लखीमपुर हिंसा में मृतक भी अभियुक्त:पुलिस ने मंत्री अजय मिश्रा के बेटे के साथ 3 मृतकों को बनाया आरोपी; एक्सपर्ट बोले- FIR के साथ ही आशीष को बचाने की स्क्रिप्ट लिखी

लखीमपुर हिंसा मामले में पुलिस की जांच संदेह के घेरे में है। 3 अक्टूबर को हुई हिंसा में आठ लोगों की मौत हुई गई। इनमें चार किसान, तीन भाजपा कार्यकर्ता और एक पत्रकार बताया गया है। हिंसा वाले दिन जिन 3 मृतकों को भाजपा कार्यकर्ता बताया गया, पुलिस ने अब उनको अभियुक्त बना दिया है। हालांकि, पुलिस ने इनके नाम का खुलासा नहीं किया है। हिंसा वाले दिन चार किसानों के अलावा जिनकी मौत हुई, उनमें शुभम मिश्र पुत्र विजय मिश्र, हरिओम मिश्र (आशीष का ड्राइवर) और श्याम सुंदर निषाद के नाम शामिल हैं।

फिलहाल, पुलिस ने दो लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। इनमें केंद्रीय गृह राज्यमंत्री के गांव बनवीरपुर निवासी लवकुश पुत्र राजकिशोर और तिकुनिया के गांव तारानगर के निवासी आशीष पांडेय पुत्र रामगोपाल पांडेय हैं। वहीं, पुलिस केंद्रीय मंत्री के बेटे आशीष को गिरफ्तार नहीं कर पाई है। ऐसे में पुलिस द्वारा मृतकों को अभियुक्त बनाए जाने के फैसले पर सवाल उठने लगे हैं।

3 अक्टूबर को हुई हिंसा में आठ लोगों की मौत हो गई। इनमें चार को किसान, तीन को भाजपा कार्यकर्ता और एक पत्रकार को बताया गया।
3 अक्टूबर को हुई हिंसा में आठ लोगों की मौत हो गई। इनमें चार को किसान, तीन को भाजपा कार्यकर्ता और एक पत्रकार को बताया गया।

मृतकों के अभियुक्त बनाने के मायने

मृतकों को अभियुक्त बनाए जाने के मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक तिवारी का कहना है कि आशीष मिश्रा को बचाने की पटकथा घटना की एफआईआर के साथ ही लिखना शुरू कर दी गई। जिसमें आरोपियों का नाम खोला नहीं गया। पुलिस ने अपनी जांच के आधार पर छह लोगों के घटना में शामिल होने की बात कही। तीन लोगों की (चालक हरिओम मिश्र, चालक श्याम सुंदर निषाद व शुभम मिश्र) की मौत होने की बात कही।

हिंसा के 24 घंटे बाद पुलिस घटनास्थल पर जांच करने पहुंची थी। ऐसे में कई सबूत मिट गए थे।
हिंसा के 24 घंटे बाद पुलिस घटनास्थल पर जांच करने पहुंची थी। ऐसे में कई सबूत मिट गए थे।

अब स्पष्ट है कि पुलिस चालक के तौर पर हरिओम को मुख्य अभियुक्त बनाकर अन्य को 120 बी का मुल्जिम बना देगी। वहीं, अपनी विवेचना में मुख्य आरोपी को मृत दिखाते हुए उसके नाम की जांच बंद कर देगी। जिसके बाद अन्य आरोपियों का घटना में शामिल होना साबित नहीं होगा।

पुलिस ने केंद्रीय गृह राज्यमंत्री के बेटे आशीष को पेश होने के लिए उसके घर पर नोटिस चस्पा की थी।
पुलिस ने केंद्रीय गृह राज्यमंत्री के बेटे आशीष को पेश होने के लिए उसके घर पर नोटिस चस्पा की थी।

एक्सपर्ट का कहना है कि आरोपी घटना में खुद के शामिल न होने के कई सबूत पेश करेंगे। जिसमें उनके 90 फीसदी तक बच निकलने के चांस हैं। यदि यही एफआईआर पीड़ित पक्ष की जगह पुलिस खुद दर्ज करती तो उसके खिलाफ पीड़ित परिवार पुलिस पर लापरवाही का आरोप लगाकर कार्रवाई करवा सकती थी, लेकिन इस स्थिति में यह संभव नहीं है।

पुलिस का दावा- घटना में 6 लोगों की है संलिप्तता

लखीमपुर हिंसा के पांच दिन बाद पुलिस ने जांच रिपोर्ट जारी की है। पुलिस ने जांच रिपोर्ट में दावा किया है कि तीन अक्टूबर को हिंसा वाले दिन घटना में छह लोगों की संलिप्तता थी। इनमें से दो लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है। जिनकी पहचान बनवीरपुर निवासी लव कुश पुत्र राजकिशोर और आशीष पांडेय पुत्र रामगोपाल पांडेय थाना तिकुनिया के गांव तारानगर के हैं। मंत्री के बेटे की गिरफ्तारी के प्रयास किए जा रहे हैं।

