सड़क पर सिमटी जिंदगी:खेत बने खाई, बाढ़ के डर से रात भर सो नहीं पा रहे भितरवार के 22 गांवों के लोग

  • सिला गांव में मुख्यमंत्री के दौरे के बाद सर्वे टीम के दौरे बढ़े पर ग्रामीणों काे राहत नहीं मिल पा रही

ग्वालियर से करीब 58 किलो मीटर दूर भितरवार कस्बे से ही मंगलवार, तीन अगस्त से आई बाढ़ की विभीषिका दिखाई देने लगती है। पक्के घरों की दीवारों पर जमे पानी के निशान आसानी से देखे जा सकते हैं। भितरवार कस्बे के 22 गांवों के लगभग हर घर में बाढ़ की विभीषिका की अपनी-अपनी कहानियां हैं। भितरवार कस्बे से करीब छह किलो मीटर दूर सिला गांव में ज्यादातर घर बाढ़ के कारण क्षतिग्रस्त हो गए हैं। गांव में एक मात्र कुआं है जिसका पानी बाढ़ का पानी भरने से गंदा हो गया है। गांववालों को इसी पानी का इस्तेमाल करना पड़ रहा है। गांव में अनाज सड़ने की बदबू चारों ओर फैली है ।

गांव के गुलाब सिंह बाथम कहते हैं कि हम मंगलवार की बाढ़ के बाद गांव से चले गए थे कल ही लौटै हैं। जिन टीन के बड़े-बड़े ड्रमों में अनाज था पानी जाने के बाद वो फूल गया और फिर उनके फटने से घर की दीवारें गिर गईं। गुलाब कहते हैं कि हम खेतों में मजदूरी करते हैं, खेतों में भी फसलें नष्ट हो गई हैं ऐसे में काम का भी संकट आ गया है। सारा अनाज सड़ गया है। सरकारी मदद की बात करते हुए वो कहते हैं कि मुख्यमंत्री के दौरे के बाद सर्वे टीमें बार-बार आ रहीं हैं लेकिन अभी खाने के अतिरिक्त कोई राहत नहीं मिल रही है। शेष

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