‘पढ़-लिख कर करोगे क्या?’
कैलकुलेशन से इतिहास की डेट्स तक…अब हो रही बेकार
जॉब्स के बदलते नेचर के साथ स्किल्स को भी बदलना जरूरी
भारत के एजुकेशन सिस्टम का एक उदासी भरा पहलू यह भी है कि इसने भारत के जन-मानस में ‘पढ़-लिखकर बनोगे नवाब‘ से ‘पढ़-लिख कर करोगे क्या?’ तक का ट्रैजिक सफर तय किया है। मजाक में कह सकते हैं कि शायद हमारे यहां होते तो डिएगो मेराडोना (अर्जेंटीना के प्रसिद्ध फुटबॉल खिलाड़ी) मैथ्स के प्रॉब्लम्स सॉल्व कर रहे होते और निकोला टेस्ला (प्रसिद्ध वैज्ञानिक) इतिहास की डेट्स रट रहे होते! खैर।
बदलता समय, स्किल्स का बदलता रेलेवंस
इक्कीसवी सदी में नौकरियों की बदलती प्रकृति ने कुछ स्किल्स के महत्व में बदलाव किया है। जैसे-जैसे हम एक अधिक टेक्नोलॉजी-ड्रिवन और परस्पर जुड़ी हुई दुनिया की ओर बढ़ रहे हैं कुछ स्किल्स जिन्हें कभी आवश्यक माना जाता था अब वे उतनी जरूरी नहीं रह गई हैं। उनके स्थान पर नई स्किल्स उभर रही हैं जो आज के रोजगार बाजार में सफलता के लिए महत्वपूर्ण हैं। आइए उनमें से कुछ पर नजर डालते हैं।
5 स्किल्स जो बदलाव की चपेट में हैं
1) हैंडराइटिंग (Handwriting)
भारत में पेरेंट्स और टीचर दोनों ही आज भी बच्चों पर धीरे-धीरे, अच्छा, जमाकर लिखने के लिए दबाव बनाते हैं। हमारे समय में तो एक ही चीज को सौ-सौ बार लिखने का होमवर्क भी मिलता था।
अंग्रेजों द्वारा शुरू की गई आधुनिक शिक्षा व्यवस्था के ‘विक्टोरियन दौर’ में हैंडराइटिंग का बहुत महत्व था क्योंकि तब कम्प्यूटर्स नहीं थे। ब्रिटिशर्स के एक ऐसे साम्राज्य, जिसमें ‘सूर्य कभी अस्त नहीं होता था’, के बड़े ब्यूरोक्रेटिक ढांचे का सारा-का-सारा काम हाथों से लिख कर होता था। टाइपराइटर्स भी उन्नीसवीं सदी के अंत में आए और उन्हें मेनस्ट्रीम का पार्ट होते-होते बीसवीं सदी आ गई।
मैं खुद अच्छी हैंडराइटिंग बहुत पसंद करता हूं, और किसी ऐसे स्टूडेंट या व्यक्ति की तारीफ करना नहीं भूलता।
लेकिन सोचकर देखिए कि क्या आज के दौर में हैंडराइटिंग का उतना इम्पॉर्टेंस है जबकि कम्युनिकेशन और एडमिनिस्ट्रेशन के लिए मोबाइल फोन से लेकर लैपटॉप/कंप्यूटर जैसे सोफिस्टिकेटेड टेक्नोलॉजिकल टूल्स उपलब्ध हैं? और जब इतना सारा काम केवल कंप्यूटर फाइलों में ही हो रहा है?
मॉडर्न रिसर्च यह साबित करता है कि अधिकतर मामलों में बच्चों की हैंडराइटिंग इसलिए खराब होती है क्योंकि उनका दिमाग काफी तेज होता है, और वे बहुत तेजी से सोच रहे होते हैं, व इसकी तुलना में उनके हाथ उनके दिमाग का साथ नहीं दे पाते, इसलिए हैंडराइटिंग खराब आती है।
ऐसे में जब पेरेंट्स और टीचर उन्हें धीरे-धीरे, जमा कर लिखने की शिक्षा देते हैं तो बच्चे क्या करेंगे? अपने विचारों की रफ्तार को धीमे कर देंगे?
लेसन – अच्छी हैंडराइटिंग के लिए ज्यादा दबाव न डालें।
2) टाइपिंग (Typing)
हैंडराइटिंग की ही तरह अब टाइपिंग की स्किल भी काफी हद तक अनावश्यक हो गई है।
आज इन्स्क्रिप्ट, फोनेटिक, हैंड-राइट जैसे कई टूल्स ऑनलाइन उपलब्ध हैं जिसमें आप ऑनलाइन विभिन्न भाषाएं टाइप कर सकते हैं। और तो और आप बोल कर भी टाइप कर सकते हैं। तथा इस तरह के लगभग सभी टूल्स फ्री हैं। कहने का अर्थ है टाइपराइटर्स के म्यूजियम में रखने का वक्त काफी पहले आ चुका है।
हां, यदि आपकी टाइपिंग स्पीड अच्छी है, तो बहुत बढ़िया, लेकिन खराब स्पीड से काम नहीं रुकने वाला।
लेसन – टाइपिंग स्पीड बढ़ाने का लोड नहीं लें।
3) कैलकुलेशन (Calculation)
भारत में पेरेंट्स और टीचर्स आज भी बच्चों को पहाड़े रटने, स्क्वेयर्स, क्यूब को रटने का कहते हैं। जबकि यदि उन्हें याद ही रखना है तो उन्हें बनाने के सोफिस्टिकेटेड मेथड्स हैं (उन्हें सीखने के लिए आप इसी सीरीज में पहले प्रकाशित आर्टिकल्स पढ़ सकते हैं)। हालांकि बदलते समय में उन्हें याद रखने की उतनी आवश्यकता नहीं है क्योंकि साइंटिफिक, ग्राफिंग से लेकर साधारण कैलकुलेटर्स उपलब्ध हैं।
भारत में टीचर्स को कैलकुलेशन पर इसलिए भी जोर देना पड़ता है क्योंकि आज भी कई एग्जाम्स जैसे बैंक पी.ओ., एस.एस.सी. इत्यादि में इसकी आवश्यकता होती है, हालांकि कई एग्जाम्स जैसे CAT ने अब कैलकुलेटर अलाउ किया है। आप को एरिथमेटिक (अंकगणित) के सभी पैटर्न्स, कॉन्सेप्ट्स और रूल्स पता होने चाहिए।
लेसन – अच्छी मेन्टल कैलकुलेशन कॉन्फिडेंस बढ़ाती है, लेकिन बहुत अधिक आवश्यक नहीं होती।
4) चीजों को याद रखना या रटना (Cramming facts)
ईमानदारी से देखा जाए तो अब आपको इतिहास की डेट्स या इसी तरह इनऑर्गेनिक केमिस्ट्री की केमिकल रिएक्शंस को रटने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि सारी जानकारी ‘केवल कुछ शब्द टाइप करने भर’ से इंटरनेट पर उपलब्ध है। ऐसे में किसी भी विषय के चाहे वह फिजिक्स हो या भूगोल कॉन्सेप्ट्स, पैटर्न्स और नियमों को समझना अधिक जरूरी है।
ये सच है कि एग्जाम में इंटरनेट का इस्तेमाल नहीं कर सकते, इसलिए याद रखना अभी तो जरूरी है।
लेसन – एक दिन ऐसा आने वाला है, जब इंटरनेट अलाउ हो जाएगा। फिर प्रश्नों का तरीका कॉन्सेप्ट बेस्ड हो जाएगा।
5) मैनुअल लेबर (Manual labour)
ऑटोमेशन और रोबोटिक्स के उदय के साथ, कई कार्य जिनमें शारीरिक श्रम शामिल है, जैसे असेंबली लाइन कार्य या बुनियादी निर्माण कार्य, कम महत्वपूर्ण होते जा रहे हैं। इसके बजाय, नई नौकरियां उभरेंगी जिनके लिए प्रोग्रामिंग, डेटा विश्लेषण और अन्य विशेष क्षेत्रों में कौशल की आवश्यकता होती है।
जबकि किसी स्पेशल एरिया में विशेषज्ञता मूल्यवान हो सकती है, फिर भी ऐसे कार्यकर्ता जिनके पास उन क्षेत्रों में अत्यधिक विशिष्ट कौशल हैं जो नई तकनीकों या उद्योगों के अनुकूल नहीं हैं, तो उनके लिए यह समस्या हो सकती है। उदाहरण के लिए, एक लेबर जो किसी विशेष प्रकार की मशीनरी में अत्यधिक कुशल है, वह शायद देखे कि उसके स्किल की अब मांग नहीं रह गई है क्योंकि उस मशीनरी को अधिक उन्नत तकनीक द्वारा बदल दिया गया है।