैं। इंदौर पुलिस की शुरुआती जांच में इसका पता चला है। अरबों रुपए के इस धंधे के मास्टर माइंड चीन में बैठे हैं। दुबई, हांगकांग, नेपाल और मॉरिशस से भी इनके तार जुड़े हैं। इन लोन ऐप्स के एजेंट भारत से क्रिप्टोकरेंसी और हवाला के जरिए पैसे हैं। फेसबुक पर ऐसे विज्ञापनों की भरमार है, जो इंस्टेंट लोन देने का झांसा देते हैं। इनमें लोगों को लुभावने ऑफर दिए जाते हैं और इन्हीं के चक्कर में फंस जाते हैं।

प्रतिष्ठा का होता है डर

पुलिस की परेशानी यह है कि सामाजिक प्रतिष्ठा के डर से पीड़ित लोग पैसा देना शुरू कर देते हैं। जब प्रताड़ना हद से ज्यादा होती है, तब पुलिस या साइबर सेल में शिकायत की जाती है, लेकिन तब तक देर हो चुकी होती है।

हाल ही में दिल्ली पुलिस ने लोन ऐप गिरोह का पर्दाफाश किया है। गिरफ्त में आए आरोपियों से पूछताछ में कई अहम खुलासे हुए हैं…

तुरंत (इंस्टेंट) लोन चाहने वाले लोग ऐसे ऐप्स को डाउनलोड करते हैं और केवाइसी के बाद ऐप को कॉन्टेक्ट, मैसेज और फोटो-वीडियो गैलेरी का एक्सेस दे देते हैं।

कुछ ही मिनटों में यूजर के बैंक खाते में पैसा आ जाता है। इसके बाद ऐप यूजर की डिटेल चीन भेजना शुरू कर देता है। डेटा कई मॉड्यूल्स के साथ साझा किया जाता है।

इसके बाद संबंधित व्यक्ति से पैसे ऐंठने का खेल शुरू होता है। उसे कई नंबरों से कॉल किया जाता है। ये नंबर फर्जी आइडी से हासिल किए जाते हैं।

संबंधित व्यक्ति की तस्वीरों के साथ छेड़छाड़ कर उसे ज्यादा पैसे देने के लिए मजबूर किया जाता है। ये रिकवरी एजेंट्स एक कॉल सेंटर से पूरा गिरोह संचालित करते हैं।

से ज्यादा लोग जान गंवा चुके हैं जनवरी से अब तक लोन ऐप के झांसे में फंसकर

22 फरवरी को पवनपुरी निवासी जितेंद्र वास्कले ने ऐप से लोन लिया था। फोन और वॉट्सऐप पर धमकी मिलीं तो परेशान होकर खुदकुशी कर ली थी।

लोन ऐप्स…..

लोन ऐप्स पर कार्रवाई कैसे?

लोन ऐप्लीकेशन बनाने वालों की पहचान कर संबंधित राज्य की पुलिस को सूचना देते हैं। भारत का मामला होता है तो संबंधित की गिरफ्तारी का प्रयास होता है।

पुलिस ने अब तक क्या किया?

दूसरे देश का मामला होने पर गृह मंत्रालय को सूचना देते हैं। ऐप को बैन करवाने के लिए मंत्रालय को पत्र भेजे हैं। भोपाल साइबर सेल से 200 ऐप हटवाए जा चुके हैं।

कहां से गिरोह संचालित हो रहे?

अभी तक की जांच में चीन, इंडोनेशिया, सिंगापुर, नेपाल सामने आए हैं। यहां इंटरनेट सर्वर के जरिए इन ऐप को बनाकर संचालित किया जा रहा है।

6 से 10 हजार तक का मिलता है इंस्टेंट लोन

इस तरह के मामलों में सबसे अहम जागरूकता ही है। परिजनों को ध्यान देने की जरूरत है। क्योंकि मौजूदा दौर में टीनएजर्स रुपयों के लिए इस तरह के ऐप डाउनलोड कर लेते हैं और फिर जाल में फंस जाते हैं। सरकार के स्तर पर मॉनीटरिंग की पुख्ता व्यवस्था होना चाहिए।

,साइबर एक्सपर्ट, भोपाल

केस 01

इंदौर के एक युवक ने बताया कि लोन चुकाने के बाद 40 से 45 प्रतिशत ब्याज वसूला जा रहा है। मोबाइल की कांटेक्ट लिस्ट को हैक कर उन नंबर पर अपशब्द कहते हैं।

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