सरकार बढ़ा सकती खर्च …!

मध्यप्रदेश में 7 साल पहले विकास कार्यों में निवेश जीएसडीपी का 6.1% था, जाे अभी 4.9% हुआ …

बजट की तैयारियों में जुटी मप्र सरकार अगले वित्तीय वर्ष में विकास और निर्माण कार्यों पर खर्च बढ़ा सकती है। अभी 2021-22 में जीएसडीपी (सकल राज्य घरेलू उत्पाद) की तुलना में कैपिटल एक्सपेंडिचर (निर्माण, विकास के काम और लोन की पेमेंट) 4.9% है जो पूर्व के वर्ष 2014-15 में 6.1%, 2016-17 में 5.7% और 2017-18 में 5.3% से कम है। मप्र की जीएसडीपी साढ़े 11 लाख करोड़ रुपए के आसपास है।

जीएसडीपी का साइज बढ़ने से विकास कार्यों के लिए पैसा तो आया, लेकिन यदि पूर्व के वर्षों की तरह प्रतिशत ज्यादा रहता तो विकास में निवेश बढ़ जाता। देश की जीडीपी में मप्र 2026 तक 550 अरब डॉलर (लगभग 41 लाख करोड़) का योगदान देना चाहता है। अर्थशास्त्री कहते हैं कि इसके लिए अचल संपत्तियां बनाने पर ध्यान देना होगा, क्योंकि इससे आर्थिक गतिविधियां बढ़ती हैं। रोजगार मिलता है। जीएसडीपी के ये आंकड़े दो दिन पहले अटल बिहारी वाजपेयी सुशासन एवं नीति विश्लेषण संस्थान ने सरकार, वित्त विभाग और अर्थशास्त्रियों की बैठक में बताए। इसमें देश के आंकड़ों से तुलना करते हुए बताया गया कि देश में कैपिटल एक्सपेंडिचर कोरोना में भी बढ़ा, लेकिन मप्र में यह पिछले दस साल में सबसे कम रहा।

जीएसडीपी का पूंजीगत खर्च देश में बढ़ा, मप्र में घटा
वर प्रदेश देश
2012-13 5.4 —
2013-14 4.5 —
2014-15 6.1 —
2015-16 4.6 1.8
2016-17 5.7 1.8
2017-18 5.3 1.5
2018-19 4.9 1.6
2019-20 4.4 1.7
2020-21 4.4 2.2
2021-22 4.9 2.5
(प्रदेश और देश के आंकड़े प्रतिशत में)

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