यूपी के एक्सप्रेसवे और नेशनल हाईवे से 5 ग्राउंड रिपोर्ट ….
NH-29 पर 10 KM चलें तो चेहरे पर 2 इंच धूल जम जाती है, पूर्वांचल एक्सप्रेसवे पर 15 KM तक शौचालय-पानी नहीं…..
यूपी में बीते कुछ साल से एक्सप्रेसवे और हाईवे पर राजनीति होती रही है। 10 दिन पहले की बात है। आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर भाजपा सांसद तेजस्वी सूर्या और अखिलेश यादव भिड़ गए थे। इसी तरह नवंबर में पूर्वांचल एक्सप्रेसवे पर अखिलेश और भाजपा नेताओं के बीच ठन गई थी।
क्या एक्सप्रेसवे और नेशनल हाईवे पर सियासत करना पार्टियों की नई पॉलिटिकल स्ट्रेटिजी का हिस्सा है। पार्टियों के बनाए एक्सप्रेस-वे क्या वाकई में जनता के काम आ रहे हैं। इन्हीं मुद्दों की तह तक जाने के लिए हमने यूपी के 5 रास्ते चुने हैं।
आइए एक-एक करके सबकी यात्रा करते हैं…
1. पूर्वांचल एक्सप्रेसवे: स्टार्टिंग प्वाइंट गाजीपुर
”3 साल पहले तक गाजीपुर से लखनऊ जाने में 8 घंटे लग जाते थे। अब 3 घंटे में दनदना के पहुंच जाते हैं।” पूर्वांचल एक्सप्रेसवे से मऊ जा रहे रंजीत कुमार ने हमसे यह बात कही। रंजीत आगे कहते हैं,”मोदी-योगी ने तो बस उद्घाटन किया। एक्सप्रेसवे का एक-एक टेंडर अखिलेश यादव ने पास कराया था। ये उन्हीं की देन है कि आज 6 लेन का एक्सप्रेसवे हमारे गांव के बगल से जाता है।”
बनारस-गोरखपुर हाईवे से हम गाजीपुर होते हुए पूर्वांचल एक्सप्रेसवे पर पहुंचे। हमने 15 किमी का सफर तय किया। इस दरमियान हमें दो बातें नजर आईं।
पहली: एक्सप्रेसवे वाकई अच्छा बनाया गया है। खोजने पर भी एक गड्ढा नहीं दिखा। इस पर एक मिनट में औसत 20 से 25 वाहन गुजरते हैं। इनमें 90% भारी वाहन हैं।
दूसरी: 15 किमी तक एक्सप्रेसवे पर या उससे नजदीक एक भी शौचालय या पेट्रोल पंप नहीं मिला। न ही किसी भी तरह का उद्योग-कारखाना और न ही खाने-पीने की दुकानें थी।
यूपी सरकार ने पिछले साल नवंबर में पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के उद्घाटन के समय कई दावे किए थे। इसमें कहा गया था कि पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के इर्द-गिर्द इंडस्ट्री बसाई जाएगी और सब्जी मंडियों के साथ पेट्रोल पंप और रोडसाइड एमिनिटीज का निर्माण होगा। फिलहाल एक्सप्रेसवे पर ये सुविधाएं नदारद हैं।
एक्सप्रेस-वे से सटे गांवों में दिखाई देते हैं सपा के झंडे
पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे से सटे गाजीपुर की मरदह तहसील के गावों में आपको लाइन से सपा के झंडे दिखाई देंगे। यहां 7 मार्च को चुनाव होने हैं। मरदह में मुस्लिम और यादव वोटर की आबादी ज्यादा है। हम एक्सप्रेसवे के टोल प्लाजा के पास पहुंचे तो हमें विनोद राजभर मिल गए। विनोद हैदरगंज गांव में रहते हैं और सेना में भर्ती की तैयारी कर रहे हैं। उनका मानना है कि एक्सप्रेस-वे बनने के बाद युवाओं को बहुत फायदा मिला है।
