नोटबंदी के दौरान हुई थी कांग्रेस नेता की मौत, बैंकों के बाहर भांजी गई लाठियों को नहीं भूल पाए हैं शहरवासी

नोटबंदी का कानूनी विवाद खत्म, लेकिन यादों में हमेशा रहेगा

शहरवासी छह साल बाद भी नहीं भूल पाए नोटबंदी के दौरान झेली गईं तरह- तरह की परेशानियां

ग्वालियर. सरकार के नोटबंदी के फैसले को भले ही सुप्रीम कोर्ट ने क्लीन चिट दे दी हो लेकिन नोटबंदी (9 नवंबर से 30 दिसंबर 2016) के दौरान शायद ही ऐसा कोई व्यक्ति रहा होगा जिसे परेशानी नहीं हुई हो। ग्वालियर शहर भी ऐसे ही दौर से गुजरा था। नोटबंदी से हुई परेशानी आज भी शहरवासियों की जुबां पर है। 500 और 1000 रुपए के पुराने नोट बंद करने के भारत सरकार के निर्णय से एक ओर जहां नोटबंदी के फैसले से आम आदमी को हो रही परेशानी को लेकर कांग्रेस के आव्हान पर 28 दिसंबर 2016 को शहर में निकाले गए जन आक्रोश मार्च के दौरान हृदयाघात से कांग्रेस जिलाध्यक्ष दर्शन (56) का निधन हो गया था। वहीं नोटबंदी के दौरान ही पुरानी छावनी स्थित स्टेट बैंक ऑफ इंडिया शाखा के बाहर काफी देर से लगे कतारबद्ध ग्राहकों के सब्र का बांध टूट गया और उन्होंने आवेश में आकर हंगामा मचाना शुरू कर दिया था। इस पर वहां पुलिस बल ने आकर लाठीचार्ज तक किया था।

बेटी की शादी में हुई थी परेशानी

उपनगर ग्वालियर निवासी रेखा अग्रवाल ने बताया कि 12 नवंबर 2016 को मेरी बेटी की शादी थी। मैंने 7 नवंबर को ही बैंक से रुपए निकाले थे और 8 नवंबर को नोटबंदी हो गई थी। ये सभी नोट एक हजार रुपए के थे, बाद में इन्हें बदलने में काफी परेशानी उठानी पड़ी थी। जैसे-तैसे करके बेटी की शादी की थी। लोगों को इतनी दिक्कतें होने के बाद भी सुप्रीम कोर्ट ने नोटबंदी को लेकर सरकार को पूरी तरह से क्लीन चिट दे दी।

4 घंटे कतार में लगकर जमा कराए थे पुराने नोट

दाल बाजार के गुड़ कारोबारी पंकज मदान के मुताबिक नोटबंदी के समय सबसे बड़ी परेशानी नोट पुराने नोटों को बदलने की थी। मैंने उस समय करीब 4 घंटे तक लंबी कतार में लगकर पुराने नोटों का जमा कराया था। उसके बाद दो हजार रुपए के नए नोट मिल पाए थे। नोटबंदी का वो दिन आज भी मुझे याद है।

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