भोपाल से मिशन 2024 का एजेंडा तय ..?
भोपाल से मिशन 2024 का एजेंडा तय, PM मोदी के हर दांव के पीछे सियासी मकसद क्या है?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर पसमांदा मुस्लिमों को लेकर शिया मुस्लिम तक जिक्र कर उन्हें साधने की कोशिश करते हुए नजर आए. उन्होंने तीन तलाक का जिक्र करके मुस्लिम महिलाओं को सियासी संदेश देने की कोशिश की है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्य प्रदेश के भोपाल से देशभर के बीजेपी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए इस साल होने वाले पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के साथ-साथ 2024 के लोकसभा चुनाव का एजेंडा भी सेट कर दिया है. पीएम मोदी ने बीजेपी के कार्यकर्ताओं को सिर्फ जीत का मंत्र ही नहीं दिया बल्कि तीन तलाक से लेकर पसंमादा मुस्लिमों का मुद्दा उठाने के साथ सामान नागरिक संहिता की दिशा में कदम बढ़ाने के भी संकेत दे दिए हैं. इसके अलावा परिवारवाद का जिक्र करके विपक्षी दलों पर भी हमलावर नजर आए.
समान नागरिक संहिता
पीएम मोदी ने पहली बार समान नागरिक संहिता के मुद्दे पर बोलते हुए कहा कि वोट बैंक के खातिर कुछ राजनीतिक पार्टियां भारतीय मुसलमानों को युनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) पर भड़का रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट लगातार यूसीसी को लेकर पूछ रहा है कि कब लागू कर रहे, लेकिन कुछ लोग इसे लागू होने नहीं देना चाहते. उन्होंने कहा कि एक घर में एक सदस्य के लिए एक कानून हो और दूसरे के लिए दूसरा तो घर कैसे चल पाएगा. ऐसी दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चल पाएगा? पीएम मोदी ने इसके जरिए साफ कर दिया है कि उनकी सरकार सामान नागरिक संहिता के मुद्दे पर अब कदम बढ़ाने जा रही है क्योंकि बीजेपी के प्रमुख मुद्दों से एक एक मुद्दा लागू होने से रह गया है.
दरअसल, जम्मू-कश्मीर से धारा 370 खत्म हो चुकी है और सुप्रीम कोर्ट के जरिए फैसले आने के बाद अयोध्या में राम मंदिर निर्माण हो रहा है. ऐसे में सामान नागरिक संहिता का मुद्दा ही बच रहा है, जिसे लेकर बीजेपी के स्टेट लेवल के नेता बयान देते रहते हैं, लेकिन अब पीएम मोदी ने भी इस बार अपना नजरिया साफ कर दिया है. पीएम ने कहा कि भारत के संविधान में भी नागरिकों के समान अधिकार को लेकर बात कही गई है. ऐसे में 2024 में बीजेपी इस मुद्दे को लेकर मुखर हो सकती है.
पसमांदा मुस्लिम पर दांव
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर पसमांदा मुस्लिमों को लेकर शिया मुस्लिम तक जिक्र कर उन्हें साधने की कोशिश करते हुए नजर आए. मोदी ने कहा कि पसमांदा मुस्लिमों का किसी तरह का कोई फायदा नहीं मिला बल्कि वे कष्ट और परेशानी से गुजर रहे हैं. पसमांदा मुस्लिमों का उनके ही धर्म के एक वर्ग ने शोषण किया है और बराबरी का हक नहीं मिला. पीएम मोदी ने पसमांदा मुस्लिम जातियों के नाम गिनाते हुए कहा कि आज भी ये मुस्लिम जातियां भेदभाव का शिकार हैं. नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमारी सरकार ‘सबका साथ और सबका विकास’ के एजेंडे को लेकर चल रही है. सभी सुविधाओं का लाभ मुस्लिम भाई-बहनों को मिल रहा है.
पीएम मोदी लगातार पसमांदा मुस्लिम के बहाने मुस्लिम समुदाय को बीजेपी के साथ जोड़ने की कवायद कर रही है. इस तरह से मुस्लिम समुदाय के जो पिछड़े वर्ग के मुस्लिम है, उन्हें अपने साथ लाने की रणनीति है. इस मद्देनजर बीजेपी काफी समय से कोशिश कर रह है, लेकिन अभी तक उसे सफलता नहीं मिल पा रही है. मुस्लिमों का वोटिंग पैटर्न ऐसा है कि वो उसी पार्टी के साथ जाते हैं, जो बीजेपी को हराती हुई नजर आती है. ऐसे में पीएम मोदी की कोशिश है कि पसमांदा दांव के बहाने मुसलमानों का अगर थोड़ा बहुत वोट हासिल कर लेती है तो विपक्षी दलों की स्ट्रेटजी को तोड़ने में कामयाब हो सकती है.
राष्ट्रवादी पसमांदा मुस्लिम महाज के अध्यक्ष आतिफ रशीद ने ट्वीट कर कहा कि पसमांदा समुदाय हो रहे 800 साल से अधिक के मानसिक, आर्थिक व राजनीतिक जुल्म और भेदभाव के खिलाफ पीएम मोदी ने आवाज उठाकर उनके साथ खड़े होने का साहस किया है. तुष्टिकरण ही नहीं संतुष्टिकरण ही एक मात्र विकल्प मुस्लिम पसमांदाओं का है. पसमांदा मुसलमानों पर जुल्म हो रहे हैं, उन्हें बराबरी का हक नहीं मिलता है. वे राजनीति का शिकार हैं. भेदभाव का नुकसान उन्हें कई पीढ़ियों तक भुगतना पड़ा है.
तीन तलाक का संदेश
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन तलाक का जिक्र करके मुस्लिम महिलाओं को सियासी संदेश देने की कोशिश की है. उन्होंने कहा कि तीन तलाक की वकालत करने वाले लोग वोटबैंक के भूखे और मुस्लिम बहन-बेटियों के साथ अन्याय कर रहें. तीन तलाक से सिर्फ बेटी का घर नहीं टूटता बल्कि लड़की का परिवार तबाह हो जाता है. पीएम मोदी ने उन तमाम इस्लामी देशों के नाम गिनाया, जहां तीन तलाक बैन है. साथ ही सवाल पूछा कि तीन तलाक इस्लामी अंग है तो फिर इंडोनेशिया, बांग्लादेश, कतर, सीरिया, जार्डन और पाकिस्तान में क्यों प्रतिबंधित कर दिया गया है.
मुस्लिम बहन-बेटियों पर अत्याचार करने वाले लोग तीन तलाक की वकालत करते हैं. इस तरह से पीएम मोदी ने तीन तलाक का समर्थन करने वाली विपक्षी दलों को मुस्लिम महिला विरोधी और बीजेपी को मुस्लिम बहन-बेटियों की समर्थक बताने की कोशिश की है. इस तरह से पीएम मोदी मुस्लिम महिलाओं को साधने की रणनीति मानी जा रही.
विपक्षी एकता पर निशाना
2024 में बीजेपी के खिलाफ विपक्ष एकजुट होकर चुनावी मैदान में उतरने की रणनीति पर काम कर रहा है. ऐसे में पीएम मोदी ने विपक्षी एकता में शामिल दलों पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्हें घोटाला गारंटी बताया और कहा कि मोदी की भी गारंटी है कि हर घोटालेबाज पर कार्रवाई. विपक्षी एकता का कामन मिनिमम प्रोग्राम सिर्फ घोटाले से बचने का है.
उन्होंने कार्यकर्ताओं से कहा कि इसे घर-घर तक पहुंचाएं और उनके असली चेहरे को बेनकाब करें कि सिर्फ घोटालों से बचने के लिए सभी ने आपस में हाथ मिलाया है. इस दौरान पीएम मोदी ने विपक्षी दलों में कांग्रेस से लेकर आरजेडी, एनसीपी और डीएमके को भ्रष्टाचार में लिप्त पार्टी बताने की कवायद कर अपना एजेंडा सेट कर दिया है. साथ ही उन्होंने विपक्षी दलों को परिवारवादी पार्टी बताते हुए भी हमलावर नजर आए.
पीएम मोदी के बयान से साफ है कि बीजेपी 2024 के लोकसभा चुनाव में भ्रष्टचार और परिवारवादी पार्टियों को लेकर आक्रमक तेवर में नजर आएगी. इस तरह से विपक्ष के एजेंडे की हवा निकालने की रणनीति मानी जा रही है क्योंकि विपक्ष आपस में सारे गिले-शिकवे भुलाकर एक साथ मिलकर चुनाव लड़ने की दिशा में काफी हद तक सहमत हैं. ऐसे में विपक्षी रणनीति को काउंटर करने का दांव पीएम मोदी ने चल दिया है, उसके लिए आरजेडी से लेकर एनसीपी, डीएमके तक को कठघरे में खड़ा करने की रणनीति है.
लाभार्थी-दलित वोट पर फोकस
बीजेपी का पूरा फोकस केंद्र की योजनाओं का फायदा उठाने वाले वोटबैंक पर है, जिन्हें लाभार्थी का नाम दिया है. पीएम मोदी ने भोपाल में जिस तरह से सभी जातियों और धर्म के लोगों को विकास योजनाओं के लाभ देने की बात कही है और साथ ही कहा कि हमने किसी के साथ भेदभाव नहीं किया. हमारी सरकार योजानों के लाभ देने में जाति, बिरादरी, काका, चाचा, भतीजा, कुछ नहीं देखा. पीएम ने कहा कि हम मानते हैं कि जब देश का भला होगा, तो सबका भला होगा.
बीजेपी ने यह तय किया है कि हमें तुष्टिकरण के रास्ते पर नहीं चलना है. देश का भला करने का रास्ता संतुष्टिकरण है. यूपी में दलितों की अलग-अलग जातियों का नाम लेकर पीएम मोदी ने कहा कि विकास योजनाओं में किस तरह का उनके साथ भेदभाव किया जाता था, लेकिन अब ऐसा नहीं है. पीएम मोदी ने इस तरह से विपक्षी पार्टियों को कठघरे में खड़े करने की कोशिश की है तो साथ ही दलित वोटबैंक को भी साधने की कवायद करते नजर आए हैं.