मथुरा : यूपी के जामताड़ा” ? 200 से ज्यादा जेल में बंद !
5वीं पास लड़कों से 8 राज्यों की पुलिस परेशान, सेक्सटॉर्शन, स्पैम कॉल से ठगी ! 200 से ज्यादा जेल में बंद !
इन्हीं तीनों राज्यों के त्रिकोण में बसते हैं साइबर गैंग्स के गांव। 15 से 20 किमी के दायरे में ऐसे 7-8 गांव हैं। जहां से ऑनलाइन फ्रॉड, साइबर ठगी, हैकिंग, फिशिंग, स्पैम कॉल-ईमेल, ऑनलाइन ब्लैकमेलिंग, सेक्सटॉर्शन का कारोबार चलता है। इसकी जद में देश के 8 से 10 राज्य हैं। “यूपी के जामताड़ा” की।
इन गांवों में चलने से पहले यहां के ठगों द्वारा किए गए हाल-फिलहाल के दो कारनामे पढ़ते चलिए..
केस-1: इसी 5 अगस्त की बात है। मथुरा में फरह पुलिस ने 2 साइबर ठग गिरफ्तार किए। इन्होंने दिल्ली के उत्तम नगर के प्रतीक शर्मा के साथ मावा और पनीर बेचने के नाम पर ठगी की। ठगों ने HDFC बैंक के खाते से केनरा बैंक के खाते में UPI के जरिए 45 हजार रुपए जमा करा लिए। प्रतीक से डेयरी उत्पादों के प्रमोशन के नाम पर फर्जी मैसेज भेजकर ठगी की।
केस-2: अब बात 16 अगस्त की। थाना गोविंद नगर पुलिस ने 7 साइबर ठग गिरफ्तार किए। इनके पास से 14 डिजिटल खाते, 5 चेकबुक, 5 पासबुक, 14 एटीएम कार्ड मिले। 13 फर्जी आधार कार्ड, 8 मोबाइल फोन, 2 बाइक भी बरामद हुई। ये नौकरी के नाम पर पहले डिटेल लेते और सैलरी के नाम पर खाता खुलवाते। फिर बैंक द्वारा भेजे गए लिंक को वीडियो कॉल के जरिए वेरिफाई या KYC करवाकर खाता किट को गलत पते पर मंगवाते।
इसके बाद ब्लू डॉर्ट कोरियर कंपनी में काम करने वाले साथी से इसे रिसीव करवा लेते। फिर ये ठग OLX पर गाड़ी, कीमती सामान को सस्ते दाम में बेचने के नाम पर सामने वाले को फंसाकर उसका अश्लील वीडियो बना लेते। फिर उन्हें ब्लैकमेल करके इन्हीं फर्जी खातों में पैसे मंगवाते थे।
अब चलते हैं यूपी के जामताड़ा… जहां साइबर ठगों ने पैठ जमा रखी है…
यहां 15-20 सालों से हो रहा साइबर क्राइम
मथुरा से करीब 20 किमी दूर है गोवर्धन तहसील। यहां से और आगे बढ़ेंगे तो झाड़ियों, झुरमटों और खेतों के बीच से गुजर सिंगल लेन सड़क करीब 10 किमी दूर देवसेरस गांव ले चलती है। वैसे ये अंदर से तो गांव है, लेकिन बाहर से झलक कस्बे सी दिखती है। ज्यादातर घर पक्के बने हैं। दुकानों पर समूहों में बैठे लड़के दिखेंगे। यहां से और आगे चलेंगे तो 3 किमी दूर दौलतपुर गांव आता है।
यहां से राजस्थान बॉर्डर की दूरी महज 3 से 4 किमी रह जाती है। 15 से 20 किमी दूरी पर हरियाणा बॉर्डर है। इन्हीं गांवों के आसपास 5 से 6 गांव और हैं, जो दिखते तो आम हैं। लेकिन पुलिस और पब्लिक की नाक मे पिछले 15 से 20 सालों से दम किया हुआ है।
पढ़ाई में जीरो, लेकिन ठगी में मास्टर
ये पूरा इलाका साइबर ठगी का हब है। वक्त के साथ यहां ठगी का ट्रेंड बदला है। पहले नकली चीजों के नाम पर यहां ठगी का धंधा चलता था। अब स्मार्टफोन के जमाने में ओटीपी, कॉल और वीडियो जैसी चीजों से। ये सारा काम यहां के युवा अंजाम देते हैं।
