पुलिस कमिश्नर व्यवस्था लागू होने के बाद ये बदलाव होंगे ..!

आगरा-गाजियाबाद और प्रयागराज पुलिस की शक्तियां और अधिकार बढ़ेंगे, कानून व्यवस्था पर सीधे निर्णय लेंगे ..

कानून व्यवस्था को और मजबूत बनाने के लिए प्रदेश सरकार ने आगरा, गाजियाबाद और प्रयागराज में पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम लागू करने को मंजूरी दे दी है। ऐसे में मन में सवाल आता है कि पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम आखिर क्या है। इसका पुलिसिंग पर क्या असर पड़ता है। दरअसल जानकार बताते हैं कि इस व्यवस्था के लागू होने से पुलिस की शक्तियां बढ़ जाती हैं। कमिश्नर कानून व्यवस्था के मुद्दे पर सीधे निर्णय ले सकेंगे। किसी आयोजन की अनुमति भी कमिश्नर ही देंगे। निरोधात्मक कार्रवाई भी सीधे कर सकेंगे।

पुलिस कमिश्नर व्यवस्था लागू होने के बाद 44 थानों वाले आगरा महानगर में पुलिस के अधिकार और शक्तियां बढे़ंगी। शांति भंग में जेल भेजने के लिए आरोपी को मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश नहीं करना पडे़गा। गुंडा एक्ट, गैंगस्टर, संपत्ति जब्तीकरण, जिला बदर आदि की फाइल डीएम के पास अनुमति के लिए नहीं भेजनी पडे़गी। एसडीएम और एडीएम को दी गई एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट की शक्तियां पुलिस को मिल जाएंगी।

पुलिस को मिल जाएंगी ये शक्तियां

  • अब तक बड़े शहरों में ही यह व्यवस्था लागू थी। अब आगरा में भी यह व्यवस्था लागू होगी। इसके बाद शांति भंग और 107-116 की कार्रवाई में एसीपी की कोर्ट में पेश होना होगा। IPS अधिकारियों की संख्या बढ़ेगी। आपात स्थिति में कार्रवाई के लिए जिलाधिकारी सहित अन्य अधिकारियों के आदेश का इंतजार नहीं करना पड़ेगा।
  • पुलिस कमिश्नर खुद फैसला लेकर कार्रवाई के लिए निर्देशित कर सकेंगे।
  • प्रदर्शन, किसी आयोजन, रूट प्लान की अनुमति आदि के लिए जिलाधिकारी के पास नहीं जाना होगा।
  • दंगा होने की स्थिति में कितनी फोर्स लगाई जानी है। लाठीचार्ज करना है या नहीं, इसकी अनुमति भी नहीं लेनी पड़ेगी।
  • होटल, बार और हथियार के लाइसेंस देने का अधिकार भी पुलिस कमिश्नर के पास होगा
  • जमीन से संबंधित विवाद के निस्तारण के लिए भी अधिकार पुलिस के पास ही पहुंच जाएंगे।

इस व्यवस्था के बाद ये होंगे पुलिस के पद

  • पुलिस आयुक्त या पुलिस कमिश्नर (CP)
  • संयुक्त आयुक्त या ज्वाइंट कमिश्नर (JCP)
  • डिप्टी कमिश्नर (DCP )
  • सहायक आयुक्त (ACP )
  • पुलिस इंस्पेक्टर
  • सब इंस्पेक्टर

गाजियाबाद जिला 46 साल 11 दिन बाद पुलिस कमिश्नरेट घोषित

ये गाजियाबाद का घंटाघर है। इसे जिले का माइल स्टोन भी कहा जाता है।
ये गाजियाबाद का घंटाघर है। इसे जिले का माइल स्टोन भी कहा जाता है।

दिल्ली से सटा यूपी का जिला गाजियाबाद भी अब पुलिस कमिश्नरेट बनेगा। गुरुवार को UP सरकार कैबिनेट की बैठक में इसे मंजूरी मिल गई। कैबिनेट मंत्री एके शर्मा ने इसकी जानकारी देते हुए कहा, पहले पूरे जिले को मेट्रोपॉलिटिन शहर घोषित किया जाएगा, फिर वो पुलिस कमिश्नरेट बनेगा। लखनऊ-कानपुर की तरह पहले आउटर सिस्टम बनाने और फिर उसे खत्म करने के सवालों पर एके शर्मा ने स्पष्ट किया कि पूरा जिला ही पुलिस कमिश्नरेट होगा।

14 नवंबर 1976 को गाजियाबाद अलग जिला बना। पंडित जवाहर लाल नेहरू की जयंती पर तत्कालीन मुख्यमंत्री एनडी तिवारी ने इसे जिला घोषित किया था। इससे पहले ये मेरठ जिले का हिस्सा हुआ करता था। नोएडा की दादरी, हापुड़ की हापुड़ और गढ़मुक्तेश्वर तहसील भी पहले गाजियाबाद जिले का हिस्सा होती थीं। जब हापुड़ और नोएडा नए जिले बने तो गाजियाबाद की तीन तहसीलें उनमें चली गईं।

अब गाजियाबाद में तीन तहसील, चार ब्लॉक और 24 पुलिस स्टेशन हैं। गाजियाबाद की सीमाएं दिल्ली से सटी हैं, इसलिए इसे गेटवे ऑफ यूपी भी कहा जाता है। गाजियाबाद से मेरठ, नोएडा और दिल्ली एकदम सटे हुए हैं। गाजियाबाद में नगर निगम की स्थापना 31 अगस्त 1994 को हुई। नगर निगम का एरिया 220 वर्गकिलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। 2011 की जनगणना के हिसाब से जिले की आबादी 46 लाख 61 हजार 452 है।

गाजियाबाद ही क्यों, मेरठ क्यों नहीं?
गाजियाबाद राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) का सबसे महत्वपूर्ण जनपद है। दिल्ली एकदम सटी होने की वजह से तमाम उद्यमी यहां निवेश करना चाहते हैं। नोएडा को पहले ही पुलिस कमिश्नरनेट बनाया जा चुका है। गाजियाबाद में पहले से सड़क और ट्रेन के अलावा हवाई और मेट्रो की सुविधा मौजूद है। देश की पहली रैपिड रेल भी अगले साल गाजियाबाद में चलने वाली है। कुल मिलाकर यहां होने वाला डेवलपमेंट यूपी सरकार का आइना होता है।

जिन शहरों में सबसे ज्यादा औद्योगिक निवेश की संभावनाएं हैं, वहां उप्र सरकार कानून व्यवस्था को लेकर कोई ढिलाई नहीं चाहती। उद्यमियों को ये लगना चाहिए कि वे NCR में पूरी तरह सुरक्षित हैं। यही वजह है कि पहले नोएडा और अब उससे सटे गाजियाबाद को पुलिस कमिश्नरेट बनाने की मंजूरी दी गई है। कहने को मेरठ इससे बड़ा जिला है। मेरठ में पुलिस स्टेशन, तहसील, ब्लॉक ज्यादा हैं और क्षेत्रफल में भी बढ़ा है। माना जा रहा है कि अगली बार जब कुछ नए शहर पुलिस कमिश्नरेट बनेंगे, उनमें मेरठ का नाम हो सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *