योगी के पिछले 30 दिनों की भाषा का एनालिसिस …
विकास, कल्याण, सुरक्षा से जिन्ना, तमंचा, गर्मी पर क्यों उतर आए योगी आदित्यनाथ…..
25 जनवरी, साल 2014, गोरखपुर की एक आम सभा। गोरखपुर के सांसद और हिन्दू युवा वाहिनी के अध्यक्ष योगी आदित्यनाथ बोल रहे थे, ‘अगर एक हिन्दू का खून बहेगा तो हम प्रशासन के पास FIR नहीं दर्ज करवाएंगे। कम से कम 10 ऐसे लोगों की हत्या करवाएंगे, जो लोग किसी हिन्दू की हत्या में शामिल होंगे। बर्दाश्त की सीमा समाप्त हो चुकी है।’
तब उनके भाषणों में ‘बाबर की औलाद, हिन्दू-मुस्लिम, श्रीराम, बजरंगबली और अब्बाजान’ होते थे। फिर 19 मार्च 2017 को वह यूपी के सीएम बन गए। भाषा बदल गई। इसके पहले 22 अक्टूबर 2021 को सीएम योगी का ये ट्वीट जरूर ध्यान से देखिए, जिसमें वह एकजुटता की बात कर रहे हैं।
“सबका साथ और सबका विकास का यह मंत्र ही अपने आप में सब कुछ कह देता है, एकजुट रहकर ही हम विकास कर पाएंगे सुरक्षित रहेंगे और सम्मान पाएंगे, यही कार्य बीजेपी और पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश के अंदर हो रहा है”।
अब उसमें सर्व समाज कल्याण और सबका साथ, सबका विकास आ गए। हालांकि, जनवरी 2022 में उनकी भाषा फिर से बदली। अब वह फिर से गोरखपुर के सांसद और हिन्दू युवा वाहिनी के अध्यक्ष की तरह बात करने लगे हैं। क्यों? आइए बात करते हैं…
4 जनवरी, जगह कौशांबी। सीएम योगी ने कहा, “पीएम मोदी के नेतृत्व में पूरे देश को फ्री वैक्सीन-सबको वैक्सीन दी जा रही है। अगर कांग्रेस, सपा-बसपा होती तो ये गरीबों का अन्न खा गए होते।”
5 जनवरी, जगह लखनऊ। सीएम योगी महिला आरक्षी दीक्षान्त परेड-2022 में सम्मिलित हुए। लखनऊ भवन का शिलान्यास किया और पुलिसकर्मियों को प्रशस्ति-पत्र व पुरस्कार देकर सम्मानित किया।
6 जनवरी, सीएम वाराणसी पहुंचे। काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन किया। निजी नलकूपों के बिजली बिल की दर में 50% छूट का ऐलान किया।
7 जनवरी, सीएम योगी गोरखपुर पहुंचे। महंत अवेद्यनाथ की प्रतिमा का अनावरण किया। विद्यार्थियों को टैबलेट बांटा और कई विभिन्न परियोजनाओं का लोकार्पण किया।
8 जनवरी, इलेक्शन का ऐलान, और बदल गई योगी की भाषा…
8 जनवरी को यूपी इलेक्शन का ऐलान होता है। दूरदर्शन के डीडी कॉन्क्लेव में योगी आदित्यनाथ इंटरव्यू देने बैठते हैं। दो-चार बातें थर्ड वेव पर अपनी तैयारियों, वैक्सीनेशन, लॉकडाउन और गरीब-मजदूरों पर करते हैं। फिर अचानक कहते हैं, ”यह चुनाव 80% बनाम 20% का होगा’।विपक्षियों ने आरोप लगाए कि योगी ने ध्रुवीकरण शुरू कर दिया है। वह 80% हिन्दू और 20% मुस्लिम वोटरों की बात करने लगे हैं।”
9 जनवरी को योगी आदित्यनाथ एक राष्ट्रीय चैनल को इंटरव्यू देने पहुंचे। एंकर ने पूछा, ”अखिलेश यादव के सपने में श्रीकृष्ण आए थे। तब योगी ने जवाब देते हुए कहा, उनके सपने में श्रीकृष्ण अगर आए होंगे तो यही कहे होंगे कि तू गया काम से।”
15 जनवरी को उन्होंने सपा पर परिवारवाद का आरोप लगाते हुए फेसबुक पर लिखा, “भ्रष्टाचार जिनके ‘जींस’ का हिस्सा हो, वे सामाजिक न्याय की लड़ाई नहीं लड़ सकते।”
17 जनवरी, सपा की पहली सूची पर तंज कसते हुए योगी आदित्यनाथ ने कहा, “भाजपा ने सहारनपुर के दंगे, कैराना में पलायन के जिम्मेदार अपराधियों को प्रत्याशी बना दिया।”
17 जनवरी को योगी ने अखिलेश यादव के शासनकाल को दंगा युक्त बताते हुए उन्हें ‘जिन्ना प्रेमी’ बता दिया।