विनोद कहते हैं,”आर्मी की भर्ती परीक्षा में एक दिन पहले बस या ट्रेन पकड़ कर लखनऊ जाना पड़ता था। एक्सप्रेस-वे बनने के बाद इतना समय नहीं लगता है। अगर आप सुबह- सुबह यहां से गुजरेंगे तो आपको एक्सप्रेस-वे पर दौड़ लगाते सैकड़ों लड़के दिख जाएंगे।”

105 दिन पहले पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे पर आपस में भिड़ गई भाजपा-सपा
बात 15 नंवबर 2021 की है। पीएम मोदी एक दिन बाद पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का उद्घाटन करने वाले थे। इसी दिन गाजीपुर में अखिलेश यादव की विजय रथ यात्रा होनी थी। पीएम के उद्घाटन कार्यक्रम में कोई रुकावट न आए, इसे देखते हुए गाजीपुर जिला प्रशासन ने अखिलेश की रथ यात्रा को एक्सप्रेस-वे से गुजरने से मना कर दिया। इसके बाद अखिलेश ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बीजेपी पर निशाना साधा था।
अखिलेश यादव ने दावा किया कि सपा सरकार में पूर्वांचल एक्सप्रेसवे की नीव रखी गई थी। चुनावी फायदे के लिए योगी सरकार आधे-अधूरे बने एक्सप्रेस वे का उद्घाटन करने जा रही है। अखिलेश ने ट्वीट किया,”कुछ लोग अपना राज बस ऐसे ही गुज़ारते हैं,‘दूसरों’ की पट्टी पर अपना जहाज उतारते हैं!”

अखिलेश की बात पर पलटवार करते हुए उत्तर प्रदेश भाजपा ने लिखा, “राम मंदिर भी समाजवादी पार्टी की सरकार ने बनवाया है। यह क्रेडिट भी ले ही लीजिए अखिलेश जी। जब इतना झूठ बोल दिए तो एक झूठ और सही।”
एक्सप्रेस वे किसने बनाया? माया,अखिलेश और योगी में कंफ्यूज हो गए महादेव
हम रिपोर्ट करके वापस जा रहे थे तो एक्सप्रेसवे पर हमें 82 साल के महादेव कुशवाहा मिल गए। हमने पूछा दादा एक्सप्रेसवे कौन बनवाया है? इस पर महादेव ने भोजपुरी में जवाब दिया,“ का बताईं कुछ पता न चलत ह, पहले मायावती कहलीं कि हाईवे हम बनवलीं, अखिलेस कहलं हम बनवलीं बाद मा योगी-मोदी उद्घाटन कइलं।”
2. नेशनल हाईवे-19,: स्टार्टिंग प्वाइंट कौशाम्बी
नेशनल हाईवे-19 की पहचान दिल्ली कोलकाता रोड के रूप में होती रही है। देश के सबसे व्यस्त हाईवे में इसका भी नाम है। यूपी के आगरा से शुरू हुआ नेशनल हाईवे-19 बिहार-झारखंड होते हुए पश्चिम बंगाल के दानकुनी में खत्म होता है। अब चूंकि यूपी में चुनाव हो रहा तो हमने चुना कोखराज से हंडिया के बीच 84 किलोमीटर का हिस्सा।

हम नवाबगंज बाईपास से जब हाईवे पर चढ़े तो सबसे पहले दिखे नीले रंग के बोर्ड। सैकड़ों दिशानिर्देश। कौन बिना टोल दिए जा सकता है और किसे टोल देना है, सबकुछ लिखा है। लेकिन यह नियम कई बार सत्ताधारी दलों के नेताओं की गाड़ियों पर लागू नहीं होता। टोल प्लाजा पर काम करने वाले अरविंद जायसवाल से पूछा कि क्या ऐसा कोई निर्देश मिला है? उन्होंने हल्की मुस्कान के साथ कह दिया कि “नहीं, ऐसा कुछ नहीं है।”
