कहीं आप बर्नआउट का शिकार तो नहीं …भारत में 59% नौकरीपेशा लोग इसकी चपेट ?
हर जॉब करने वाला व्यक्ति कभी-न-कभी अपने काम से जुड़े तनाव का प्रेशर जरूर महसूस करता है। भले ही वह जो काम करता है, उससे बेहद प्यार करता हो।
काम समय पर पूरा करने या कोई चुनौतीपूर्ण दायित्व निभाते समय तनाव का अनुभव होना स्वाभाविक है। लेकिन जब यही तनाव लगातार बना रहता है तो यह शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों के लिए नुकसानदायक हो सकता है।
साल 2023 में न्यूयॉर्क के मैकिन्जी हेल्थ इंस्टीट्यूट ने दुनिया के 30 देशों के 30 हजार कर्मचारियों पर एक सर्वे किया। इसमें पाया गया कि दुनिया भर में औसत 20% कर्मचारियों को बर्नआउट की शिकायत है। वहीं भारत में ये आंकड़ा 59% यानी तकरीबन तीन गुना अधिक है। सर्वे में ये भी बताया गया कि छोटी कंपनियों में काम करने वाले 18 से 24 साल के युवा बर्नआउट का ज्यादा शिकार हो रहे हैं।
हम वर्कप्लेस पर होने वाले तनाव और बर्नआउट को कम करने के तरीकों के बारे में बात करेंगे…
- स्ट्रेस और बर्नआउट में क्या अंतर है?
- इससे हमारी फिजिकल और मेंटल हेल्थ पर क्या प्रभाव पड़ता है?
- वर्क स्ट्रेस को दूर करने के लिए हम अपने स्तर पर क्या कर सकते हैं?
स्ट्रेस और बर्नआउट में क्या अंतर है?
स्ट्रेस या तनाव आमतौर पर वर्क प्रेशर, अनहेल्दी लाइफस्टाइल जैसे कारणों की वजह से होता है। यह कुछ घंटों या दिनाें के लिए हो सकता है। इसमें व्यक्ति अपनी मौजूदा स्थिति के बारे में ज्यादा सोचता रहता है।
बर्नआउट में व्यक्ति काम करते-करते मानसिक रूप से पूरी तरह थक जाता है। इसकी वजह से उसे शारीरिक थकान महसूस होती है। इसके अलावा इसमें मूड स्विंग की समस्या भी हो सकती है।
हालांकि तनाव की तुलना में यह जल्दी ठीक हो सकता है।
तनाव और बर्नआउट की समस्या में लगभग एक जैसे लक्षण होते हैं। लेकिन इनके कारण अलग-अलग होते हैं। स्ट्रेस और बर्नआउट में अंतर समझने के लिए नीचे ग्राफिक देखिए-
वर्क स्ट्रेस और बर्नआउट का सेहत पर असर
काम का बहुत अधिक तनाव या बर्नआउट फिजिकल और मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम्स का कारण बन सकता है। इससे होने वाली समस्याएं लगभग एक जैसी होती हैं। इसमें सिरदर्द, बदन दर्द, मतली, दस्त जैसी कई फिजिकल हेल्थ प्रॉब्लम्स हो सकती हैं। इसके अलावा एंग्जाइटी, चिड़चिड़ापन, घबराहट, डिप्रेशन जैसी मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम्स का भी खतरा होता है।
वर्क स्ट्रेस और बर्नआउट से कैसे बचें
वर्क स्ट्रेस की समस्या किसी को भी हो सकती है। लेकिन जब ये अधिक समय तक बनी रहती है तो बर्नआउट का रूप ले लेती है। हालांकि कुछ तरीकों को अपनाकर वर्क स्ट्रेस और बर्नआउट दोनों को कम किया जा सकता है। नीचे दिए ग्राफिक से इसे समझिए-
आइए, अब ऊपर दिए कुछ जरूरी पॉइंट्स के बारे में विस्तार से बात करते हैं।
तनाव की पहचान करना जरूरी
स्ट्रेस को मैनेज करने के लिए पहला कदम इसके सोर्स की पहचान करना है। काम के दौरान तनाव को ट्रिगर करने वाली चीजों की पहचान करें। कहीं यह हैवी वर्कप्रेशर, डेडलाइन, बॉस, कुलीग्स या रिसोर्सेस की कमी की वजह से तो नहीं है?
जब आप तनाव के कारण की पहचान कर लेते हैं तो उसे दूर करने के लिए आवश्यक कदम उठा सकते हैं।
टाइम मैनेजमेंट का रखें ख्याल
टाइम मैनेजमेंट वर्क लाइफ बैलेंस के लिए बेहद जरूरी है। सभी के पास दिन के 24 घंटे ही होते हैं, लेकिन हर कोई इसका अपने-अपने तरीके से इस्तेमाल करता है। कोई अपना पूरा दिन सोकर बिता देता है तो कोई अपने समय का सार्थक तरीके से इस्तेमाल करता है।
टाइम मैनेजमेंट के जरिए हम अपने ऑफिस वर्क के साथ-साथ पर्सनल लाइफ के लिए भी पर्याप्त समय निकाल सकते हैं। अगर टाइम मैनेजमेंट सही है तो समय पर सारे काम खत्म करके स्ट्रेस और बर्नआउट को कम कर सकते हैं।
सेल्फ-केयर पर भी दें ध्यान
शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को अच्छा बनाए रखने के लिए सेल्फ-केयर बहुत जरूरी है। इसके लिए रोजाना वर्कआउट करें, हेल्दी डाइट लें और पर्याप्त नींद लें।
वर्कआउट तनाव को कम करने और मूड को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है। जबकि हेल्दी डाइट व पर्याप्त नींद सेहत को बेहतर बनाती है। इसके अलावा नियमित मेडिटेशन करें। ये तनाव को कम करने में मददगार है।
जरूरत पड़ने पर मांगें मदद
तनाव और बर्नआउट से निपटने के दौरान दूसरों से सहायता ले सकते हैं। इसके लिए अपने किसी भरोसेमंद दोस्त, कुलीग या परिवार के सदस्य से बात करें। उसे अपने तनाव के कारण के बारे में बताएं।
अपनी भावनाओं को अन्य लोगों के साथ साझा करने से तनाव को काफी हद तक कम किया जा सकता है। अगर आप लगातार वर्क स्ट्रेस या बर्नआउट की समस्या से जूझ रहे हैं तो प्रोफेशनल हेल्प लेने पर विचार करें।
काम के बीच में ब्रेक जरूर लें
पूरे वर्किंग-डे में नियमित रूप से ब्रेक लेने से तनाव कम करने और बर्नआउट को रोकने में मदद मिल सकती है। स्ट्रेच करने, घूमने या कुछ देर आराम करने के लिए हर घंटे या दो घंटे में छोटे ब्रेक लें। इससे मसल्स को आराम मिलता है और प्रोडक्टिविटी बढ़ाने में भी मदद मिल सकती है।