19 जनवरी को योगी ने ANI को बाइट देते हुए कहा, “सपा हो या कांग्रेस, ये दल आपराधिक मानसिकता, तमंचावादी मानसिकता और माफियावादी मानसिकता से उबर नहीं पाए हैं।”
23 जनवरी को सीएम योगी ने गाजियाबाद में कहा- सपा की सरकार ने गाजियाबाद में हज हाउस बनाया था, हमारी सरकार ने कैलाश मानसरोवर का भवन बनाया।
वे जिन्ना के उपासक हम सरदार पटेल के पुजारी
28 जनवरी को सीएम योगी ने इशारों-इशारों में अखिलेश यादव को जिन्ना का उपासक बता दिया। चुनाव को हिन्दू-मुस्लिम मुद्दे पर ले जाने की कोशिश की गई। इसके पहले स्वयं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी अखिलेश यादव को जिन्ना-प्रेमी बताया था।
फिर आती है 29 जनवरी की ‘गर्मी’
29 जनवरी, दोपहर का समय, हापुड़ में सीएम की सभा। योगी आदित्यनाथ ने बोले, ”कैराना और मुजफ्फरनगर में अभी जो गर्मी दिख रही वह जल्द समाप्त हो जाएगी। मई-जून की गर्मी में भी शिमला जैसा ठंडा माहौल बना दिया जाएगा।”
शाम 6:47 बजे। सीएम योगी का ट्वीट आया, ‘कैराना में तमंचावादी पार्टी का प्रत्याशी धमकी दे रहा है, यानी गर्मी शांत नहीं हुई है। 10 मार्च के बाद गर्मी शांत हो जाएगीं।”
इनवर्टेड कॉमा में हज हाउस
योगी आदित्यनाथ ने एक ट्वीट किया। इसमें हज हाउस को इनवर्टेड कॉमा में लिखा। यानी इस तरह ‘हज हाउस’। इसका मतलब समझते हैं? असल में गाजियाबाद में अखिलेश यादव के समय में हज हाउस बनवाया गया था। योगी के समय वहां कैलाश मानसरोवर बनाया गया है। इनवर्टेड कॉमा के जरिए योगी ने दो सरकारों की नीयत को बताने की कोशिश की थी कि कौन सी सरकार हज हाउस बनवा रही है और कौन सा कैलाश मानसरोवर।
चोला ‘समाजवादी’ + सोच ‘दंगावादी’ + सपने ‘परिवारवादी’ = ‘तमंचावादी’
ये बीज गणित का सवाल नहीं है। 29 जनवरी को ही ट्विटर पर आया योगी आदित्यनाथ का नया समीकरण है। लोगों ने कमेंट करके कहा, “बाबा गणित तो बड़ी लगाते हो। उस परिवार से नफरत है तो अपर्णा यादव को बीजेपी में लाकर पीठ क्यों ठोंकते हो।”
एनालिसिस का नतीजाः अपने एजेंडे पर चुनाव न सेट कर पाने की कसक
सीएम योगी ने जनवरी में जिन्नावादी, तमंचावादी, परिवारवादी शब्द का इस्तेमाल 20 बार से ज्यादा किया। रैलियों में बुलडोजर शब्द का प्रयोग 30 बार से अधिक किया गया। बुलडोजर यानी सख्ती वाला सीएम। भाजपा का यह प्रयोग सफल भी रहा और कार्यकर्ताओं की सोशल मीडिया पर 50% पोस्ट इसी के इर्द-गिर्द घूम रही है। सीएम योगी लोगों के बीच मुद्दा स्थापित करने के लिए जाने जाते हैं। चुनावी रण में वह इसी की खोज कर रहे हैं।
सीएम योगी के भाषा परिवर्तन की वजह क्या है
यूपी की राजनीति पर नजदीकी नजर रखने वाले यजेंद्र त्रिपाठी ने कहा, पूर्वांचल के धाकड़ नेता ओम प्रकाश राजभर, पिछड़ों के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य जैसे कई दिग्गज नेता बीजेपी छोड़कर सपा में चले गए। ओपिनियन पोल के आंकड़े भी इस बार मुकाबला तगड़ा बता रहे हैं, ऐसे में ध्रुवीकरण को लेकर ऐसी भाषा बोली जा रही है। त्रिपाठी ने कहा, “2017 के चुनाव से ठीक पहले योगी आदित्यनाथ ने पश्चिमी यूपी की रैलियों में मुजफ्फरनगर, कैराना और सहारनपुर के पलायन को राष्ट्रीय मुद्दा बना दिया था। उन्होंने लोगों के भीतर ये डर स्थापित कर दिया कि अगर भाजपा सत्ता में नहीं आई तो यहां की स्थिति 1990 के कश्मीर जैसी हो जाएगी, जहां सिर्फ हिंसा होगी, लोगों को भगाया जाएगा”।