मंत्री पद का कौन-कितना दावेदार?

मंत्री पद का कौन-कितना दावेदार?
भिंड व मेहगांव से 3-3 बार निर्वाचित होने वाले नरेंद्र-राकेश या नेता प्रतिपक्ष को हराने वाले अम्बरीष

लहार से नवनिर्वाचित विधायक अम्बरीष शर्मा, भिंड से नवनिर्वाचित विधायक नरेंद्र सिंह कुशवाह, मेहगांव से नवनिर्वाचित विधायक राकेश शुक्ला।

मध्य प्रदेश की नवनिर्वाचित विधानसभा सदस्यों में भिंड से बीजेपी के तीन व कांग्रेस के दो विधायक शामिल होंगे। प्रदेश में एक बार फिर से बीजेपी की सरकार बनने जा रही है। कायस लगाए जा रहे है कि सरकार के गठन के साथ ही बीजेपी के तीन विधायकों में से एक को कैबिनेट में स्थान मिल सकता है। प्रदेश में मुख्यमंत्री के चेहरे की घोषणा के साथ ही मंत्रीमंडल के गठन की तैयारी होगी। नई सरकार में कौन कितना दावेदार होगा?

भिंड जिले से भिंड सदर से नरेंद्र सिंह कुशवाह व मेहगांव से राकेश शुक्ला, दोनों ही तीसरी बार निर्वाचित हुए है। वहीं, नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह को हराने वाले अम्बरीष शर्मा। इन तीनों में किसकी कितनी दावेदारी प्रबल दावेदारी रहेगी। यह पार्टी का वरिष्ठ नेतृत्व व संगठन तय करेगा।

समर्थकों में सुगबुगाहट

मुख्यमंत्री के चेहरे के चयन के साथ ही प्रदेशभर में मंत्री पद को लेकर रणनीति बनना शुरू होगी। मध्य प्रदेश की सरकार गठन के साथ एक कैबिनेट मंत्री भिंड जिले को तय माना जा रहा है। अब कौन कितना दाबेदार हाेगा। यह आने वाला समय ही निर्धारित करेगा, परंतु इन दिनों मेहगांव, भिंड और लहार विधानसभा क्षेत्र की जनता अपने अपने नेता को मंत्री मंडल में शामिल होने का सपना संजोए बैठी है।

राकेश शुक्ला की दावेदारी:

पहले बात करते है मेहगांव विधानसभा की। यहां बीजेपी के नवनिर्वाचित विधायक राकेश शुक्ला तीसरी बार निर्वाचित होकर विधानसभा पहुंचे है। वे मेहगांव विधानसभा क्षेत्र से पहला चुनाव वर्ष 1998 जीते, वहीं, दूसरी बार 2008 में जीते अब तीसरी बार 2023 में जीते है। इसलिए मंत्री मंडल में शामिल होने की दावेदारी है।

  • कमजोरी: नवनिर्वाचित विधायक राकेश शुक्ला की दावेदारी को कमजोर करने वाले भी कुछ प्वाइंट है। जिसमें केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक ओपीएस भदौरिया और प्रदेशाध्यक्ष बीडी शर्मा के नजदीकी चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी का टिकट काटकर दिया गया था। पार्टी ने यद्पि इन दोनों चेहरे को संतुष्ट किए जाने का विचार किया तो दावेदारी पर निश्चित तौर पर असर पड़ेगा।

नरेंद्र सिंह की दावेदारी:

अब बात करते है कि भिंड विधानसभा की। यहां से बीजेपी ​​​​​​के ​नवनिर्वाचित विधायक नरेंद्र सिंह कुशवाह की। नरेंद्र सिंह कुशवाह तीसरी बार भिंड विधानसभा से विधायक बने हैं। वे पहली बार वर्ष 2003 में निर्वाचित हुए थे। इसके बाद 2013 में विधायक बने। अब तीसरी बार 2023 में निर्वाचित हुए है। ऐसे में इनकी दावेदारी भी मंत्री पद को लेकर बनी है।

  • कमजोरी: भिंड विधानसभा में बीजेपी के पूर्व जिलाध्यक्ष रविसेन जैन को लेकर पार्टी को विचार करना होगा। रविसेन जैन को टिकट न मिलने पर वे नाराज होकर सपा के बैनर तले मैदान में उतर चुके थे। पार्टी के वरिष्ठ नेतृत्व ने उन्हें फिर से अपने पाले में खड़ा किया। जिस पर उन्हें पार्टी को वायदे के मुताबिक संतुष्ट किया जाएगा। यह पहेलू कमजोर माना जा रहा है।

अम्बरीष शर्मा की दावेदारी

लहार विधानसभा में 1985 के बाद कमल खिला है। 1990 से 2023 तक कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं प्रदेश में नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह का कब्जा रहा। नेता प्रतिपक्ष को हराकर जीत हासिल करने वाले अम्बरीष शर्मा की दावेदारी भी मंत्री पद को लेकर प्रबल बनी हुई है।

  • कमजोरी: पहली बार विधायक बनाकर विधानसभा पहुंचना ही अम्बरीष शर्मा की कमजोरी है। यद्पि भिंड और मेहगांव विधानसभा के तीन-तीन बार के विधायक बनने वाले राकेश शुक्ला और नरेंद्र सिंह को पार्टी ने तबज्जों दिया तो अम्बरीष शर्मा का मंत्री पद रूक सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *