भारत सरकार ने लॉन्च किया ‘भारत चावल’

 भारत सरकार ने लॉन्च किया ‘भारत चावल’
जानें क्या है सस्ते चावल के दाम और कहां से खरीद सकते हैं

महंगाई पर लगाम लगाने और देश की जनता का बोझ कम करने के लिए सरकार की कोशिशें लगातार जारी हैं। जब आटे-दाल की कीमतें बढ़ीं तो सरकार ने भारत ब्रांड लॉन्च किया, जिसके जरिए लोगों को कम कीमतों पर दाल और आटा मुहैया कराया गया।

‘भारत ब्रांड’ के नाम से सरकार अभी तक सिर्फ दाल और आटा ही बाजार से कम दामों पर बेच रही थी, लेकिन अब ‘भारत चावल’ भी लॉन्च कर दिया गया है, जो गत 6 फरवरी से बिकना शुरू हो गया है।

भारत चावल की शुरुआत का उद्देश्य उचित कीमतों पर बाजार में आपूर्ति को बढ़ावा देना है। साथ ही बीते कुछ दिनों में अनाज की कीमतों में 15% की बढ़ोत्तरी होने के बाद लोगों को महंगाई से राहत देने के लिए भी सरकार ने यह कदम उठाया है।

आज जरूरत की खबर में बात करेंगे कि ‘भारत चावल’ क्या है, इसकी कीमत क्या है। साथ ही कौन लोग और कहां से यह चावल खरीद सकते हैं।

सवाल: भारत चावल क्या है?

जवाब: मिडिल क्लास उपभोक्ताओं और गरीबों को महंगाई से राहत देने के लिए ‘भारत ब्रांड’ नाम से खुदरा कारोबार के तहत चावल बाजार से कम दामों पर बेचा जाएगा। ‘भारत चावल’ के प्रति किलो में 5 प्रतिशत टूटे हुए चावल होंगे।

भारतीय खाद्य निगम (FCI) पहले चरण में दो सहकारी समितियों नेशनल एग्रीकल्चरल कोऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (NAFED), नेशनल कोऑपरेटिव कंज्यूमर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (NCCF) के अलावा केंद्रीय भंडार को 5 लाख टन चावल प्रोवाइड कराएगा।

ये एजेंसियां 5 और 10 किलोग्राम के पैक में भारत चावल की पैकिंग करेंगी और ‘भारत’ ब्रांड के तहत अपने आउटलेट्स के माध्यम से फुटकर बिक्री करेंगी। इसे ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के जरिए भी बेचा जाएगा।

सवाल: भारत चावल कहां से खरीद सकते हैं?

जवाब: भारत’ चावल को आप NAFED और NCCF के सभी रिटेल स्टोर्स और मोबाइल आउटलेट्स से खरीद सकते हैं।

 

‘भारत आटा’ सबसे पहले खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत थोक खरीदारों को बेचा जाता था। इसकी सफलता के बाद अब दाल और चावल भी इसके जरिए बेचा जा रहा है।

अब सरकार की ओर से चलाई जा रही राशन से जुड़ी कुछ और योजनाओं के बारे में जान लेते हैं।

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY)

इस योजना की अवधि 1 जनवरी, 2024 से पांच साल के लिए यानी दिसंबर, 2028 तक के लिए बढ़ाई गई है। इसके तहत मुफ्त राशन (गेहूं, चावल और मोटे अनाज/बाजरा) 2028 तक उपलब्ध कराया जाएगा। साथ ही सरकार दाल और प्याज/टमाटर के साथ-साथ चीनी और तेल भी किफायती दरों पर देगी।

केंद्र सरकार का मानना है कि इस योजना के जरिए गरीबों को फायदा मिल रहा है और इसे जारी रखा जाना चाहिए। पहले ये योजना केवल कोरोना काल के तीन महीनों (अप्रैल-जून 2020) के लिए थी। बाद में इसे कई बार बढ़ाया गया। 31 दिसंबर, 2023 को यह योजना खत्म होने वाली थी, लेकिन अब 2028 तक चलेगी। इस योजना के तहत 81.35 करोड़ गरीबों को मुफ्त खाद्यान्न दिया जाएगा। योजना में सरकार 11.8 लाख करोड़ रुपए खर्च करेगी।

अंत्योदय अन्न योजना: देश के ऐसे नागरिक, जो आर्थिक तंगी के कारण राशन खरीदने में भी असमर्थ हैं, उनके लिए केंद्र सरकार द्वारा 1 जनवरी, 2023 से अंत्योदय अन्न योजना (AAY) नए रूप में शुरू की गई थी। इस योजना के तहत लाभार्थी परिवारों को अंत्योदय राशन कार्ड मिलता है। इसी कार्ड के माध्यम से उन्हें हर महीने 35 किलो राशन बांटा जाता है। योजना के तहत अत्यंत गरीब लोगों को खाद्य सुरक्षा दी जाती है।

बुजुर्गों के लिए अन्नपूर्णा योजना: अन्नपूर्णा योजना उन वरिष्ठ नागरिकों के लिए है, जो राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना के अंतर्गत नहीं आते हैं। इसके तहत 65 साल से ऊपर के बुजुर्ग व्यक्ति को हर महीने 10 किलो राशन मुफ्त दिया जाता है।

सबला योजना: सबला योजना को 2010 में पोषण कार्यक्रम और किशोरी शक्ति योजना (KSY) का एक में विलय करके शुरू किया गया था। इस योजना का उद्देश्य 11 से 18 वर्ष की किशोरियों के पोषण और स्वास्थ्य की स्थिति में सुधार करना और उन्हें स्किल ट्रेनिंग देना है। स्कूलों और पंचायतों के जरिए गांव की लड़कियों को पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन और कैलोरी युक्त पोषक खाना साल में 300 दिन दिया जाता है।

सवाल: सस्ते और मुफ्त राशन की इस तरह की योजनाएं क्यों जरूरी हैं?

जवाब: वैश्विक भुखमरी सूचकांक, 2023 की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत की स्थिति काफी चिंताजनक है। विश्व के 125 देशों में भारत 111वें स्थान पर है। सरकारों के सामने विशाल आबादी के लिए भोजन उपलब्ध कराना एक चुनौती है।

वहीं संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन की 2021 की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2020 में दुनिया में हर तीन में से एक आदमी को पर्याप्त भोजन नहीं मिला। कोरोना काल के बाद स्थिति थोड़ी और बिगड़ी है। हेल्दी डाइट दुनिया के करीब 300 करोड़ लोगों की पहुंच से बाहर है। ऐसे में अन्न से जुड़ी कल्याणकारी योजनाएं बेहद जरूरी हैं।

भोजन की थाली में क्या-क्या होना जरूरी

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रीशन की रिपोर्ट (व्हॉट इंडिया ईट्स) के मुताबिक एक व्यक्ति के भोजन की थाली में 270 ग्राम अनाज, 90 ग्राम दाल, 300 ग्राम दूध और दूध से जुड़े उत्पाद, 350 ग्राम सब्जियां और 150 ग्राम फल होना चाहिए। लेकिन हकीकत में ग्रामीण भारत के लोगों की थाली में 395 ग्राम अनाज, 43 ग्राम दाल, 118 ग्राम दूध, 80 ग्राम सब्जियां और 47 ग्राम फल ही हैं। इससे पता चलता है कि भारतीयों के भोजन की थाली बेहद असंतुलित है।

शहरी भारत में भोजन की थाली में 293 ग्राम अनाज है, लेकिन दालें केवल 38.6 ग्राम ही हैं। सब्जियां 92 ग्राम और फल केवल 51.6 ग्राम हैं। भोजन की थाली में 1207 ग्राम खाद्य सामग्री होना चाहिए, लेकिन शहरी भारत में थाली में 871 ग्राम और ग्रामीण लोगों की थाली में 900 ग्राम सामग्री ही होती है।

चलते-चलते…

भारत चावल को NAFED और NCCF के सभी रिटेल स्टोर्स से खरीद सकते हैं।

नेशनल एग्रीकल्चरल कोऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (NAFED): इस सरकारी संस्था की स्थापना 2 अक्टूबर, 1958 को हुई थी। इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है। यह ऑर्गेनाइजेशन बहु-राज्य सहकारी सोसायटी अधिनियम के तहत रजिस्टर्ड है। इसका उद्देश्य एग्रीकल्चर को बढ़ावा देना है, जिससे किसानों को फायदा हो।

नेशनल कोऑपरेटिव कंज्यूमर फेडरेशन ऑफ इंडिया (NCCF): इसकी स्थापना 16 अक्टूबर, 1965 को हुई थी। इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है। इसकी स्थापना देश में उपभोक्ता सहकारी समितियों की निगरानी और काम-काज के सही संचालन के लिए की गई थी।

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