तीन किमी दूर चलने पर हमें दिखा। माइक और कैमरा लेकर पहुंचे तो खाना खा रहे लोगों की गर्दन घूम गई। हाईवे बनने से हुई सहुलियत के बारे में पूछा तो खाना बनाने वाले आशाराम ने कहा, “यह हाईवे ही तो हम लोगों की जिंदगी में सब कुछ है। अगर नहीं होता तो गांव में भैस चरा रहे होते।” पान की गुमटी वाले गुड्डू यादव ने सहमति जताते हुए बिना कुछ बोले सिर हिला दिया।

चूंकि हम फाफामऊ विधानसभा में थे तो लोगों ने यहां की बात के साथ सीधे यूपी में बन रही सरकार की बात कर दी। फाफामऊ में सपा-भाजपा की कांटे की लड़ाई बताते हुए खाना खा रहे सज्जन ने कहा, यहां के लोगों का भाजपा की तरफ ज्यादा झुकाव है। मुफ्त का राशन मिलने के बाद लोग वफादारी दिखाने की बात कर रहे हैं। इनकी बात को दाल-रोटी खा रहे पवन मौर्य ने खारिज कर दिया। कहा, “लोग अखिलेश के वादों पर भरोसा करते हुए उनकी तरफ बढ़ रहे हैं। मुफ्त राशन के ऊपर पुरानी पेंशन का मुद्दा हावी हो रहा है।”
3. नेशनल हाईवे 29 स्टार्टिंग प्वाइंट गोरखपुर
“योगी जी का मठ यहां से मात्र 10 किलोमीटर दूर है। ये हाईवे प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के जिलों को जोड़ता है। तब यहां के ऐसे हालात हैं तो सोचिए बाकी जगह का क्या होता होगा।” एन एच-29 पर गुजर रहे एक यात्री ने हमसे ये कहा। एन एच-29 गोरखपुर और आजमगढ़ से होते हुए वाराणसी तक जाता है।
इसकी नींव नितिन गडकरी ने सितम्बर 2016 में रखी थी। अप्रैल 2017 में काम भी शुरू हो गया था।
2019 लोकसभा चुनाव में नितिन गडकरी ने कहा, “साल के आखिर तक इस हाईवे पर गाड़ियां दौड़ने लगेंगी।”
पर यहां पहुंचकर जो हालात हमें नजर आए उससे फिलहाल यहां गाड़ियां ढ़ंग से रेंग भी नहीं पा रहीं।
यहां गाड़ी चलाना खतरों से खाली नहीं
हाईवे पर करीब 10 किलोमीटर चलने पर हमें 2 बातें नजर आईं
पहली, अगर आप गाड़ी चलाने में एक्सपर्ट नहीं हैं तो इस हाईवे से यात्रा करना आपके लिए अपनी जान जोखिम में डालने जैसा है। हमारे सामने ही कई बाइक सवार गाड़ी चलाते हुए लड़खड़ा गए, बस जैसे-तैसे गिरने से बचे।
दूसरी, धूल इतनी की आंख पर 2 इंच की परत जम जाती है। आंख से पानी निकलने लगता। सामने कुछ नजर नहीं आता। लोगों ने बताया, “हम 4 साल से यहीं हैं, इतनी धूल में दिन भर रहने पर अब सांस लेने में दिक्कत होने लगी है।”
यहां की दुर्दशा आप खुद ही देख लीजिए, बारिश में और बिगड़ जाते हैं हालात

यात्रियों ने कहा, “3 साल से हम देख रहे हैं, निर्माण नहीं हो पाया। एक लेन चालू है एक लेन बंद है। ऊपर से जो छुट्टा आवारा पशु हैं उनकी वजह से यहां से गुजरने वाले करीब 30% लोग हादसे के शिकार हो जाते हैं।”
बरसात में तो एकदम दुर्गत हो जाती है। जगह-जगह पानी भर जाता। कहीं कोई गिर जाता, कहीं किसी की गाड़ी फंस जाती है। कोई देखने वाला नहीं है।
दुकान नहीं चलती, उपवास करके रहना पड़ता
हाईवे के किनारे एक दुकानदार कहती हैं, “3 साल हो गया है और जैसे लापरवाही से काम हो रहा है 2 साल और लग जाएगा।
