क्या अगले साल भारत की किस्मत बदल देगा 5G, सरकार ने लगाया सबसे बड़ा दांव

भारत में ज्यादातर टेलिकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स के पास वर्तमान में 5G Ecosystem के लिए निवेश और निर्माण को लेकर वित्तीय कमी है लेकिन सरकार ने संकेत दिया है कि वह प्रक्रिया शुरू करने के लिए तैयार है.

साल 2020 के बीतने में अब चंद दिन ही बाकी हैं और विश्व एक नए दशक में प्रवेश करने जा रहा है. साल 2020 को मानव स्मृति में सबसे विघटनकारी साल के तौर पर याद किया जाएगा. जैसे ही महामारी (Corona Epidemic) दुनियाभर में फैली, वह दूरसंचार नेटवर्क और टेक्नोलॉजी सेवाएं ही थीं, जिसने लोगों को आपस में जोड़े रखा. व्यापक लॉकडाउन (Lockdown) के बावजूद 4जी नेटवर्क वैश्विक अर्थव्यवस्था को बनाए रखने में कामयाब रहा. हालांकि वैश्विक आर्थिक गतिविधि काफा मंद पड़ गई, मगर लोगों के पास उनके घरों पर इंटरनेट के जरिए स्वास्थ्य सेवाओं, शिक्षा, सूचना और मनोरंजन की पहुंच बरकरार रही.

हाई स्पीड वाली दूरसंचार सेवाओं के लिए यह काफी महत्वपूर्ण समय रहा. उद्योग के विशेषज्ञों का कहना है कि अब भारत की टेलीकॉम स्टोरी को पुनर्जीवित करने और भविष्य की टेक्नोलॉजी को तेजी से पेश करने के प्रति मानसिकता में बदलाव आया है. इस महीने की शुरुआत में टेक्नोलॉजी मामलों के दूरसंचार विभाग (DoT) के सदस्य के रामचंद ने कहा था कि वह जल्द ही नीलामी के लिए 5जी स्पेक्ट्रम बैंड की घोषणा करेंगे. यह एक स्पष्ट संकेत है कि 5जी को अपनाना अब सरकार के लिए प्राथमिकता है. अधिकांश भारतीय दूरसंचार सेवा प्रदाताओं के पास वर्तमान में 5जी इकोसिस्टम के लिए निवेश और निर्माण को लेकर वित्तीय कमी है लेकिन सरकार ने संकेत दिया है कि वह प्रक्रिया शुरू करने के लिए तैयार है.

5जी टेक्नोलॉजी से बिजनेस में कई संभावनाएं

सेलुलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल डॉ एसपी कोचर ने कहा कि 5जी टेक्नोलॉजी बिजनेस मॉडल के संदर्भ में कई संभावनाओं को खोलने के लिए तैयार है. उनका कहना है कि इससे सभी की जीवनशैली पर भी प्रभाव पड़ने वाला है. उन्होंने कहा, “हम विकास और देश की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में एक भूमिका निभाने के लिए उद्योग को सक्षम करने में सरकार के समर्थन की तलाश कर रहे हैं. 5जी की क्षमता बहुत अधिक है और यह भारत के लिए पूरे खेल को बदलने में सक्षम है. इसके साथ ही यह सरकार के कैंपेन जैसे कि मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, आत्मनिर्भर भारत के लिए उत्प्रेरक बन सकता है.”

सइएंट के हेड और सीओओ कार्तिक नटराजन ने कहा, “हम संचार नेटवर्क के क्षेत्र में महत्वपूर्ण निवेश देख रहे हैं. वर्तमान डिजिटल परिवर्तन से यूजर्स का एक्सपीरियंस बढ़ेगा, परिचालन क्षमता (operational efficiency) बढ़ेगी और उद्यम व्यवसायों के लिए प्रतिस्पर्धा में बढ़त होगी. विश्व स्तर पर नेटवर्क इन्फ्रास्ट्रक्चर के डिजाइन, वितरण, परिनियोजन, माइग्रेशन और समर्थन में हमारा अनुभव हमें 5जी की शुरुआत (रोलआउट) के लिए एक आदर्श भागीदार बनाता है.”

एफएबी की कमी भारत के सामने बड़ी चुनौती

पिछले कुछ वर्षो में कई वैश्विक टेक्नोलॉजी कंपनियों ने भारत में मैन्युफैक्चरिंग बेस सेट किया है. सैमसंग को हाल ही में अपने नोएडा कारखाने में ओएलईडी बनाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार से मंजूरी मिली है. हालांकि इस तरह के निवेश महत्वपूर्ण हैं लेकिन अनुसंधान एवं विकास (आर एंड डी), सेमीकंडक्टर्स और भविष्य की तकनीक में निवेश के लिए बहुत अधिक प्रोत्साहन की जरूरत है.

इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण में भारत के सामने बड़ी चुनौती विश्व स्तरीय सेमीकंडक्टर निर्माण इकाई (एफएबी) की कमी है. अब समय आ गया है कि सरकार या तो वैश्विक दिग्गजों को भारत में निवेश कि लिए आकर्षित करे या फिर घरेलू स्तर पर ही इस पर काम शुरू किया जाए.

मीडियाटेक इंडिया के प्रबंध निदेशक अंकु जैन ने कहा, “2020 में 5जी के लिए मुख्यधारा तय करने के लिए मंच निर्धारित किया गया है और 2021 में यह अगली जनरेशन 5जी स्मार्टफोन, नई ऐप्स और स्मार्ट टीवी जैसे स्मार्ट डिवाइस, टैबलेट्स, वॉयस इंटरफेस के साथ एकीकृत फोन जैसे स्मार्ट उपकरणों की मांग में वृद्धि करेगा.”

यह देखना दिलचस्प और महत्वपूर्ण होगा कि भारत कैसे टीएमटी उद्योग में 5जी के साथ भविष्य की तकनीकों में निवेश को आकर्षित कर सकता है और अगले तीन से पांच वर्षों में आर्थिक अवसरों की एक श्रृंखला पेश कर सकता है.

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