ये युवा न आइआईटीयन हैं न टेक्नोक्रेट… इनकी पढ़ाई-लिखाई बमुश्किल 5वीं से 10वीं तक की है। लेकिन काम साइबर एक्सपर्ट्स और टॉप हैकर्स जैसा। चंद मिनट में आपसे फोन पर बात करते-करते, आपके अकाउंट का पैसा साफ कर देते हैं। वीडियो रिकॉर्ड कर ब्लैकमेल कर लेते हैं।
एक पुलिस अधिकारी नाम न बताने की शर्त पर कहते हैं कि इन गांवों से अब तक 500 से ज्यादा लोगों को हम पकड़ चुके हैं। 200 से ज्यादा ठग तो अकेले मथुरा जेल में बंद हैं। ये ठग 8 से ज्यादा राज्यों की पुलिस को छका रहे हैं।
पंचायत का फैसला, क्राइम करने वाले पर एक लाख का जुर्माना लगेगा
प्रधान की बैठकी में बातचीत का सिलसिला शुरू होता है। प्रधान लीले मेव कहते हैं कि हमने क्राइम को रोकने के लिए 2 महीने पहले पंचायत की थी। पंचायत 3 दिन चली। इसमें ये निर्णय हुआ कि गांव का जो लड़का साइबर क्राइम करेगा, उस पर एक लाख रुपए का जुर्माना लगेगा और बताने वाले को 20 हजार रुपए मिलेंगे। क्राइम करने वाले को गांव से बेदखल कर दिया जाएगा। करीब-करीब 2 महीने हो गया, हम लोगों की जानकारी में अभी कोई क्राइम नहीं आया है।
बीबी, बहन-बेटियां टॉर्चर होती हैं
बगल में ही हुक्का पी रहे जिल्लू कहते हैं कि यहां अब कोई बदमाशी नहीं कर रहा है। कोई गाड़ी चला रहा है, कोई भैंस चरा रहा है, कोई दूध बेच रहा है। गांव में पंचायत क्यों करनी पड़ी? इस सवाल पर गांव के बाशिंदे बोल पड़ते हैं कि एक-दो मामले आए थे। इसलिए पंचायत की। नहीं तो यहां कुछ नहीं है। इस क्राइम से गांव की बदनामी और इसके असर के सवाल पर गांव के लोग कहते हैं कि प्रशासन परेशान करता है। कभी भी किसी को उठा ले जाता, इसीलिए हमने पंचायत की।
गांव के पप्पू खान बीए फाइनल की पढ़ाई करते हैं। वह कहते हैं कि जो बच्चे साइबर क्राइम कर रहे थे। उस वजह से प्रशासन हमें परेशान करने लगा। बीवीयां, बहन-बेटियां भी टॉर्चर होने लगीं। इसीलिए पंचायत की। अब हम लोग खुद इसकी निगरानी करते हैं। इस क्राइम की वजह से गांव में कोई रिश्ता नहीं आ रहा है।
पप्पू कहते हैं कि मैं योगीजी से दरख्वास्त करना चाहता हूं कि हमारे गांव का रास्ता सही करा दें। यहां एम्बुलेंस और गाड़ी नहीं आ पाती है। मैं गांव के बच्चों से अनुरोध कर रहा हूं कि जैसी शांति-अमन है, वो बना रहे।
क्राइम करने वाले लड़के राजस्थान-हरियाणा की रिश्तेदारी में भाग जाते हैं
गांव के कीरत कहते हैं कि यहां का माहौल कोरोना टाइम से खराब हुआ। हमने लोगों से कहा- यदि गांव को बचाना है तो इस काम को छोड़ना होगा। हमारी पंचायत के बगल में देवसेरस, महरौली, मंडोरा, जानू गांव है। यहां भी ये क्राइम थोड़ा-थोड़ा है। हम लोगों की ज्यादातर रिश्तेदारी राजस्थान-हरियाणा में हैं। बच्चे क्राइम करके वहीं भाग जाते हैं। हम तो उन्हें मोटरसाइकिल से ढूंढ़ते हैं।
10वीं में पढ़ाई करने वाले परवेज कहते हैं कि ये गलत काम है। ये काम बच्चे नहीं जवान ही करते हैं। क्या गांव में पुलिस को आने से डर लगता है? इस सवाल पर एक साथ गांव के लोग सिर घुमाकर जवाब देते हैं, कहते हैं कि ऐसा यहां बिल्कुल नहीं है। हम पुलिस का सहयोग करते हैं। कभी पुलिस पर हमला भी हुआ था? इस पर लोग कहते हैं कि पुलिस यहां इज्जत से आती है, इज्जत से जाती है। दो-तीन सालों से जब से ये क्राइम चला है, तभी से पुलिस हमारे गांव में आना शुरू हुई है।
शादी के रिश्ते नहीं आने के सवाल पर दो तरह के जवाब आते हैं? कुछ बुजुर्ग कहते हैं कि ई तो रस्ते की वजह से न हो रही। जबकि कुछ लोग बोल पड़ते हैं, हां- सर बदनामी बहुत बड़ी चीज है।
अब साइबर क्राइम के गढ़ 8-9 हजार आबादी वाले गांव देवसेरस चलते हैं…
100 से ज्यादा लड़के गिरफ्तार हो चुके
यहां सड़क के किनारे ही देवसेरस के प्रधान इस्लाम का घर है। बातचीत शुरू होती है तो इस्लाम कहते हैं कि दो-ढाई साल हुए मुझे प्रधान बने, इस क्राइम को लेकर कई बार मैंने मीटिंग की। गांव में अब ये घटकर 40% रह गया है। यह क्राइम यहां 15-20 सालों से है, लेकिन 2016-17 से यह बढ़ गया। इसमें नए उम्र के लड़के ज्यादा हैं। यहां करीब 100 से ज्यादा तो गिरफ्तार हो चुके हैं।
इस्लाम कहते हैं कि गांव में करीब 8 से 9 हजार लोग रहते हैं। सबको इस क्राइम से दिक्कत है। ये पूछने पर क्या जो लड़के पकड़े जा रहे हैं? उनके माता-पिता से आप बातचीत करते हैं। इस पर प्रधान कहते हैं कि हां, करते हैं। हर आदमी पहले कहता है कि हमारे लड़के नहीं करते हैं, नहीं करते हैं तो जेल क्यों जाते हैं फिर?
7 जातियों के लोग गांव में रहते हैं
गांव के लड़के कहां से क्राइम सीख रहे हैं? इस सवाल पर प्रधान इस्लाम कहते हैं कि ये नाते-रिश्तेदारी का जुगाड़ है। इधर ही हरियाणा का जो नूंह जिला है, इधर से कनेक्शन है हमारा, वही वो इलाके हैं। देखिए ये क्राइम यहां सभी जातियों के लोग करते हैं, यहां कुल 7 जातियां हैं, कोई 80 फीसदी करता है, कोई 50 फीसदी, कोई 20 फीसदी है, करती सभी जातियां हैं।
कहीं भी बैठकर करते हैं ऑनलाइन ठगी
कितने गांवों में ये क्राइम हो रहा है? बगल में खड़े गांव के सद्दाम कहते हैं कि यहां आसपास 5 से 6 गांव हैं। जैसे देवसेरस, मंडोरा, मंसरा, मुंडसेरस, दौलतपुर, भगौसा, ये सभी गांव इसमें शामिल हैं। अनपढ़ लड़के कैसे साइबर क्राइम कैसे कर ले जाते हैं? मुस्कुराते हुए जवाब आता है- मैंने कभी देखा तो नहीं, लेकिन करते तो हैं ही। ये सबको मालूम है।
क्या पुलिस भी इनसे मिली है? इस पर सद्दाम कहते हैं.. नहीं, नहीं.. ऐसा नहीं है। पुलिस पकड़ती है, बहुत सी कार्रवाई भी की है। कई लोगों के घरों की संपत्ति कुर्की भी हो चुकी है। किस लेवल का फ्राड करते हैं? इस पर सद्दाम कहते हैं कि ज्यादातर साइबर ठगी ही है, जैसे अकाउंट्स से पैसे निकाल लेना।
किन जगहों पर ये बैठकर करते हैं कि पुलिस नहीं पकड़ पाती है? सद्दाम कहते हैं कि इसका कोई स्थान नहीं है, कोई घर पर बैठ कर लेता है, तो कोई जंगल में तो कोई खेत में कर लेता है। ये एरिया बॉर्डर है, यहां से राजस्थान के अलवर, हरियाणा के नूंह में रिश्तेदारियां हैं। इस वजह से लोग आते-जाते रहते हैं।
