भ्रष्ट परिवहन आरक्षक सौरभ शर्मा….. सब स्क्रिप्ट के अनुसार चल रहा ?
लोकायुक्त संगठन में महानिदेशक रहे अरुण गुर्टू कहते हैं कि अब तक जो तस्वीर सामने आई है, उससे लगता है लोकायुक्त पुलिस सौरभ शर्मा का कुछ नहीं कर पाएगी। उसका, उसके रिश्तेदारों का या संरक्षण देने वालों का कहीं से कोई भी लिंक प्रापर्टी से नहीं जुड़ रहा है। आरोपितों ने ऐसी फुलप्रूफ तैयारी की हुई है कि आगे भी लोकायुक्त पुलिस इनका कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा।

- आरोपियों को मिली जमानत यानी पहले से लिखी पटकथा के अनुसार ही चल रही कार्रवाई।
- 52 किलो सोना और लगभग 11 करोड़ रुपये नकदी किसकी, यह रहस्य तो बना ही रहेगा।
- सौरभ शर्मा ने बेदाग बचाने के आश्वासन पर ही जांच एजेंसियों के सामने मुंह नहीं खोला था।
भोपाल। काली कमाई के प्रतीक बने परिवहन विभाग के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा के कथित मददगार और उसके पीछे छिपे नेताओं को बचाने जो पटकथा लिखी गई थी, उसी के अनुसार अब उनके चेहरों का दाग दिख नहीं पाएगा। सौरभ शर्मा और उसके साथियों को लोकायुक्त की विशेष कोर्ट से जमानत मिलने के बाद अब आयकर विभाग द्वारा जब्त 52 किलो सोना और 11 करोड़ रुपये नकदी किसकी है, यह रहस्य भी बना ही रहेगा।
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- माना यही जा रहा है कि सौरभ शर्मा और उसके सहयोगी नेताओं को बचाने के लिए ही लोकायुक्त पुलिस सहित ईडी और आयकर विभाग ने उनका नार्को टेस्ट कराकर सच्चाई सामने लाने का प्रयास नहीं किया।
- यह जांच की कमजोरी ही कही जाएगी कि तीन जांच एजेंसियां आयकर विभाग, ईडी और लोकायुक्त पुलिस भी पता नहीं लगा पाई कि लावारिस पड़ी कार में रखा 52 किलो सोना और लगभग 11 करोड़ रुपये नकदी का असली मालिक कौन है।
- सुरक्षित रखने के आश्वासन पर ही सौरभ ने किया था सरेंडर मामला सामने आने के 40 दिन बाद 28 जनवरी को सौरभ शर्मा को लोकायुक्त पुलिस ने नाटकीय ढंग से गिरफ्तार किया था।
- इससे एक दिन पहले उसने आत्मसमर्पण के लिए भोपाल जिला न्यायालय के विशेष न्यायाधीश के समक्ष प्रस्तुत होकर प्रार्थनापत्र दिया था।
- इस पर अगले दिन सुबह सुनवाई होनी थी। इसके पहले नाटकीय गिरफ्तारी से स्पष्ट हो गया था कि सौरभ शर्मा और उसके पीछे छिपे चेहरों को बचाने के लिए पटकथा लिख ली गई है।
- यह संदेह भी सही निकला कि सौरभ ने बेदाग बचाने के आश्वासन पर ही जांच एजेंसियों के सामने मुंह नहीं खोला और सरेंडर भी कर दिया।
- जानबूझकर नहीं कराया नार्को टेस्ट लोकायुक्त पुलिस, ईडी और आयकर विभाग ने भी विवेचना में लापरवाही बरती।
- पूर्व पुलिस अधिकारियों का मानना है कि जानबूझकर उसका नार्को टेस्ट नहीं कराया गया।
- लोकायुक्त पुलिस कहती रही कि 52 किलो सोना और 11 करोड़ रुपये नकदी किसकी है, यह प्रमाणित करना आयकर विभाग का काम है क्योंकि उसने ही गाड़ी से यह नकदी और सोना बरामद किया है।
लोकायुक्त पुलिस का तर्क गले उतरने वाला नहीं
- कांग्रेस के वरिष्ठ नेता केके मिश्रा ने कहा कि लोकायुक्त पुलिस का यह तर्क अजीबोगरीब है कि मामला गंभीर है।