थोड़ा काम यहां होता है तो थोड़ा कहीं और होता। बार-बार बनाते है फिर तोड़ देते हैं। रोज छीछालेदर होती है।
इस वजह से दुकान पर कोई नहीं आता। कमा खा नहीं पा रहे। कई दिन उपवास करके रहना पड़ता है।”
4. नेशनल हाईवे-28: स्टार्टिंग प्वाइंट बस्ती
नेशनल हाईवे- 28 गोरखपुर, बस्ती , फैजाबाद से होते हुए लखनऊ को जाता है। अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में शुरू हुई स्वर्णिम चतुर्भुज योजना में इस हाईवे को जोड़ा गया था। इससे गोरखपुर से लखनऊ आने वाले लोगों का सफर आसान हो गया है। बस्ती में 3 मार्च को वोटिंग होनी है। उससे पहले हम इस हाईवे पर होने वाली चुनावी हाल जानने पहुंचे।
सड़क किनारे छोटे व्यापारियों ने कहा, उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी भाजपा…
बस्ती में नेशनल हाईवे-28 जहां से शुरू होता है, वहां कई ठेले खड़े रहते हैं। यहां जूस की दुकान पर हमें प्रेम मिल गए। भाजपा सरकार को घेरते हुए वो कहते हैं, “ हमारे यहां तो अबकी बार सपा की लहर है, हम लोगों ने पिछली बार बहुत उम्मीद करके भाजपा की सरकार बनाई थी लेकिन बेरोजगारी और मंहगाई के अलावा इस सरकार से कुछ हासिल नहीं हुआ।’’

यहीं से 5 किमी दूर हमें फैमिली रेस्टोरेंट दिखाई दिया। यहां मिले प्रदीप बताते हैं कि हमने होटल के लिए जमीन खरीदी थी। अब ऐसी खबरें आ रही हैं कि हाईवे 6 लेन का किया जाएगा। ऐसा हुआ तो हमारा होटल गिरा दिया जाएगा।
महज 5 घंटों में पहुंच सकते हैं गोरखपुर से लखनऊ
नेशनल हाईवे-28 दोनों तरफ से 75 -75 फिट चौड़ा है। यहां ज्यादातर बड़े वाहन और कार गुजरती हैं। इस हाईवे की लंबाई 252 किमी है। एनएच-28 बनने के बाद गोरखपुर से लखनऊ तक महज 5 घंटों में पहुंचा जा सकता है। इससे पहले ये दूरी तय करने में 8 से 10 घंटे लग जाते थे। गोरखपुर-लखनऊ हाइवे पर प्रति मिनट औसतन 60 से 80 वाहन गुजरते हैं।

हाईवे बिजी होने से साल दर साल बढ़ रहे हादसे… एक साल में हुए 27 एक्सीडेंट
हम लगभग 10 किमी का सफर तय कर चुके थे। रास्ते में हमें मो. सलमान मिले। उन्होंने बताया, “हाईवे बहुत बिजी रहता है। इसलिए यहां पर कई दर्दनाक हादसे भी हुए हैं। अक्टूबर में एक ट्रक और साईकिल का एक्सीडेंट हो गया था, जिसमें साईकिल से जा रहे आदमी की मौत हो गई थी। बीते एक साल में एनएच-28 पर 27 बड़े एक्सीडेंट हुए हैं।
5. नेशनल हाइवे 35 : स्टार्टिंग प्वाइंट चित्रकूट
हम एक उधार की होंडा शाइन मोटरसाईकल पर सवार हुए। चित्रकूट के भरतकूप गांव से हाईवे यात्रा की शुरुआत की। डेढ़ किलोमीटर ही चले होंगे कि सामने बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे दिखाई दिया। एक्सप्रेसवे अभी चालू नहीं हुआ है, काम तेजी से चल रहा है। एक्सप्रेसवे के नीचे से गुजरते हुए हम आगे बढ़े, हमें कोई भी चुनावी पर्चा, पोस्टर, बैनर और पार्टी का झंडा दिखाई नहीं दिया। बस एक पान की गुमटी पर साइकिल बनी दिखाई दी। बता दें, इस हाइवे की चौड़ाई 30 फीट है, जो बांदा से चित्रकूट को जोड़ता है। रास्ते में मिले फूलचंद्र ने बताया, “ये साल 2005 में मुलायम सिंह की सरकार में बना था।”

