NSS Report: शुद्ध पानी से शिक्षा, मोबाइल और शौचालय तक, जानें देश में कैसे हालात हैं, कितने लोग कर्ज में हैं?

NSS रिपोर्ट के अनुसार, ग्रामीण इलाकों में करीब 56.3 फीसदी और शहरी इलाकों में करीब 76.3 फीसदी लोगों ने घरेलू परिसर में स्थित पेयजल के बेहतर स्रोत का इस्तेमाल किया। इस रिपोर्ट में देश के लोगों के खाने से लेकर शिक्षा और लोगों के घरों के शौचालय तक की स्थिति के बारे में बताया गया है। आइए जानते हैं रिपोर्ट में क्या-क्या शामिल किया गया है?

नेशनल सैंपल सर्वे (NSS) के 78वें दौर के मल्टीपल इंडिकेटर सर्वे (MIS) पर आधारित रिपोर्ट जारी हुई है। इस रिपोर्ट में कई हैरान करने वाली बातें सुनने में आई हैं। अच्छी बात है कि अब देश की 95 फीसदी से अधिक ग्रामीण आबादी को भी पीने योग्य साफ पानी मिल रहा है। वहीं, शहरों में 97.2 प्रतिशत लोगों की पीने के योग्य बेहतर पानी मिल रहा है। NSS रिपोर्ट के अनुसार, ग्रामीण इलाकों में करीब 56.3 फीसदी और शहरी इलाकों में करीब 76.3 फीसदी लोगों ने घरेलू परिसर में स्थित पेयजल के बेहतर स्रोत का इस्तेमाल किया। इस रिपोर्ट में देश के लोगों के खाने से लेकर शिक्षा और लोगों के घरों के शौचालय तक की स्थिति के बारे में बताया गया है। आइए जानते हैं रिपोर्ट में क्या-क्या शामिल किया गया है?

क्यों और कैसे हुआ सर्वे? 
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, MIS का प्राथमिक उद्देश्य सतत विकास लक्ष्यों (SDG) के कुछ महत्वपूर्ण राष्ट्रीय संकेतकों के निर्माण के लिए डेटा एकत्र करना है। पहले सर्वे को जनवरी-दिसंबर 2020 के दौरान कराने की प्लानिंग थी, लेकिन कोरोना के चलते इसे रोक दिया गया था। बाद में डेटा संग्रह का काम 15 अगस्त, 2021 तक हुआ। सैंपल जुटाने के लिए सर्वे को 14,266 यूनिट में बांटा गया था। इनमें ग्रामीण क्षेत्रों में 8,469 और शहरी क्षेत्रों में 5,797 यूनिट थे। इस सर्वे में 2 लाख 76 हजार 409 परिवार शामिल हुए। इनमें ग्रामीण क्षेत्रों से 1,64,529 और शहरी क्षेत्रों में 1,11,880 परिवार शामिल थे।
रिपोर्ट में क्या-क्या बताया गया? 

  • रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 78.7% और शहरी क्षेत्रों में लगभग 97.1% परिवारों ने बताया कि घर के अधिकांश सदस्य शौचालय का इस्तेमाल करते हैं। जिन लोगों ने शौचालय तक पहुंच की सूचना दी, उनमें से ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 97.5 प्रतिशत की उन्नत शौचालय तक पहुंच है, जबकि शहरी क्षेत्रों में लगभग 99 प्रतिशत की पहुंच बेहतर शौचालय तक है।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 77.4% और शहरी क्षेत्रों में लगभग 92.7% लोगों के पास शौचालय के भीतर पानी और साबुन/डिटर्जेंट से हाथ धोने की सुविधा है। जिन व्यक्तियों ने शौचालय और हाथ धोने की सुविधा तक पहुंच की सूचना दी थी, उनमें से ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 73.3%  और शहरी क्षेत्रों में लगभग 81.4% लोगों के पास घरेलू परिसर के भीतर बेहतर शौचालय और पानी और साबुन/डिटर्जेंट के साथ हाथ धोने की सुविधाओं तक विशेष पहुंच है।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 49.8 प्रतिशत परिवार और शहरी क्षेत्रों में लगभग 92.0 प्रतिशत परिवार खाना पकाने के लिए ऊर्जा के प्राथमिक स्रोत के रूप में स्वच्छ ईंधन का उपयोग करते हैं। स्वच्छ ईंधन का मतलब एलपीजी, अन्य प्राकृतिक गैस, गोबर गैस, अन्य बायोगैस, बिजली (सौर/पवन ऊर्जा जनरेटर द्वारा उत्पन्न सहित) और सौर कुकर से है।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 33 फीसदी और शहरी क्षेत्रों में 15-29 वर्ष की आयु के लगभग 39.4 फीसदी लोग सर्वेक्षण से पहले 12 महीनों के लिए औपचारिक और गैर-औपचारिक शिक्षा और प्रशिक्षण में थे। इसी समय, ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 30.2 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों में 15-24 वर्ष की आयु के लगभग 27.0 फीसदी लोग सर्वेक्षण की तिथि के अनुसार शिक्षा, रोजगार या प्रशिक्षण (NEET) में नहीं थे।
मोबाइल का प्रयोग कितना बढ़ा? 
रिपोर्ट के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों में 18 वर्ष और उससे अधिक आयु के लगभग 67.8 फीसदी और शहरी क्षेत्रों में 18 वर्ष और उससे अधिक आयु के लगभग 83.7 फीसदी लोगों ने सर्वे की तारीख से पहले के तीन महीनों के दौरान सक्रिय सिम कार्ड वाले मोबाइल फोन का उपयोग किया। 18 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों में, ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 89.3 फीसदी और शहरी क्षेत्रों में लगभग 89.6 फीसदी का व्यक्तिगत रूप से या संयुक्त रूप से किसी बैंक/अन्य वित्तीय संस्थान/मोबाइल मनी सेवा प्रदाता में खाता था।

कर्ज में कितने लोग हैं? 
रिपोर्ट में नागरिकों के कर्ज में होने का भी जिक्र है। इसके मुताबिक, 18 साल और उससे अधिक आयु के एक लाख लोगों में से ग्रामीण क्षेत्रों में 16,223 और शहरी क्षेत्रों में 14,889 लोग सर्वे के समय तक किसी न किसी संस्थागत या गैर संस्थागत एजेंसी के कर्जदार थे।

रिपोर्ट में और क्या कहा गया? 

  • ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 92.5% परिवारों ने रहने की जगह से दो किलोमीटर के भीतर बारहमासी सड़कों की उपलब्धता की सूचना दी। मतलब इनके घर के बाहर से आवाजाही के लिए सड़क की सुविधा मौजूद है। ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 11.2% परिवारों और शहरी क्षेत्रों में लगभग 7.2% परिवारों ने 31 मार्च, 2014 के बाद आवासीय उद्देश्य के लिए कोई नया घर/फ्लैट खरीदा/निर्मित किया।
  • जिन परिवारों ने आवासीय उद्देश्य के लिए 31 मार्च 2014 के बाद किसी नए घर/फ्लैट की खरीद/निर्माण की सूचना दी है, उनमें से ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 47.5% और शहरी क्षेत्रों में लगभग 57.9% परिवारों ने पहली बार नया घर/फ्लैट खरीदा/निर्मित किया।
  • जिन परिवारों ने 31 मार्च, 2014 के बाद आवासीय उद्देश्य के लिए पहली बार किसी नए घर/फ्लैट की खरीद/निर्माण की सूचना दी, उनमें से ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 96.5% परिवारों और शहरी क्षेत्रों में लगभग 96.7% के पास उस घर/फ्लैट का मालिकाना हक था। ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 26.8% और शहरी क्षेत्रों में लगभग 34.6% लोगों का वर्तमान निवास स्थान पिछले सामान्य निवास स्थान से अलग था।

रोजगार के लिए घर छोड़ते हैं पुरुष, महिलाओं का भी कारण बताया गया
लोगों के अपने पारिवारिक घर छोड़ने का कारण भी इस रिपोर्ट में बताया गया है। इसके अनुसार, पुरुषों में प्रवासन का मुख्य कारण रोजगार है। ग्रामीण क्षेत्रों में 38.7% और शहरी क्षेत्रों में 56.1% पुरुषों ने रोजगार के लिए घर छोड़ा। वहीं, महिलाओं के लिए विवाह प्रवासन का मुख्य कारण है। आंकड़े बताते हैं कि ग्रामीण क्षेत्रों में 93.4% और शहरी क्षेत्रों में 71.5% महिलाओं को शादी के बाद घर छोड़ना पड़ा।

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