हिंसा वाले दिन लखीमपुर में अफरा-तफरी का माहौल था। किसानों ने गुस्से में आशीष मिश्रा की गाड़ी को आग लगा दी थी।
हिंसा वाले दिन लखीमपुर में अफरा-तफरी का माहौल था। किसानों ने गुस्से में आशीष मिश्रा की गाड़ी को आग लगा दी थी।

पुलिस ने यह भी बताया है कि घटना में जो लोग संलिप्त थे उनमें से तीन की मौत हो चुकी है, लेकिन पुलिस ने उनके नाम का जिक्र नहीं किया है। मंत्री के बेटे के साथ ही एक अन्य की तलाश जारी है। वहीं, पुलिस ने यह भी बताया है कि मेटल डिटेक्टर से चेक करने के बाद एक गाड़ी में दो मिस कारतूस बरामद हुए हैं। ये कारतूस 315 बोर के हैं।

प्रशासन ने इनको किसान माना

  • गुरुविंदर सिंह, उम्र – 20 साल, निवासी ग्राम – मकरोनिया नानपारा
  • दलजीत सिंह, उम्र – 35 साल, निवासी- बनजारा ठठ्ठा नानपारा
  • नक्षत्र सिंह, उम्र – 65 साल, निवासी – नयापुरवा धौरहरा
  • लवप्रीत सिंह, उम्र – 20 साल, निवासी – चौखड़ा फार्म मझगाई पलिया

जिन्हें अभियुक्त बनाया, उनके परिवारों का दर्द देखिए

मृतक शुभम के पिता विजय मिश्रा का बुरा हाल है। उनका कहना है कि शरीर में चोटों के इतने निशान थे कि बेटे का आखिरी बार मुंह देखे बिना ही अंतिम संस्कार करना पड़ा।
मृतक शुभम के पिता विजय मिश्रा का बुरा हाल है। उनका कहना है कि शरीर में चोटों के इतने निशान थे कि बेटे का आखिरी बार मुंह देखे बिना ही अंतिम संस्कार करना पड़ा।

शुभम: दंगल देखने गया था

मृतक शुभम के पिता विजय मिश्रा का बुरा हाल है। उनका कहना है कि शुभम ने बीएससी किया था। फाइनेंस कंपनी में काम करता था। दंगल देखने आया था। वह हमारा सहारा था। उसके शरीर में चोटों के इतने निशान थे कि बेटे का आखिरी बार मुंह देखे बिना ही अंतिम संस्कार करना पड़ा। वह होनहार था। दो साल पहले ही शादी हुई थी, उसकी एक साल की बेटी है।

हरिओम की बहन महेश्वरी व माधुरी का रो-रोकर बुरा हाल है। बताया कि हरिओम की मौत डंडों से बुरी तरह पीटे जाने की वजह से हुई।
हरिओम की बहन महेश्वरी व माधुरी का रो-रोकर बुरा हाल है। बताया कि हरिओम की मौत डंडों से बुरी तरह पीटे जाने की वजह से हुई।

हरिओम: अकेला कमाने वाला

आरोपी आशीष मिश्रा के ड्राइवर हरिओम मिश्रा की हत्या कर दी गई। हरिओम की बहन महेश्वरी व माधुरी का रो-रोकर बुरा हाल है। महेश्वरी ने कहा कि उसके पिता मानसिक रूप से बीमार हैं। हरिओम ही उनकी पूरी देखभाल करता था। घर में पिता व दो बहनों का खर्च वही उठाता था। हरिओम की मौत डंडों से बुरी तरह पीटे जाने की वजह से हुई।

श्यामसुंदर निषाद की पत्नी रूबी का कहना है कि उनके पति को भीड़ ने ही पीट-पीटकर मार डाला।
श्यामसुंदर निषाद की पत्नी रूबी का कहना है कि उनके पति को भीड़ ने ही पीट-पीटकर मार डाला।

श्याम सुंदर: 2 बेटियां अब अकेली

30 साल के श्यामसुंदर निषाद की पत्नी रूबी का कहना है कि उनके पति को भीड़ ने ही पीट-पीटकर मार डाला। चार साल की अंशिका और एक साल की जयश्री को छोड़ गए हैं। दंगल देखने के लिए बनवीरपुर गए थे। इस बात से बिल्कुल अनजान कि आज ये दंगल ही उनकी दो मासूम बेटियों के सपनों को तोड़ देगा। श्याम सुंदर भाजपा के स्थानीय संगठन में थे।

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