गांव के प्रधान ने कहा सपा सरकार आ रही है, पीछे से मजदूर बोले मायावती को जिताना है
आगे बढ़े तो हाईवे पर बसा रौली कल्याणपुर गांव मिला। बसपा, सपा और भाजपा के कार्यकर्ता अपना-अपना बस्ता लेकर एक साथ बैठे थे। वहीं कुर्ता पैजामा पहने गांव के प्रधान फूलचंद्र करवरिया भी मौजूद थे। हम सवाल पूछते उससे पहले माइक देखते ही कहने लगे, “उत्तर प्रदेश में सपा सरकार बन रही है। यहां से अनिल प्रधान जीत रहे हैं।” बसपा के कार्यकर्ता बिलकुल शांत बैठे रहे। पीछे खड़े मजदूरों की भीड़ में से कई मजदूरों ने कहा, मायावती की सरकार बनवानी है।
हाईवे के कारण फसल नष्ट हो जाती है, हम बीमार हो रहे हैं; एक्सीडेंट भी बहुत होते हैं
रौली गांव के किसान-मजदूर देवराज ने कहा, “हाईवे के बगल में पहाड़ हैं. रेत और पत्थर भर-भर के हजारों ट्रक निकलते हैं। रोड किनारे हमारे घुटनों तक धूल होती है। धूल की वजह से हमारी सारी फसल नष्ट हो जाती है। प्रदूषण से हम बीमार पड़ते हैं। सड़क पर गड्ढे हैं। हर रोज 3-4 एक्सीडेंट की खबरें आती रहती हैं। हमारी मांग है कि सड़क चौड़ी होनी चाहिए ताकि धूल न उड़े। हम और हमारी फसल प्रदूषण से बच जाएं।”
पीडब्लूडी मंत्री के गांव की सड़क में चार पहिया वाहन बड़ी मुश्किल से जा पाता है
आगे ही हाईवे पर गोंडा गांव मिला, चौराहे पर रोड बिखरी पड़ी थी। वहीं रहने वाले नंदू ने बताया, “यहां रोज एक्सीडेंट होते हैं। यूपी के पीडब्लूडी मंत्री और हमारे विधायक चन्द्रिका प्रसाद उपाध्याय का गांव रसिन भी आगे ही पड़ता है। रोड ध्वस्त पड़ी हुई है। प्रचार के दौरान सैकड़ों नेता यहीं से निकले, मंत्री जी भी निकलते हैं। इसकी हालत ठीक नहीं हुई। पिछले 5 साल से खुदा पड़ा है। वोट पड़ने वाले थे, तो डीएम साहब ने आ कर जेसीबी से रोड समतल करवा दिया है, बस।”
बीच चौराहे पर खुद रही थी सड़क, एक्सीडेंट में 5 लोग मर गए
हाईवे पर चलते-चलते बांदा के बरछा पहुंचे तो, दो लोग सड़क के बीच में गड्ढा खोद रहे थे। हमने खुदाई का कारण पूछा तो बोले, “पानी का पाइप फट गया था इसलिए सड़क खोदनी पड़ी. खुदाई में जो मिट्टी निकली है, वापस भर देंगे।”
वहीं खड़े साइकिल की दुकान चलाने वाले दयाशंकर तिवारी ने बताया, “देखिए रोड किनारे कचरा बिखरा पड़ा है। कभी सफाई नहीं होती। एक्सीडेंट भी होते हैं। दो दिन पहले ही जमुनिहा पुरवा में कार और ट्रक में भिडंत हो गई थी, 5 लोग ऑन स्पॉट पर मर गए।”
नेशनल हाईवे 35 की रिपोर्ट हमारे साथी …. ने की है। ….सिंह ने नेशनल हाईवे 29 की हालत बताई है। नेशनल हाईवे 19 पर …. साहू ने रिपोर्ट की है। नेशनल हाईवे 28 की रिपोर्ट …. ने की है। ………….र ऐप में इंटर्न हैं।