लगभग कितनी रकम ये लोग निकाल लेते हैं ठगी में? सद्दाम कहते हैं, देखो सर.. ज्यादा तो नहीं सुनता, कभी 20, 30 हजार और एक लाख रुपए तक के मामले सुनता हूं। सेक्सटॉर्सन का मामला तो मेरे संज्ञान में नहीं आया है, यहां जान-पहचान करके पैसे ले लेना, फोन करके खाते में पैसे डलवाना। यही सब करते हैं।
गांव के संजय कहते हैं कि इन बच्चों की वजह से गांव बदनाम हो रहा है, विवाह-शादियां नहीं हो रही हैं। लोग कहते हैं कि ये तो टट्लूबाज गांव हैं, इसलिए लड़कियां न देना चाहता है, न लेना चाहता है। ये ठगी वाले लोग गांव के लोगों के बीच उठते-बैठते कम ही हैं, ये सुबह-शाम अपने काम में लगे रहते हैं। किसी से मिलना-जुलना इनका कम ही होता है। जिनके घर में पैसे आते हैं, वो क्यों मना करेंगे।
अब जानते हैं कि यहां की पुलिस क्या कर रही है और क्या कह रही है…
मेवाती आबादी ही इस काम को अंजाम दे रही
गांवों से निकलकर हम नजदीकी पुलिस स्टेशन गोवर्धन पहुंचते हैं। यहां मुलाकात सीओ राम मोहन शर्मा से होती है। वो कहते हैं कि ये इसे पूरे इलाके में कई तरह के अपराध होते हैं। राजस्थान-हरियाणा का बॉर्डर है, हमारे 2 थाना क्षेत्रों में करीब 10 किलोमीटर का एरिया ऐसा है, जहां विशेष जाति की आबादी रहती है, जो मेवाती हैं। इनका अपराध पहले से बढ़ता जा रहा है। खासकर साइबर की तरफ। कोशिश कर रहे हैं इसको जल्द से जल्द समाप्त किया जाए और यह लोग मुख्य धारा में आ सके।
किस तरह के मामले आ रहे हैं? इस पर राम मोहन शर्मा बताते हैं कि हाल के दो चार केस से पता चला कि यह लोग ऐप से जैसे इंग्लिश का एप डाउनलोड कर लिया, कुछ बोलने का तरीका आवाज बदलने वाले एप हैं। इनसे काम कर रहे हैं। साइबर ठगी के इन गांवों में देवसेरस, मडौरा, दौलतपुर, हथिया आदि अहम केंद्र हैं। यहां मेवाती हिंदू-मुस्लिम आबादी है। ज्यादातर कन्वर्टेड हैं। मैंने साफ कह दिया है। देखो- मथुरा में रहना है तो क्राइम छोड़ना होगा। इन गांवों में सीसीटीवी कैमरे भी लगा रहे हैं।
कार्रवाई से अपराध कम हुआ
क्या कार्रवाई कर रहे हैं? इस पर सीओ शर्मा कहते हैं कि हर दूसरे-तीसरे दिन कार्रवाई करते हैं। दबिश पर जाते हैं, साथ ही 7वें, 8वें दिन जहां शिकायत मिलती है, वहां जाते हैं। महीने में एक-दो मीटिंग भी कर रहे हैं। इनको मुख्य-धारा में जोड़ने के लिए भी काम कर रहे हैं। जब-जब नमाज अदा होती है, तब-तब गांवों के मौलवी भी हमारा साथ देते हैं।
जितने भी अपराधी हैं, वह सब हमारे टारगेट पर हैं। अब अपराध 60:40 पर आ गया है। 60 हमारी तरफ है, 40 में वह हैं जो बचे हैं वो खाते से पैसा ले लेना, दूसरे खाते में डाल देना, ब्लैकमेलिंग, पोर्नोग्राफी यही सब काम कर रहे हैं। ये नेटवर्क हैं, गिरोहों पर तो हम गैंगस्टर में कार्रवाई कर चुके हैं। यहां हमारे पास साइबर लैब है, जिससे निगरानी भी कर रहे हैं।