ग्वालियर : न जाम से निजात, न फुटपाथ खाली, अफसरों की प्लानिंग फेल …?

न जाम से निजात, न फुटपाथ खाली, अफसरों की प्लानिंग फेल, मुसीबत बन रहा बाजारों में अस्थायी अतिक्रमण

शहर में स्वच्छता, सफाई और सुरक्षा के साथ ही बाजारों में सुगम यातायात के लिए हर सप्ताह में कम से कम एक बार बड़ी बैठक करके निर्देश दिए जा…

gwalior encroachment

न जाम से निजात, न फुटपाथ खाली, अफसरों की प्लानिंग फेल, मुसीबत बन रहा बाजारों में अस्थायी अतिक्रमण
ग्वालियर. शहर में स्वच्छता, सफाई और सुरक्षा के साथ ही बाजारों में सुगम यातायात के लिए हर सप्ताह में कम से कम एक बार बड़ी बैठक करके निर्देश दिए जा रहे हैं।
संभागायुक्त दीपक ङ्क्षसह, कलेक्टर कौशलेन्द्र विक्रम ङ्क्षसह, एसएसपी अमित सांघी, निगमायुक्त किशोर कान्याल द्वारा दिए जाने वाले यह निर्देश सिर्फ बैठकों तक ही सीमित हैं। न तो जाम से निजात मिली है और न ही फुटपाथ खाली कराए जा सके हैं। तीनों उपनगरों को व्यवस्थित करने के लिए प्लानिंग को अमल में लाने में अफसर फेल साबित हुए हैं। अब स्थिति यह है कि नगर निगम के छोटे कर्मचारी जहां खुद ही फुटपाथ घिरवा रहे हैं, वहीं यातायात पुलिस के सामने ही टैंपो चालक चौराहे घेरकर खड़े रहते हैं। मुरार का सदर बाजार हो, चार शहर का नाका हो या फिर इंदरगंज से लेकर महाराजबाड़ा तक का क्षेत्र हमेशा जाम के चंगुल में रहता है। यही हाल दाल बाजार, नया बाजार, लोहिया बाजार, नई सड़क, रॉक्सी पुल, हुजरात, जिला अस्पताल मुरार, अग्रसेन चौक मुरार, सदर बाजार मुरार सहित अन्य क्षेत्रों का है। इन सभी में टैंपो चालक और हाथठेला विक्रेता सरकारी अफसरों पर हावी हैं।
दरअसल, शहर की समस्याओं का हल निकालने के लिए वर्ष 2019 में 360 डिग्री प्लान तैयार किया गया था। इस प्लान में प्रशासन, नगर निगम, पुलिस, यातायात, प्रदूषण, परिवहन, आबकारी, टीएंडसीपी, जीडीए, पीडब्ल्यूडी सहित अन्य संबंधित विभागों को शामिल किया गया था। इस प्लाङ्क्षनग को अमल में लाने के लिए दो वर्ष का समय निश्चित किया गया था। दो वर्ष कोविड संक्रमण काल में निकल गए और इसके बाद प्लाङ्क्षनग पर अमल करने के लिए जमीनी स्तर पर कोई प्रयास नहीं हुआ। इस वर्ष की शुरुआत में शहर के 30 स्थानों पर यातायात को सबसे बेहतर करने के लिए प्लाङ्क्षनग की गई। इसके बाद महाराजबाड़ा पर कार्रवाई की गई। लेकिन यह सब अप्रभावी रहा है। अफसरों के भ्रमण के बाद छोटे अफसर और कर्मचारी मिलकर शहर को व्यस्थित करने के लिए किए गए सारे इंतजामों को ताक पर रख रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि फुटपाथ घेरकर खड़े होने वाले हाथठेले और अवैध टैंपो भी कुछ सरकारी कर्मचारियों द्वारा ही चलवाए जा रहे हैं। फुटपाथ को 300 से लेकर 800 रुपए प्रतिदिन तक किराये पर दिया जा रहा है। जबकि टैंपो चलवाने वाले एक शिफ्ट के पांच सौ रुपए किराया वसूलते हैं।
यह थी व्यवस्था जो हो गई फेल
नगर निगम को दिया काम
-नगर निगम के हिस्से में सभी बाजारों में फुटपाथ को पैदल चलने वालों के लिए खाली कराने का काम था। सड़कों पर खड़े होने वाले हाथठेला विक्रेताओं को हॉकर्स जोन में भेजा जाना था। अस्थाई अतिक्रमण हटाकर यातायात को सुगम बनाने के लिए सड़कें खाली करानी थीं। स्वच्छता और सफाई के साथ-साथ सड़कों की मरम्मत करके धूलमुक्त करना था।
