हाथरस भगदड़:न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट में प्रशासन की लापरवाही उजागर, SDM और CO की भूमिका पर सवाल

हाथरस भगदड़ मामले की न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट में तत्कालीन एसडीएम और क्षेत्राधिकारी की भूमिका पर सवाल उठाए गए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि सत्संग की मंजूरी देना और यातायात व्यवस्था की कमान आयोजक के निजी सुरक्षा कर्मियों को सौंपना गलत था। आयोग ने सुझाव दिया है कि आयोजन की मंजूरी देने से लेकर भीड़ प्रबंधन तक की जिम्मेदारी जिला और पुलिस प्रशासन को ही रखनी चाहिए।

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न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट में एसडीएम व सीओ की भूमिका पर सवाल…
  1. हाथरस भगदड़ मामले की जांच रिपोर्ट में सीओ व एसडीएम की भूमिका पर प्रश्नचिह्न
  2. धार्मिक समागम में भगदड़ से हुई थी 121 लोगों की मौत
  3. विधानमंडल के बजट सत्र में पेश की जा सकती है रिपोर्ट
लखनऊ। हाथरस मामले की न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट में तत्कालीन एसडीएम व क्षेत्राधिकारी की भूमिका पर प्रश्नचिह्न लगाया गया है। सूत्रों के अनुसार, सत्संग की मंजूरी देने व यातायात व्यवस्था की कमान आयोजक के निजी सुरक्षा कर्मियों के हाथों में सौंपने को गलत ठहराया गया है।

साथ ही सुझाव दिया है कि इस प्रकार के आयोजनों की मंजूरी देने से लेकर भीड़ प्रबंधन की कमान जिला व पुलिस प्रशासन को अपने हाथों में रखनी चाहिए थी। न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट को बीते दिनों हुई कैबिनेट की बैठक में सदन के पटल पर रखने की मंजूरी दे दी गई है।

हाथरस के सिकंदराराऊ क्षेत्र के फुलराई गांव में बीते वर्ष दो जुुलाई 2024 को भोले बाबा उर्फ नारायण हरि के सत्संग के बाद मची भगदड़ में 121 लोगों की मौत हो गई थी। राज्य सरकार ने हादसे की जांच के लिए हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति ब्रजेश कुमार श्रीवास्तव की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन किया था।
रिटायर्ड आइपीएस अधिकारी बने थे आयोग के सदस्य
सेवानिवृत्त आइपीएस अधिकारी भवेश कुमार सिंह व सेवानिवृत्त आइएएस अधिकारी हेमंत राव को आयोग का सदस्य बनाया गया था। आयोग ने हादसे को लेकर भोले बाबा के अलावा सभी मृतकों के स्वजन, घायलों व प्रत्यक्षदर्शियों के बयान दर्ज किए थे। रिपोर्ट में कई बिंदुओं को उजागर किया गया है।
आयोग ने जनवरी माह के अंतिम सप्ताह में सरकार को रिपोर्ट सौंपी थी, जिसे कैबिनेट की बैठक पेश किया जा चुका है। सदन के बजट सत्र में रिपोर्ट पेश किए जाने की उम्मीद है। सूत्रों के अनुसार रिपोर्ट में भोले बाबा को आरोपी नहीं ठहराया गया है। वहीं आयोग ने पुलिस की जांच को सही ठहराया है और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए कई सुझाव भी दिए हैं। 

महाकुंभ में हुई भगदड़ की जांच के लिए समय बढ़ाया
महाकुंभ में मौनी अमावस्या के दिन हुई भगदड़ व श्रृद्धालुओं की मौत के मामले की जांच के लिए न्यायिक जांच आयोग को एक माह का और समय दिया गया है। राज्य सरकार ने बीती 29 जनवरी को सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति हर्ष कुमार की अध्यक्षता में न्यायिक जांच आयोग का गठन कर जांच पूरी करने के लिए एक माह का समय दिया था।
आयोग ने 30 जनवरी से हादसे की जांच शुरू कर दी थी। सूत्रों के अनुसार, पीड़ितों के बयान दर्ज किए जाने के बाद कुछ और जानकारियां सामने आइ हैं। नतीजतन सरकार ने जांच का समय एक माह और बढ़ा दिया है। आयोग में सेवानिवृत्त आइपीएस अधिकारी वीके गुप्ता व सेवानिवृत्त आइएएस अधिकारी डीके सिंह को सदस्य बनाया गया है।
बता दें कि हादसे में 30 श्रृद्धालुओं की मौत हो गई थी और 60 से अधिक श्रद्धालु घायल हुए थे। हादसे में साजिश की आशंका की जांच भी एजेंसीज कर रही हैं। 

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