अब सदर बाजार में स्टील रेलिंग का बनेगा डिवाइडर, फुटपाथ पर ग्रेनाइट पत्थर लगेगा

शहर के मुख्य सदर बाजार में डिवाइडर की जगह अब स्टील की रेलिंग लगेगी। साथ ही दोनों ओर नालियों का निर्माण कर फुटपाथ पर ग्रेनाइट पत्थर बिछाया जाएगा। नगरपालिका ने सदर बाजार में बंद पड़े निर्माण कार्य शुरू कराने के लिए संबंधित ठेकेदार को नोटिस जारी कर दिया है। साथ ही नगरपालिका अधिकारियों का दावा है कि तीन महीने में यह कार्य पूर्ण कर लिया जाएगा।

दरअसर सदर बाजार के सौंदर्यीकरण को लेकर नगरपालिका ने एक करोड़ 20 लाख रुपए का प्रोजेक्ट तैयार किया था, जिसमें पुराने डिवाइडर को तोड़कर नगरपालिका ने छह फीट चौड़ा नया डिवाइडर बनाया जा रहा था। साथ ही इसी डिवाइडर में बीच बीच में सुलभ काम्पलेक्स भी बनाए जा रहे थे, जो कि शुरुआत से ही व्यापारियों के गले नहीं उतर रहे थे। परिणामस्वरुप पिछले महीने सितंबर में व्यापारियों के विरोध के बाद नगरपालिका की पीआईसी बैठक में इसे तोड़ने का फैसला लिया गया।

साथ ही 21-22 सितंबर 2022 की दरम्यानी रात अचानक इसे ढहा दिया गया। जबकि इसके निर्माण पर नगरपालिका करीब 10 लाख रुपए से अधिक की राशि खर्च चुकी थी। वहीं इस नुकसान के बाद से सदर बाजार में डिवाइडर निर्माण सहित अन्य सौंदर्यीकरण का कार्य पूरी तरह से बंद पड़ा था।

स्टील रेलिंग की हाइट करीब पांच फीट रहेगी
नगरपालिका के इंजीनियरों के अनुसार सदर बाजार के डिवाइडर की नई डिजाइन तैयार कर ली गई है, जिसमें आठ इंच के फाउंडेशन पर स्टील की रेलिंग लगाई जाएगी। रेलिंग की हाइट करीब पांच फीट रहेगी। इसके अलावा सदर बाजार के दोनों ओर फुटपाथ पर ग्रेनाइट पत्थर लगाया जाएगा। साथ ही नालियों का निर्माण किया जाएगा। इस पूरे कार्य पर नगरपालिका करीब एक करोड़ रुपए खर्च करेगी।

रेत नहीं मिलने की वजह से काम शुरू नहीं हो पा रहा था
नगरपालिका इंजीनियरों की मानें तो वह ठेकेदार को निर्माण कार्य शुरू करने के लिए बोल चुके हैं। लेकिन समस्या यह आ रही है कि वर्तमान में रेत की उपलब्धता नहीं हो पा रही है, जिस वजह से भी कार्य शुरु नहीं हो पा रहा है। हालांकि ठेकेदार से कहा गया है कि वह जल्द से जल्द निर्माण कार्य प्रारंभ करे। साथ ही ढाई से तीन महीने में उक्त कार्य पूर्ण करे। जिसके बाद काम शुरू कराने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।

एक साल में पूरा होना था कार्य, अभी भी अधूरा
शहर के सदर बाजार के सौंदर्यीकरण का कार्य करीब दो साल पहले शुरु हुआ था। नगरपालिका ने इस कार्य की जिम्मेदारी दिल्ली की केपी कंस्ट्रक्शन कंपनी को दी थी। लेकिन शुरुआती दौर से इसके निर्माण में कोई न कोई बाधा उत्पन्न होती रही।

पहले कोरोना के चलते कार्य गति नहीं पकड़ पाया। वहीं जब डिवाइडर बना तो उसकी चौड़ाई को लेकर व्यापारियों ने विरोध शुरू कर दिया। इसके चलते यह 60 फीसदी डिवाइडर तैयार होने के बाद नगरपालिका को उसे तोड़ना पड़ा। स्थिति यह है कि दो साल बीतने के बाद भी यह कार्य अधूरा पड़ा है।

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