ग्वालियर. : चोरों ने शहर और गांवों में 582 ताले तोड़े, 5 करोड़ 80 लाख डकार गए …

सेफ्टी अलर्ट: पुलिस उगलवा नहीं पाई, पब्लिक चुप रही, तीन गुना से कम रिकवरी …

नशा, महंगे शौक बना रहे चोर ….

ग्वालियर. पांच करोड़ 80 लाख रुपए वह भी सिर्फ एक साल की कमाई। आंकड़े किसी कारोबार या उद्योग के मुनाफे के नहीं बल्कि चोरों की कमाई के हैं। इस साल पुलिस के खाते में 2176 से ज्यादा चोरियां आईं। इनमें चोरों ने जहां मौका मिला वहां हाथ मारकर 9 करोड़ 38 लाख 24 हजार 776 रुपए का गहना, नकदी और सामान चुराया है। पलटवार में पुलिस चोरों की गर्दन पकड़ कर करीब 3 करोड़ 59 लाख 2 हजार 122 रुपए कीमत का सामान बरामद कर पाई है। फिर भी चोर करीब तीन गुना कीमत का सामान हजम कर गए। पुलिस मानती है कि चोर पर काबू नहीं है। क्योंकि जो चोर उसकी गिनती में है उनकी निगरानी तो होती है, लेकिन उन चोरों की गिनती नहीं है, जो पुलिस की नजर में नहीं है। इसके अलावा लोग भी बदमाशों की जानकारी होने के बावजूद अक्सर चुप्पी रखते हैं।

रिटायर्ड सीएसपी दीपक भार्गव कहते हैं, चोर जब तक पकड़ा नहीं जाए पुलिस और पब्लिक की नजर में साहूकार रहता है। ऐसे तमाम चोर सामने आए हैं जिनकी शोहरत शराफत की थी। लेकिन नशा, मंहगे शौक और गलत संगत की वजह से चोरी में पकड़े गए। आंकडों के हिसाब से भी पेशेवर चोरों से ज्यादा उनकी गिनती है जो मौका देखकर हाथ मारते हैं। पुलिस के बडी चुनौती दूसरे जिलों के अपराधी भी रहते हैं। यह बदमाश पब्लिक और पुलिस के लिए अनजान रहते हैं। आसपास के इलाकों से आकर जहां मौका मिलता है हाथ मारकर चंपत हो जाते हैं। इसलिए उनकी पहचान ज्यादा मुश्किल होती है।

चोरियों का हिसाब किताब

पुलिस ने पिछले 9 महीने में गृहभेदन के 582 केस और इनके अलावा दूसरी तरह से चोरियों 1594 मामले दर्ज किए हैं। इनमें चोरों ने कुल 9 करोड़ 38 लाख 24 हजार 776 रू का सामान चुराया है। पुलिस इसमें 3 करोड़ 59 लाख 2 हजार 122 रूपए कीमत का सामान बरामद कर पाई है। बाकी 5 करोड़ 79 लाख 22 हजार 654 रूपए का सामान चोर डकार गए।

ऐसे करें सुरक्षा

घर और दुकानों पर सीसीटीवी की निगरानी करें।

बस्ती, मौहल्ले और कॉलोनी में अनजान लोगों की कई बार मौजूदगी हो तो पुलिस को खबर दें।

बीट स्तर पर पुलिस भी लोगों से सतत संपर्क में हो।

इलाके में नशेबाजों के अड्डे, वहां किन लोगों की मौजूदगी उसका ब्यौरा पुलिस को होना चाहिए।

पुलिस और पब्लिक की इन लापरवाहियों का फायदा

रात में गश्त की खानापूर्ति।

चोरी की शिकातयों पर ज्यादा गंभीर नहीं।

सूने मकान और दुकान की निगरानी का ठोस इंतजाम नहीं।

संदेही की जानकारी पुलिस को देने से बचने की प्रवृति।

बस्ती, मौहल्ले में नशेबाजों के अड्डे और टोलियों की रोकटोक से बचना।

मकान, दुकान में रात, वाहन दिन में

शहर और देहात में 582 चोरियों की शिकायतें पुलिस के सामने आई हैं। इनमें 70 प्रतिशत रात के वक्त और सूने मकान, दुकानों की हैं। जबकि जिले भर में पुलिस थानावार रात गश्त चार्ट भरती है। इसके अलावा 1594 चोरी के केस में वारदातें खुली जगहों पर और ज्यादातर दिन के वक्त के हैं।

यह सुरक्षित ठिकाने, मुखबिरी नहीं

पुलिस मानती है सब्जी मंडी, रेलवे स्टेशन, बस स्टेंड, सरकारी अस्पताल के अलावा जहां दिन के अलावा रात को भी भीड़ रहती है अपराधियों के सुरक्षित ठिकाने हैं। लेकिन ठोस मुखबिरी नही मिलती तो कई बार बदमाश हाथ से निकल जाते हैं।

कसावट की कोशिश, पब्लिक भी अलर्ट

चोरों पर कसावट के लिए पुलिस लगातार कोशिश कर रही है। इसके लिए लोगों को भी अलर्ट होना चाहिए। सुरक्षा के लिए दुकानों और बाजार में सीसीटीवी की निगरानी जरूरी है। इसके अलावा लोग सूने मकान छोडक़र जाने से पहले पुलिस और निगरानी का इंतजाम भी करें। इसी तरह वाहनों में व्हील लॉक भी जरूर लगाएं।

राजेश दंडौतिया, एएसपी क्राइम ब्रांच

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