रील्स और वेबसीरीज देखना क्या पड़ेगा महंगा … ऑनलाइन क्लासेज में और डाटा फूकेगा, बजट में क्या-क्या हो सकता है इसको लेकर
बच्चों की ऑनलाइन क्लास, वेबसीरीज देखने का शौक, रील्स के मजे लेने की नई लत में डाटा कब खत्म हो जाता है पता नहीं चलता। पिछले महीने बढ़े डाटा पैक की कीमतों ने पहले ही रुला रखा था अगर बजट में इसकी कीमत बढ़ती है, तो घर के बजट का क्या होगा।
कहां आ रही है दिक्कतें :
- घर के डाटा का एक बड़ा हिस्सा बच्चों की स्टडी पर खर्च हो रहा है। चार ऑनलाइन क्लास करने के दौरान करीब 1.5 जीबी डाटा खत्म हो जाता है। क्लास के अलावा होमवर्क की फोटो अपलोड करने में भी डाटा लगता है। पढ़ने में दिक्कतें आने पर बच्चे ऑनलाइन वीडियो का भी सहारा लेते हैं। इस तरह से डाटा पैक का बैंड बज जाता है। घर में दो या तीन बच्चे हो, तो डाटा पैक की खपत मांओं का सिरदर्द बन जाता है।
- स्कूल खूले ही थे कि ओमिक्रॉन के बढ़ते खतरे को देखते हुए उन्हें फिर से बंद करना पड़ा औरऑनलाइन स्टडीज जारी रही है।
- दाेबारा स्कूल खुलने पर भी ढेरों बच्चे इसलिए स्कूल नहीं जा रहे हैं कि उनका वैक्सीनेशन नहीं हुआ है इसलिए हाइब्रिड क्लासेज का दौर जारी है। कुल मिलाकर कहा जाए, तो इस बार फोन की कीमतों के साथ–साथ डाटा पैक की कीमतों में कमी होने से घर के बजट को राहत मिलेगी।
वेबसीरीज और रील्स निगल रहा है डाटा
- ओपन सिग्नल्स की ओर से की गई स्टडी में पाया कि कोविड –19 के बाद भारत में डाटा की खपत बढ़ गई। लॉकडाउन के शुरुआती डेढ़ महीने में डाटा की खपत में 25 से 30% तक की वृद्धि पाई गई। अक्टूबर 2020 में भारत समेत कई देशों जैसे इंडोनेशिया, मलेशिया, सऊदी अरब, इटली को भी इस स्टडी में शामिल किया गया।
- जब भी फुरसत मिले वेबसीरीज देखना अब महिला और पुरुष दोनों की आदत का हिस्सा बन गया है। बहुत कम ही लोग ऐसे हैं, जो एक एपिसोड देखकर रुक जाते हैं। अमूमन वेबसीरीज देखनेवाले पूरा खत्म करके ही मानते हैं। प्री–पैड का मंथली पैक लेने वालों को लगता है कि अभी तो तक रिचार्ज कराया था।
- रील्स देखने में भी डाटा कंजम्पशन काफी अधिक बढ़ जाता है। कुछ सेकंड्स के रील्स को एक के बाद एक देखने के कारण एक जीबी कब एक एमबी में बदल जाता है, पता ही नहीं चलता। दो ऑनलाइन पढ़ते बच्चों की मां रागिनी त्रिपाठी का कहना है कहीं आना नहीं कहीं जाना नहीं, घर में बैठे रहना। बच्चों की पढ़ाई और मन लगाने के लिए ओटीटी देखना भी भारी हो रहा है।
हाल में डाटा कितना महंगा हुआ
- नवंबर 2021 में वोडाफोन ने प्री–पेड कस्टमर्स के मोबाइल कॉल और डाटा टैरिफ में 18 से 25 % की वृद्धि हुई।
- इसके कुछ दिन पहले ही भारत का दूसरे सबसे बड़े सर्विस प्राेवाइडर एअरटेल ने अपने पैकेज के दाम बढ़ाए थे। एअरटेल की ओर से ऐसा दो साल बाद किया गया।
- ऐसा माना जाता है कि भारतीय डाटा बाजार में करीब 95% कंज्यूमर्स प्रीपेड सर्विस लेते हैं।
- कंपनियों की डाटा पैक में हुई इस वृद्धि के पीछे की वजह उनके ऊपर कर्ज के बोझ को माना गया।
वोडाफोन की कीमतों में हाल में हुआ उछाल
- आमतौर पर सबसे कॉमन यूज किए जाने वाले 1.5 जीबी प्रतिदिन वाले 28 दिन के डाटा पैक को 249 रुपए से बढ़ा कर 299 कर दिया गया। वहीं एक जीबी के लिए यह 219 रुपए से बढ़कर 269 रुपया कर दिया गया।
- 84 दिनों के 2 जीबी प्रतिदिन के डाटा पैक की कीमत 699 से बढ़कर 839 रुपए हो गई हैं। वहीं इतने ही दिनों के लिए 1.5 जीबी प्रतिदिन के पैक की कीमत 599 रुपए से बढ़कर 719 रुपए हो गई।
- 24 जीबी डाटा के सलाना पैक की कीमत 1499 रु. से बढ़कर 1799 रु. कर दिया गई हैं।
सीए आयुष जैन के अनुसार:डाटा पैक की सर्विस पर जीएसटी 18 % है।
एक्सपर्ट कमेंट्स : जे.एस. स्ट्रैटिजीक एडवाइजर्स एलएलपी से जुड़े सीए आयुष जैन के अनुसार
- डाटा पैक की कीमतों पर सरकार का प्रत्यक्ष नियंत्रण नहीं होता है। वह टेलीकॉम रेगुलरिटी ऑथरिटी ऑफ इंडिया की ओर से गाइड करती है।
- डाटा पैक की सर्विस पर जीएसटी 18 % है। चूंकि यह लग्जरी के तहत नहीं आता, तो शायद बजट में इस पर किसी तरह का कोई प्रभाव नजर नहीं आए। अगर इसे 12 % लाया जाए, तो टेलीकाॅम कंपिनयों को राहत हो सकता है।
- इस बार 5जी के लिए इंफ्रास्टक्चर पर बजट का आवंटन देखा जा सकता है। इससे कंपनियों को राहत मिलेगी। घर के बजट पर इसका क्या असर होगा फिलहाल यह तय नहीं है।