24 घंटे भी फाइल नहीं चली…चुनाव आयुक्त की नियुक्ति पर SC में ऐसे हुए सवाल-जवाब

शीर्ष अदालत ने निर्वाचन आयुक्त और मुख्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम जैसी व्यवस्था बनाने का अनुरोध करने वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया और संबधित पक्षों से पांच दिन में लिखित जवाब देने को कहा.
सुप्रीम कोर्ट ने निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति में जल्दबाजी पर सवाल उठाए हैं. वहीं, केंद्र ने न्यायालय की टिप्पणियों का विरोध किया और अटॉर्नी जनरल ने कहा कि गोयल की नियुक्ति से जुड़े पूरे मामले पर विस्तारपूर्वक गौर किया जाना चाहिए. मामले की सुनवाई शुरू होने पर जस्टिस के एम जोसेफ की अगुवाई वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने निर्वाचन आयुक्त के तौर पर गोयल की नियुक्ति से जुड़ी मूल फाइल पर गौर किया और कहा कि यह किस तरह का मूल्यांकन है? हम अरुण गोयल की योग्यता पर नहीं बल्कि प्रक्रिया पर सवाल उठा रहे हैं.
यहां जाने सुप्रीम कोर्ट में चुनाव आयुक्त की नियुक्ति पर किस तरह सवाल उठे और कैसे उनका जवाब दिया गया

सवाल: जस्टिस जोसेफ ने नाराजगी जताते हुए कहा कि 18 तारीख को हम मामले की सुनवाई करते हैं, जिस दिन आप फाइल पेश करते हैं, उसी दिन पीएम कहते हैं कि मैं उनके नाम की सिफारिश करता हूं. यह जल्दबाजी क्यों? जस्टिस अजय रस्तोगी ने कहा कि आपके निवेदन के अनुसार, यह रिक्ति 15 मई को उपलब्ध हुई थी. क्या आप हमें दिखा सकते हैं कि 15 मई से 18 नवंबर तक आपने क्या किया? सरकार को क्या हो गया कि आपने यह नियुक्ति एक ही दिन में सुपरफास्ट कर दी? उसी दिन प्रक्रिया, उसी दिन निकासी, उसी दिन आवेदन, उसी दिन नियुक्ति. 24 घंटे भी फाइल नहीं चली है. बिजली की तेजी से नियुक्ति हुई?

जवाब: केंद्र ने अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमानी के जरिए इसका प्रतिवाद करते हुए पीठ से नियुक्ति प्रक्रिया से जुड़े पूरे मुद्दे पर विचार किए बगैर टिप्पणी न करने का पुरजोर अनुरोध किया. अटॉर्नी जनरल ने कहा कि मुझे यह सवाल खुद से पूछने दीजिए. कितनी नियुक्तियां इतनी तेजी से होती हैं.

सवाल: पीठ में शामिल जस्टिस अजय रस्तोगी ने वेंकटरमानी से कहा कि आपको अदालत को सावधानीपूर्वक सुनना होगा और सवालों का जवाब देना होगा. हम किसी उम्मीदवार पर नहीं बल्कि प्रक्रिया पर सवाल कर रहे हैं.

जवाब: इस पर अटॉर्नी जनरल ने कहा कि अदालत के सवालों का जवाब देना उनका दायित्व है.

सवाल: पीठ ने कहा कि 1985 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी गोयल ने एक ही दिन में सेवा से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली, एक ही दिन में कानून मंत्रालय ने उनकी फाइल को मंजूरी दे दी, चार नामों की सूची प्रधानमंत्री के समक्ष पेश की गई और गोयल के नाम को 24 घंटे के भीतर राष्ट्रपति से मंजूरी भी मिल गई. कानून मंत्री ने सूची में शामिल चार नामों में से किसी को भी सावधानीपूर्वक नहीं चुना जिससे कि वे छह साल का कार्यकाल पूरा कर पाते.

जवाब: वेंकटरमानी ने कहा कि चयन की एक प्रक्रिया तथा मापदंड है और ऐसा नहीं हो सकता कि सरकार हर अधिकारी का पिछला रिकॉर्ड देखे और यह सुनिश्चित करें कि वह छह साल का कार्यकाल पूरा करें. गोयल की नियुक्ति का हवाला देते हुए अटॉर्नी जनरल ने कहा कि उनका प्रोफाइल महत्वपूर्ण है न कि स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति, जिसे मुद्दा बनाया जा रहा है.

सवाल: जस्टिस जोसेफ ने कहा कि हमारे पास किसी व्यक्ति के खिलाफ कुछ भी नहीं है. यह व्यक्ति वास्तव में एकैडमिक रूप से उत्कृष्ट हैं, लेकिन हम नियुक्ति की संरचना से चिंतित हैं.

जवाब: अटॉर्नी जनरल ने कहा कि क्या कोई लेंस है? जिससे कार्यपालिका कहेगी कि यह व्यक्ति विनम्र है और फिर कोई कहेगा कि वह विनम्र नहीं है. आप कैसे न्याय करते हैं.

सवाल: जस्टिस जोसेफ ने कहा कि कृपया हमें बताएं कि इन चार नामों को कानून मंत्री ने कैसे चुना?

जवाब: एजी ने कहा कि तीन पहलू हैं. पहला कार्यकाल ताकि जिसे नियुक्त किया जाता है उसे चुनाव आयुक्त के रूप में कम से कम 6 साल का समय मिले.

सवाल: जस्टिस जोसेफ ने कहा कि कृपया हमें बताएं कि आप 4 नामों में कैसे आते हैं? वहीं जस्टिस रस्तोगी ने कही कि कैसे कानून मंत्रालय ने इन नामों को फिल्टर किया.

जवाब: एजी ने कहा कि शॉर्टलिस्टिंग वरिष्ठता, सेवानिवृत्ति आदि के आधार पर की जाती है.

पीठ ने कहा कि 1991 का कानून कहता है कि चुनाव आयुक्त का कार्यकाल छह साल का है और सरकार को यह सुनिश्चित करना होता है कि इस पद पर आसीन व्यक्ति निर्धारित कार्यकाल पूरा करें. शीर्ष न्यायालय ने कहा कि वह उन वजहों का पता नहीं लगा पा रहा है कि कानून मंत्री ने कैसे उन चार नामों का चयन किया जो निर्धारित छह साल का कार्यकाल पूरा नहीं करने वाले थे.

शीर्ष अदालत ने निर्वाचन आयुक्त और मुख्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम जैसी व्यवस्था बनाने का अनुरोध करने वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया और संबधित पक्षों से पांच दिन में लिखित जवाब देने को कहा.

अरुण गोयल को 19 नवंबर को निर्वाचन आयुक्त नियुक्त किया गया

निवार्चन आयुक्त के रूप में अरुण गोयल की नियुक्ति बुधवार को उच्चतम न्यायालय की पड़ताल के दायरे में आ गई, जिसने इस सिलसिले में केंद्र से मूल रिकार्ड तलब करते हुए कहा था कि वह (शीर्ष न्यायालय) जानना चाहता है कि कहीं कुछ अनुचित तो नहीं किया गया है. पंजाब कैडर के आईएएस अधिकारी गोयल को 19 नवंबर को निर्वाचन आयुक्त नियुक्त किया गया. वह 60 वर्ष के होने पर 31 दिसंबर को सेवानिवृत्त होने वाले थे. अपनी नई भूमिका संभालने के बाद गोयल मौजूदा सीईसी राजीव कुमार के फरवरी 2025 में सेवानिवृत्त होने के बाद अगले मुख्य निर्वाचन आयुक्त होंगे.

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