ग्वालियर-चंबल के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में शर्मनाक तस्वीर !
स्ट्रेचर नहीं मिला…ससुर को चादर पर घसीटकर ले गई बहू:ग्वालियर-चंबल के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में शर्मनाक तस्वीर ….
मध्यप्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर बड़े-बड़े दावे किए जाते है, लेकिन अक्सर प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों से ऐसी तस्वीरें सामने आती हैं, जिन्हें देखकर ये दावे खोखले लगते है। ताजा मामले में ग्वालियर-चंबल के सबसे बड़े सरकारी जयारोग्य अस्पताल से एक ऐसी ही तस्वीर सामने आई है।
ग्वालियर के जयारोग्य अस्पताल में अपने ससुर का इलाज कराने पहुंची बहू को जब स्ट्रेचर नहीं मिला, तो उसे ससुर को चादर पर बैठाकर खींचते हुए ले जाना पड़ा। इसका वीडियो सामने आया है। जिसमें पसीने से तरबतर बहू ससुर को हॉस्पिटल कैम्पस से जांच के लिए दूसरी मंजिल पर ले जाती दिख रही है। अस्पताल प्रबंधन ने इस मामले में संबंधित डॉक्टर और नर्स को नोटिस जारी किया है।
JAH सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट है। ये 397 करोड़ की लागत से बना है। 1 हजार बिस्तर का अस्पताल है। दावा था कि इस हॉस्पिटल के पूरी तरह शुरू होने पर ग्वालियर और आसपास के शहरों के मरीजों को भटकना नहीं पड़ेगा। JAH के अधीक्षक आरकेएस धाकड़ का कहना है कि अस्पताल के हर वार्ड में करीब 4 स्ट्रेचर रहते हैं। बड़ा वार्ड होने पर यह स्ट्रेचर 6 से 8 होते हैं। यहां कुल 1 हजार से ज्यादा स्ट्रेचर हैं। जब ……..ने इस दावे की पड़ताल की तो वार्ड में स्ट्रेचर नहीं थे। लोग परेशान हो रहे थे।
साइकिल से गिरने से फ्रैक्चर हुआ पैर
महिला भिंड की रहने वाली है। उसके ससुर श्रीकिशन ओझा (65) साइकिल से गिर गए थे। उनके पैर में फ्रैक्चर हो गया है। इस पर एक डॉक्टर ने प्लास्टर चढ़ा दिया। महिला उनको JAH के ऑर्थोपेडिक डिपार्टमेंट में दिखाने पहुंची थी। यहां डॉक्टर ने जयारोग्य अस्पताल के ट्रॉमा में भर्ती कराने के लिए कहा। जब महिला ने स्ट्रेचर की तलाश की, तो नहीं मिला। एक-दो स्ट्रेचर थे भी, लेकिन इनमें पहिए नहीं थे। ऐसे में महिला ने चादर को जमीन पर फैला दिया। उस पर ससुर को बैठाकर चादर खींचते हुए C-ब्लॉक के बाहर तक लेकर आई। यहां किराए से ऑटो कर वह ससुर को JAH के ट्रॉमा लेकर पहुंची। यह पूरा नजारा वहां पर मौजूद डॉक्टर और गार्ड सभी ने देखा।
मरीज बोला- स्ट्रेचर के पहिए गायब हैं
UP से आए पवन कुमार (25) को सिर में चोट लगने के कारण न्यूरोलॉजी विभाग में भर्ती किया गया था। उन्हें कैजुअल्टी से न्यूरोलॉजी विभाग तक ले जाने के लिए स्ट्रेचर की तलाश की, तो बड़ी मशक्कत के बाद एक स्ट्रेचर मिला। उसके चार पहियों में से एक गायब था, दूसरा टूटा हुआ था। पवन के साथ उसके पिता, दो भाई और जीजा थे। इन सभी ने पवन को स्ट्रेचर पर लिटाया और डंगाडोली कर न्यूरोलॉजी विभाग तक पहुंचाया।
अस्पताल में एंबुलेंस की सुविधा सिर्फ नाम की
जयारोग्य अस्पताल में एक भवन से दूसरे भवन तक पहुंचाने के लिए एंबुलेंस और ई-रिक्शा की व्यवस्था की गई है। इसके लिए संयुक्त संचालक द्वारा आदेश भी जारी किया गया। इसमें साफ निर्देश दिए गए कि मरीज को जांच आदि के लिए यदि एक भवन से दूसरे भवन तक जाना है, तो मोबाइल नंबर 9479875735 पर संपर्क करें। इससे निशुल्क वाहन की उपलब्धता कराई जाएगी। लेकिन अस्पताल में कहीं पर भी वाहन की उपलब्धता कराने वाले जिम्मेदारों का नंबर नहीं लिखा है। इसलिए लोग बाहर से ऑटो मंगाकर एक बिल्डिंग से दूसरी बिल्डिंग तक जाने पर विवश हैं।
मैनेजमेंट बोला- स्ट्रेचर हैं, उस समय नहीं मिला होगा
JAH मैनेजमेंट का कहना है कि अस्पताल में पर्याप्त मात्रा में स्ट्रेचर हैं। कुछ स्ट्रेचर के पहिए टूटे हैं, उन्हें रिपेयरिंग के लिए भेजा गया है। महिला जब अपने ससुर को लेकर पहुंची होगी, तो उस समय स्ट्रेचर नहीं मिल पाया होगा, लेकिन ऐसा नहीं है कि वहां स्ट्रेचर नहीं थे। पांच से दस मिनट इंतजार करते, तो स्ट्रेचर उपलब्ध हो जाते।
स्ट्रेचर तो हैं, लेकिन मैन पावर की कमी
JAH अधीक्षक आरकेएस धाकड़ का कहना है कि हमारे पास स्ट्रेचर हैं, लेकिन मैन पावर की कमी है। इसके लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं। एक स्ट्रेचर पर एक व्यक्ति होना चाहिए, लेकिन अभी मैन पावर न होने से यह नहीं हो पा रहा है। जल्द स्टाफ मिलने से यह कमी पूरी हो जाएगी।