ग्वालियर .  ग्वालियर नगर निगम आयुक्त से शाजापुर कलेक्टर बनने के बाद किशोर कान्याल मंगलवार को अपर आयुक्त आरके श्रीवास्तव को चार्ज सौंपकर रिलीव हो गए। किशोर कान्याल ने 15 सितंबर 2021 को नगर निगम आयुक्त पद पर ज्वाइन किया था और उनका कार्यकाल एक साल छह महीने 20 दिन का रहा। इस दौरान उपलब्धि के नाम पर रिकार्ड राजस्व वसूली से लेकर शहर में वायु प्रदूषण कम करने और बड़ी परियोजनाओं को स्वीकृत कराना उनके खाते में दर्ज है, लेकिन स्वच्छ सर्वेक्षण को लेकर दिया गया उनका नारा ‘ग्वालियर बदल रहा है’ फेल हो गया। इसके अलावा आउटसोर्स कर्मचारियों की नियुक्ति में घपले और निचले अमले के खिलाफ सख्त निर्णय न लेने से जरूर उनकी भूमिका पर सवाल खड़े हुए।

संप​त्तिकर के मामले में की ग्रोथ

आइएएस किशोर कान्याल के अनुसार वित्तीय वर्ष 2022-23 में नगर निगम ने पूरे प्रदेश में संपत्तिकर के मामले में सबसे ज्यादा 26 प्रतिशत की ग्रोथ की है। निगम को 100 करोड़ रुपये से अधिक संपत्तिकर प्राप्त हुआ है। जलकर व अन्य आय मिलाकर कुल 175 करोड़ रुपये इस वित्तीय वर्ष में निगम के खाते में जमा हुए है। यदि शासन की स्टांप ड्यूटी जोड़ दी जाए, तो निगम के पास लगभग 210 करोड़ रुपये आए हैं। इसके अलावा प्रदूषण के मामले में विश्वभर में बदनामी झेल चुके ग्वालियर में प्रदेश के अन्य जिलों के मुकाबले 13 प्रतिशत का सर्वाधिक सुधार होना भी वे अपनी उपलब्धि मानते हैं। इसके साथ ही इंडियन आयल कारपोरेशन के सीएसआर मद से 32 करोड़ रुपये की राशि से लाल टिपारा गौशाला में सीएनजी प्लांट भी उनके कार्यकाल में ही स्वीकृत हुआ। हुरावली में बेशकीमती 23 बीघा जमीन के मामले में सुप्रीम कोर्ट से भी फैसला निगम के पक्ष में ही गया।

स्वच्छता में तीन रैंकिंग का नुकसान

वर्ष 2022 का स्वच्छ सर्वेक्षण के लिए उनके नेतृत्व में ही पूरी तैयारी हुई थी, लेकिन जब परिणाम आए तो पता चला कि नगर निगम को तीन पायदान का नुकसान उठाना पड़ा। वर्ष 2021 में निगम की रैंकिंग 15वीं थी, जो 2022 में लुढ़ककर 18वें पायदान पर पहुंच गई। इस मामले में उनका कहना है कि हमने स्वच्छता के क्षेत्र में बहुत मेहनत की थी और हमें उम्मीद थी कि हमें अच्छी रैंकिंग मिलेगी लेकिन किन्हीं कारणों के चलते ऐसा नहीं हो सका। फिर भी हमने सालभर साफ-सफाई के लिए लगातार काम किया है।

काम जो नहीं संभाल पाए

-नगरीय निकाय चुनाव के बाद जब पार्षद चुनकर आए तो सामंजस्य बैठाने में दिक्कत हुई। परिषद में पार्षदों ने लगातार अमले पर लापरवाही के आरोप लगाए।

-अमृत योजना के तहत निम्न गुणवत्ता की पानी और सीवर की लाइनें लगातार फूटीं। यह समस्या अब भी बरकरार है, लेकिन जिम्मेदारों पर सख्त एक्शन नहीं लिया।

-कार्यकाल के दौरान खराब सड़कों को लेकर हंगामा मचा रहा। स्थिति यह रही कि सड़कों की दुर्दशा पर नाराजगी जताते हुए ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने जूते-चप्पल पहनना छोड़ दिया।

-स्ट्रीट लाइटों की समस्या अब भी बरकरार है। स्मार्ट सिटी कार्पोरेशन के कार्यकारी निदेशक के तौर पर स्वयं ही लाइटों के संचालन व संधारण का जिम्मा निगम को दिलाया। परेशानी नहीं सुलझी तो बैकफुट पर आकर खुद ही ये जिम्मेदारी वापस स्मार्ट सिटी कार्पोरेशन को सौंप दी।

-निचले अमले को कसने में नाकाम रहे। इसके चलते जनता के कामों में लेटलतीफी होती रही। जब-जब कोई समस्या खुद उनके सामने आई, तभी तत्काल निराकरण हो पाया।

आज पदभार संभालेंगे हर्ष सिंह

नए नगर निगम आयुक्त के तौर पर वर्ष 2015 बैच के आइएएस अधिकारी हर्ष सिंह आज पदभार संभालेंगे। वे इससे पहले सीहोर में जिला पंचायत सीइओ के पद पर पदस्थ थे। हर्ष सिंह के सामने सबसे बड़ी चुनौती स्वच्छ सर्वेक्षण में शहर की रैंकिंग को सुधारना होगा, क्योंकि अगले ही माह केंद्रीय दल सर्वे करने के लिए आएंगे। समय कम होने के कारण इस क्षेत्र में तेजी से काम करने की जरूरत है। इसके अलावा शहर की खराब बड़ी सड़कों को सुधारना भी एक चैलेंज होगा।