अब ये स्थिति
शहर की कोई भी फुटपाथ अतिक्रमण मुक्त नहीं हुआ है। बाजारों से हाथठेला विक्रेताओं को नहीं हटाया गया है। शहर के लगभग सभी हॉकर्स जोन खाली हैं। यातायात पुलिस को दिया काम
यातायात पुलिस
-चौराहों, तिराहों और बाजारों के प्रवेश और निकास पर तैनात रहकर आवागमन सुगम करना था। शहर में लगाए गए सिग्नल पर टैंपो खड़ा करके सवारियां भरने से रोकना था। बाजारों के प्रवेश और निकास मार्ग पर वाहनों को व्यवस्थित करना था।
सिर्फ चालान तक सीमित
वरिष्ठ स्तर से दबाव आने पर यातायात पुलिस कर्मी सिर्फ चालान काटने तक सीमित रहते हैं। चौराहों पर टैंपो चालक मनमानी करते हैं और पुलिस कर्मी तमाशाई बने रहते हैं। चालान की कार्रवाई भी अक्सर उन्हीं जगहों पर की जाती है, जिन जगहों से सामान्य लोगों का आवागमन ज्यादा हो। जहां टैंपो चालक खड़े होते हैं, वहां यातायात पुलिस कभी ध्यान नहीं देती।
यह था पुलिस का काम
मुरार क्षेत्र में सदर बाजार, गोला का मंदिर, जिला अस्पताल, बारादरी क्षेत्र, लश्कर में महाराजबाड़ा, दौलतगंज, सराफा बाजार, इंदरगंज, जयेन्द्रगंज, नया बाजार, कंपू आदि क्षेत्र, ग्वालियर में ङ्क्षशदे की छावनी, हजीरा, चार शहर का नाका, तानसेन नगर रोड, पाताली हनुमान चौराहा, रेलवे स्टेशन क्रॉङ्क्षसग, पड़ाव चौराहा, फूलबाग चौराहा सहित अन्य महत्वपूर्ण जगहों को जाम से मुक्त रखकर सुरक्षा व्यवस्था को बेहतर करना था। सभी पॉइंट््स पर तैनात पुलिस कर्मियों की मॉनीटङ्क्षरग की जिम्मेदारी बीट प्रभारी और क्षेत्रीय पुलिस अधिकारियों को दी गई थी।
यह है परिणाम
शहर के चौराहों पर दिन भर टैंपो चालकों का अवैध कब्जा रहता है, रेलवे स्टेशन पर होटल संचालक और दुकानदार सड़क घेरे रहते हैं। देर रात शराब पीने वाले लोगों के साथ अभद्र व्यवहार करते नजर आते हैं। वारदातों में लगातार इजाफा हुआ है। सुरक्षा मुहैया कराने की जिम्मेदारी निभाने वाले पुलिस कर्मी मौके पर नजर नहीं आते। पुलिस कर्मी सिर्फ वीआईपी मूवमेंट के समय ही अपनी ताकत का प्रदर्शन करते हैं। सामान्य जन के साथ पुलिस कर्मी अभद्र भाषा का उपयोग करने से नहीं चूकते। जबकि नेताओं के साथ रहने वाले बदमाश,गुंडे, अपराधियों के साथ हमेशा विनम्रता से पेश आते हैं।
जिला प्रशासन का काम
-कलेक्टर, एडीएम, सभी क्षेत्रीय एसडीएम और तहसीलदारों को अन्य विभागों से सामंजस्य स्थापित करके शहर की व्यवस्था को बेहतर करने का काम दिया गया था। स्पेशल प्लाङ्क्षनग को लागू कराने की जिम्मेदारी प्रशासनिक अधिकारियों को दी गई थी। सभी प्रशासनिक अधिकारियों को नगर निगम, पुलिस, यातायात आदि विभागों के साथ मिलकर सभी बाजारों और व्यस्त सड़कों पर पहुंचकर व्यवस्थाएं ठीक करानी थीं।
सिर्फ इनडोर में सामंजस्य
-प्रशासनिक अधिकारियों और अन्य विभागों का सामंजस्य सिर्फ इनडोर बैठकों मेंं ही दिखता है। फील्ड पर प्रशासनिक अधिकारी दबाव के समय ही निकलते हैं। अधिकतर अधिकारियों की सक्रियता कलेक्ट्रेट में होने वाली मीङ्क्षटग, मंत्रियों के साथ भ्रमण या फिर वीआईपी ड्यूटी तक सिमट कर रह गई है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *