भोपाल : धरतीपुत्र की मेहनत मिट्टी में !
धरतीपुत्र की मेहनत मिट्टी में ….
हर साल किसान दिन-रात मेहनत कर अनाज उगाते हैं, लेकिन छोटी-छोटी लापरवाही से उनकी मेहनत पर पानी फिर जाता है। इस लापरवाही में चाहें तो अफसरों को जिम्मेदार ठहरा दें या फिर रखरखाव का अभाव कहकर किसी और को घेरें…सच तो यह है कि अनाज का एक-एक दाना किसानों की मेहनत का ही फल है, जिसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल है। एक आंकड़े के अनुसार, मप्र में हर साल 5 हजार टन खाद्यान्न बर्बाद होता है। देशभर में यही आंकड़ा 2.10 करोड़ टन का है। अगर इसे बर्बाद होने से रोक लिया जाए तो शायद ही देश में कोई गरीब भूखा सो पाए।
![](https://rpfs.patrika.com/RP/2023/08/09/PTGwlBhnd/5_05/76a3ef66_1117175_P_14_mr.jpg)
जबलपुर की कुंडम तहसील से 8 किमी पहले तिलसानी की पहचान अब बदबू से होने लगी है। यह बदबू किसानों के खून-पसीने से उगाए गए अनाजों के सड़नेे की है। यहां रखे 2200 टन खाद्यान्न की कीमत अभी पांच करोड़ है। वही, वेयरहाउसिंग कॉरपोरेशन के ओपन कैप में भी 1542 टन खाद्यान्न सड़ चुके हैं, जिसकी कीमत 2.84 करोड़ है। कैप में रखे 600 टन धान भी खराब हो चुके हैं। ये अब जानवरों के खाने लायक भी नहीं हैं। इसकी कीमत 1.80 करोड़ से अधिक है। वहीं बरखेड़ा ओपन कैप में 55 लाख का 298 टन गेहूं सड़ चुका है। यही नहीं, जिले के गोदामों में रखा नागरिक आपूर्ति निगम का गेहूं भी खराब हो गया है। इसकी कीमत करोड़ों रुपए में है। बताया जा रहा है कि यह यहां चार वर्षों से रखा जा रहा था।
रतलाम
सीधी
सरकारी वेयर हाउस पर खराब हो रहा गेहूं
मध्यप्रदेश वेयर हाउसिंग एंड लॉजिस्टिक्स कॉर्पोरेशन के गोदामों में रखा कई टन गेहूं खराब हो रहा है। मंगलवार को दिलीप नगर वेयर हाउस में 2020-21 के पड़े हुए कई कट्टे खराब मिले। ब्रांच मैनेजर शुभम भरने का कहना है कि सुरक्षित भंडारण के प्रयास हो रहे हैं।
धार ….
खुले में खराब हो रहा टनों गेहूं
जिले में सैकड़ों टन गेहूं खुले में पड़े हैं। समर्थन मूल्य पर खरीदी के बाद अनाज को वेयर हाउस की जगह सायलो केंद्र पर पैक्ड करके रखा गया। अधिकारियों का कहना है कि इस विधि में अनाज खराब नहीं हो सकता और कुछ नुकसान हुआ तो उसकी भरपाई सायलो करेगी। यहां गोदामों में चना भी दो साल से रखा है।
![](https://rpfs.patrika.com/RP/2023/08/09/PTGwlBhnd/5_05/76a3ef66_1117175_P_16_mr.jpg)
अनदेखी से ओपन कैप में सड़ गई धान
शहर के मड़रिया स्थित वेयर हाउस के ओपन कैप में भंडारित करीब 200 टन धान सड़ रही है। पर्याप्त सुरक्षा इंतजाम न होने से धान की बोरियों में पौधे उग आए हैं। अनाज की बर्बादी का यह दृश्य अकेले मड़रिया में नहीं बल्कि जिले के अन्य ओपन कैपों में भी देखा जा सकता है।
ओपन कैप के गेहूं को एफसीआइ ने रिजेक्ट कर दिया था। जब राशन दुकानों के लिए सप्लाई की बात सामने आई तो पहले का ही गेहूं गोदामों में रखा था, नियमानुसार उसकी सप्लाई की गई। –दिलीप किरार, जिला प्रबंधक नागरिक आपूर्ति निगम