विभाग का दावा-हमारे तालाब पर कब्जा नहीं, हकीकत-13 जिलों में 260 गायब

अगले माह हाईकोर्ट में सुनवाई से पहले पत्रिका बता रहा हकीकत मी लार्ड!

विभाग का दावा-हमारे तालाब पर कब्जा नहीं, हकीकत-13 जिलों में 260 गायब

भोपाल. प्रदेश में 4 लाख से अधिक तालाब हैं। नगर निगम और पंचायतों के पास दो हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल वाले 15 हजार तालाब हैं। जल-संसाधन विभाग के पास 10 हजार हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल वाले 21 बड़े तालाब हैं। दो हजार हेक्टेयर से ज्यादा मध्यम तालाब 101 और दो हजार हेक्टेयर से कम के 5116 तालाब छोटे हैं। विभाग का दावा है कि किसी तालाब में अतिक्रमण नहीं है। इस दावे के बीच पत्रिका की पड़ताल में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। 13 जिलों में सरकारी अनदेखी व रीयल एस्टेट माफियाओं ने 260 तालाब को लील लिया। राहत यह कि 500 से ज्यादा तालाबों से सिंचाई या पेयजल की जरूरतें पूरी हो रही हैं। लेकिन अधिकतर अतिक्रमण की चपेट में हैं। 13 में कोई भी जिला ऐसा नहीं है, जहां तालाबों पर अतिक्रमण नहीं है, सबसे खराब हालत जबलपुर की है। 52 तालाब व 84 तलैया वाले जबलपुर में 16 तालाब गायब हो गए। 36 ही बचे हैं। जो बचे, वे भी गंदा पानी मिलने से सीवर टैंक में तब्दील हो रहे हैं। इतना ही नहीं, यहां प्रशासन ने ही तालाब पूर कर निर्माण करा दिए। मढाताल सिविल सेंटर एरिया हो गया। हाथी ताल ने कॉलोनी की शक्ल ले ली।

राजधानी भोपाल से लगे रायसेन में भी चार तालाब गायब हो गए। विदिशा में कई तालाब में खेती हो रही है। शहडोल के 300 तालाबों में महज 60 ही बचे हैं। हालांकि अति₹मण और सरकारी उपेक्षा के बीच इंदौर ने अपने तालाबों को संरक्षित करने की कोशिश की है।

फेफरताल, नर्मदापुरम

इन जिलों में कैसे हालात, जानिए

सीहोर:सभी 65 तालाब जिंदा, पर हो रहा कब्जा

जल संसाधन विभाग के छोटे-बड़े 65 तालाब जीवित हैं। इसके पानी से रबी सीजन में सिंचाई होती है। जमोनिया, भगवानपुरा, काहिरी, आष्टा के रामपुरा तालाब का पानी फिल्टर कर पीने के उपयोग हो रहा है। कुछ तालाब पर कब्जा भी हो रहा है, लेकिन इसके संरक्षण की कवायद नहीं हो रही।

विदिशा: देखदेख नहीं, कई तालाब खत्म

उदयपुर, ग्यारसपुर के मानसरोवर के तालाब पर अतिक्रमण है। यहां खेती हो रही है। 15 साल पहले गहरीकरण कराया, लेकिन अब हालात बिगड़ने लगे। हाजीबली, महामाई तालाब अतिक्रमण से खत्म हो गए। जंबार, घटेरा, पुरागुसाई, हैदरगढ़, पठारी तालाब से सिंचाई व सिंघाड़े की खेती हो रही है।

रायसेन: चार तालाब लापता, दो में खेती

यहां हलाली, बारना, रातापानी, दाहोद, पलकमति समेत 8 बड़े और 20 छोटे तालाब हैं। 4 तालाबों में पानी है, 4 का अस्तित्व खत्म हो गया है। दो में खेती हो रही है। दाहोद बांध रिस रहा है। पुराने तालाबों में अधिकतर पर अतिक्रमण है। कुछ तालाबों में सिंघाड़े की खेती हो रही है।

04 तालाब गुना के, सिंगवासा, भुजरिया, गोपालपुरा, जगनपुरा में पानी भरा है। सभी पर अतिक्रमण है।

95 तालाब नर्मदापुरम में, इससे 4958 हेक्टेयर में सिंचाई हो रही, फेफरताल पर कब्जा है।

01 तालाब अनूपपुर में अतिक्रमण से सिकुड़ रहा है। दुर्गा मंदिर तालाब में गंदगी भरी।

305 तालाब सिवनी में, बुधवारी तालाब किनारे नगर पालिका ने कॉम्प्लेक्स बनाया, दूसरी ओर झुग्गियों की बसाहट।

244 तालाब बालाघाट में, इसे बचाने की चल रही तैयारी।

मंडला: 12 तालाबों पर अतिक्रमण

भूमाफियाओं की नजर पड़ी तो जिला मुख्यालय से लगे 12 तालाबों का आकार छोटा होने लगा। बिनैका, बिंझिंया, बड़ी खैरी, लालीपुर के 12 तालाबों के इस्तेमाल न होने से अतिक्रमण हो गए। यहां माफियाओं ने मिट्टी, मुर्रम से तालाब को समतल कर दिया। अब यहां कई निर्माण हो गए।

शहडोल: 240 तालाब गायब

यहां 300 से अधिक तालाब थे, लेकिन अंधाधुंध निर्माण व अतिक्रमण से अधिकतर गायब हो गए। 60 तालाब बचे हैं। इनमें से दो तालाबों के जीर्णोद्धार हुआ। कुछ के लिए योजना बनी, पर जमीन पर नहीं उतरी। मोहनराम तालाब का जीर्णोद्धार 3 करोड़ से पांच साल पहले हुआ। पैनांग तालाब का जीर्णोद्धार नहीं हुआ।

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