- इसलिए सभी दस्तावेज व साक्ष्यों के पूर्ण परीक्षण के बाद अभियोजन की स्वीकृति मिलने पर चार्जशीट पेश की जाएगी।
- यह बात अपने दायित्वों के प्रति अयोग्यता या सरकारी दबाव या भारी भरकम भ्रष्टाचार में भी भ्रष्टाचार होने का स्पष्ट संकेत हैं।
- 60 दिनों की अवधि में चालान पेश करने की बाध्यता के बावजूद लोकायुक्त पुलिस ने कानून की मंशा के विरुद्ध समय पूर्व इस संबंध में तैयारी क्यों नहीं की गई।
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एक महीना बीता…कहां है भ्रष्ट धनकुबेर सौरभ शर्मा ? 52 किलो सोना किसका ये भी पता नहीं चला

Saurabh Sharma Corruption Case: मध्यप्रदेश में करोड़ों की काली कमाई का कथित सरगना और परिवहन विभाग का पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा कहां है? दो केंद्रीय और एक राज्य की एक जांच एजेंसी, छापे के महीना भर बीत जाने के बाद भी इस सवाल का जवाब ढूंढ नहीं पाई हैं . लगता है कि इन एजेंसियों के हाथ सौरभ शर्मा के गिरेबान तक नहीं पहुंच पा रहे हैं. खुद लोकायुक्त पुलिस के डीजी जयदीप प्रसाद का कहना है कि उन्हें सौरभ के लोकेशन की जानकारी नहीं है. इसके बारे में अभी जानकारी जुटाई जा रही है. दूसरी तरफ राज्य में उसके नाम पर सियासत भी खूब हो रही है. कांग्रेस का वार और बीजेपी का पलटवार जारी है. इन सबके बीच सौरभ के वकील का कहना है उसके मुवक्किल की जान को खतरा है, इसी वजह से वो सामने नहीं आ रहा है.
बीते दिन यानी रविवार को ED ने एक बार फिर से सौरभ शर्मा के करीबियों के यहां छापे मारी की. भोपाल, ग्वालियर और महाराष्ट्र के पुणे में की गई इस छापेमारी में 12 लाख रुपये नकद और 9.9 किलोग्राम चांदी और डिजिटल डिवाइस की बरामदगी हुई है. इसके अलावा बैंक खातों में भी 30 लाख की संदिग्ध राशि को जब्त किया गया है. जाहिर है जांच एजेंसियां लगातार एक्शन में हैं लेकिन खुद सौरभ शर्मा भारत में है या फिर विदेश में इसकी सटीक जानकारी नहीं मिल पा रही है. बता दें कि महीने भर पहले भोपाल में एक कार से 52 किलो सोना और 11 करोड़ की नकदी बरामद हुई थी. इसी के बाद से सौरभ शर्मा सुर्खियों में है.
सरकारी डॉक्टर थे सौरभ के पिता
बता दें कि सौरभ के पिता सरकारी डॉक्टर थे, लेकिन स्वास्थ्य विभाग में जगह खाली ना होने की वजह से परिवहन विभाग में अनुकंपा नियुक्ति मिली. कुछ कागजातों के हवाले से ये कहा जा रहा है सूबे के कद्दावर मंत्रियों, अधिकारियों ने उसकी सिफारिश की. सरकारी मुलाज़िम बनकर उसने सिर्फ 2016 से 2023 तक सिर्फ सात साल काम किया. इन्हीं 7 सालों में उसने अकूत संपत्ति जोड़ ली . हालांकि उसकी असल कहानी शुरू हुई एक महीने पहले भोपाल में पड़े लोकायुक्त पुलिस के छापों के बाद से. उस समय भोपाल के पास ही जंगल में एक कार भी मिली जिसमें करोड़ों की नगदी और 52 किलो सोना था. जिसके बाद मामले में आयकर विभाग भी आ गया. दोनों एजेंसियां कार्रवाई कर ही रही थी कि ED ने भी अपनी जांच शुरू कर दी. बीते एक महीने से तीनों ही एजेंसियां इस मामले में सक्रिय हैं.
52 किलो सोना किसका, ये भी पता नहीं चला
वैसे सौरभ शर्मा के काले साम्राज्य में गोल्डन कार की भूमिका बड़ी अहम है.गोल्डन कार को भोपाल पुलिस की मदद से आयकर विभाग ने बरामद किया था. गोल्डन कार चेतन गौर के नाम से रजिस्टर्ड है. गौर सौरभ का अच्छा दोस्त है और जांच एजेंसियां उससे पूछताछ कर चुकी हैं.
कांग्रेस का वार, बीजेपी का पलटवारदूसरी तरफ सौरभ शर्मा के नाम पर मध्य प्रदेश की सियासत भी गरम हो गई है. कांग्रेस ने उपनेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे सवाल उठा रहे हैं कि आखिर सौरभ को जांच एजेंसियां क्यों नहीं पकड़ पा रही है? उन्होंने पूर्व परिवहन मंत्री पर आरोप लगाया तो पूर्व मंत्री ने कटारे को ही कठघरे में खड़ा कर दिया. हेमंत कटारे का कहना है कि ये पुलिस इंटेलिजेंस की विफलता है. वे आज तक ये नहीं बता पाए कि सौरभ शर्मा दुबई में है या फिर दिल्ली या फिर पंजाब में? इसकी दो ही वजहें हो सकती हैं. पहला ये की हमारी पुलिस विफल है और दूसरा ये कि सौरभ को भूपेन्द्र सिंह जैसे बड़े नेताओं की संरक्षण हैं. ये नेता नहीं चाहते कि उनका पोल खुल जाए.
हेमंत कटारे के वार पर खुद पूर्व परिवहन मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने पलटवार किया है. उनका कहना है कि कोई किसी को बचाने की कोशिश नहीं कर रहा है. सभी एजेंसियां जांच कर रही हैं. सरकार तो सभी आरोपियों पर कार्रवाई करने के लिए प्रतिबद्ध है लेकिन कुछ लोग पत्रकार वार्ता करके जांच को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं.
वे मामले को डायवर्ट करने की कोशिश कर रहे हैं ताकि असली आरोपी बच जाए.
ये पैसा सौरभ का नहीं, उसकी जान को खतरा है: वकील उधर सौरभ के वकील राकेश पाराशर का कहना है ये पैसा रसूखदारों का है, सौरभ लौटा तो उसकी जान को खतरा है. राकेश का कहना है कि यदि हमें गांरटी दी जाती है कि हमारी जान को कोई खतरा नहीं है तो हम एजेंसियों के सामने आयेंगे औऱ सारी बातों को साफ कर देंगे. वकील का कहना है कि सारा कुछ बड़े लोगों का किया-धरा है और इसे छोटे लोगों पर डाला जा रहा है. मैं मोहन यादव सरकार से गुजारिश करता हूं कि सबसे पहले सौरभ शर्मा को सुरक्षा दी जाए. तभी इस मामले के मुख्य आरोपी का नाम सामने आएगा. सौरभ की जान को खतरा है इसलिए हम सुरक्षा मांग रहे हैं.
दिल्ली या आसपास के इलाके में हो सकता है: सूत्रदूसरी तरफ सूत्रों का कहना है कि सौरभ शर्मा मध्यप्रदेश नहीं बल्कि दिल्ली औरआसपास के शहरों में हो सकता है. वो बेंगलुरू के दो मोबाइल सिम के जरिए अपने परिजनों के संपर्क में है. बताया जा रहा है कि सौरभ के घर नाम बंटी है. वो अपने फोन कॉल में इसी नाम से अपने परिजनों से बात करता है. यानी उसके परिजनों को पता हो सकता है कि कि सौरभ कहां है? फिलहाल जांच एजेंसियां सौरभ शर्मा के कनेक्शन में कुछ पूर्व अधिकारियों की कुंडली भी तलाश रही हैं.