मध्‍य प्रदेश में 40 साल पहले शुरू हुई थी पुलिस कमिश्नर प्रणाली की कवायद

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने की घोषणा, विधानसभा के शीतकालीन सत्र में प्रस्तुत किया जा सकता है विधेयक।

मध्य प्रदेश के दो प्रमुख शहरों भोपाल और इंदौर में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू होने जा रही है। वर्ष 1981 से इसकी कवायद चल रही थी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इन दोनों शहरों में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू करने का निर्णय किए जाने की घोषणा की थी। आज शाम इस पर अंतिम मुहर लग जाएगी

पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू करने की वजह यह है कि शहरों में जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है। भौगोलिक और आबादी की दृष्टि से महानगरों का विस्तार हो रहा है, इसलिए कानून व्यवस्था की कुछ नई समस्याएं भी पैदा हो रही हैं। इनके समाधान और अपराधियों पर नियंत्रण के लिए इन दो बड़े महानगरों में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू की जा रही है ताकि अपराधियों पर और बेहतर नियंत्रण कर सकें।

मुख्यमंत्री ने कहा था कि प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति बेहतर है। पुलिस अच्छा काम कर रही है। पुलिस और प्रशासन ने मिलकर कई उपलब्धियां हासिल की हैं लेकिन कुछ नई समस्याएं भी पैदा हो रही हैं। इन पर नियंत्रण के लिए पुलिस प्रशासन व्यवस्था पर अधिक ध्यान दिए जाने की आवश्यकता

इसके माध्यम से पुलिस कमिश्नर को मजिस्ट्रियल पावर दिए जाएंगे ताकि वे कानून व्यवस्था के कार्य को प्रभावी तरीके से संपादित कर सकें। इसमें पुलिस को धारा 144 लागू करने के लिए कलेक्टर के आदेश का इंतजार नहीं करना पड़ेगा।

धरना-प्रदर्शन, रैली करने की अनुमति, संदिग्ध व्यक्ति को पकड़ने, जिला बदर की कार्रवाई, राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्रवाई सहित अन्य अधिकार भी दिए जा सकते हैं। उधर, अब तक पुलिस कमिश्नर प्रणाली का विरोध करते आ रहे आइएएस आफिसर एसोसिएशन ने फिलहाल चुप्पी साध रखी है। इसके पदाधिकारियों का कहना है कि अभी इसका स्वरूप सामने नहीं आया है। जब यह सामने आएगा, तब विचार किया जाएगा।

कानून व्यवस्था के लिए जरूरी है यह व्यवस्था : डा.नरोत्तम मिश्रा

गृह मंत्री डा.नरोत्तम मिश्रा के अनुसार भोपाल और इंदौर में आबादी, क्षेत्र और संभावनाएं बढ़ रही हैं। इन शहरों में कानून व्यवस्था की स्थिति सुव्यवस्थित रहे, इसलिए आवश्यक है कि पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू हो। मुख्यमंत्री ने इसको लेकर निर्णय लिया है, जिसका स्व

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