इंदौर .. 8 महीने में खोद दिए 25 हजार बोरिंग, निगम के रिकॉर्ड में सिर्फ 2600

जुलाई 2021 से शासन ने खेती और घरेलू उपयोग के लिए बोरिंग से प्रतिबंध हटाया। साथ में कुछ शर्तें भी रखीं, जिनमें नगर निगम को एक-एक बोरिंग का हिसाब रखना, हर बोरिंग मशीन का पंजीयन कर अनुमति देना और यह पूरा रिकॉर्ड सेंट्रल ग्राउंड वॉटर अथॉरिटी की साइट पर अपलोड करना शामिल था। भास्कर ने पड़ताल की तो पता चला कि प्रतिबंध हटने के बाद से शहर में 25 हजार बोरिंग हो गए, जबकि निगम में पिछले आठ महीनों में 2600 ही दर्ज हुए।

यह संख्या तीन लाख से ज्यादा हो चुकी है। करीब 150 बोरिंग रोज़ हो रहे हैं और कही रिकॉर्ड नहीं रखा जा रहा। इंदौर में 70 मशीनें, 500 से ज्यादा एजेंट बोरिंग से जुड़े काम में हैं। इससे इंदौर जो भूजल दोहन के मामले में सालों बाद बेहतर हुआ था फिर डार्क जोन में जा रहा है। नई कॉलोनियों में बोरिंग के पानी से ही निर्माण किया जा रहा है।

स्टिंग में कबूला : दक्षिण में 15 गुना कम टैक्स, वहीं से आ रहीं गाड़ियां

इंदौर में बोरिंग करने वाली 70 गाड़ियां चल रही हैं। इनमें सर्वाधिक केरल, तमिलनाड़ू और कर्नाटक की हैं। एक गाड़ी मालिक श्रीधर ने स्टिंग ऑपरेशन में कबूला म.प्र. में बोरिंग की गाड़ी बनाने पर 15 लाख रुपए लाइफ टाइम टैक्स भरना पड़ता है, वहीं साउथ में 60 हजार का टैक्स लगता है। हम एमपी में साढ़े तीन हजार का रोड टैक्स देकर आसानी से बोरिंग करते हैं। बोरिंग व्यवसाय से जुड़े जयंत भदौरिया ने बताया कि बैन हटने के बाद से 150 बोरिंग रोज हो रहे हैं। अब तक 25 हजार से ज्यादा बोरिंग हो चुके हैं।

आंख खोलते आंकड़े : मोहल्लों की संख्या 2143, तीन लाख बोरिंग

3.57 लाख परिवार आखिर कौन सा पानी पी रहे? निगम के संपत्तिकर के आंकड़ों को देखें तो शहर में 6.20 लाख खाते हैं, जिनमें से 2.63 लाख घरों में नर्मदा कनेक्शन हैं। इसका मतलब है कि बाकी बचे 3.57 लाख घरों में नर्मदा लाइन है ही नहीं। स्पष्ट है कि दूसरे विकल्प के रूप में इन घरों में ट्यूबवेल का पानी यूज़ हो रहा है। पीएचई के कार्यपालन यंत्री संजीव श्रीवास्तव बताते हैं कि निगम द्वारा निजी बोरिंग का न कोई सर्वे हुआ और न कोई संख्या निकाली गई।

एआरओ व बिल कलेक्टरों ने स्वीकारें आंकड़े

निगम के रिकॉर्ड में वैध व अवैध कॉलोनियों व मोहल्लों की संख्या 2143 है। इन्हें संपत्तिकर वसूली के हिसाब से पांच रेट जोन में बांटा गया है। रेट जोन 1 में सबसे ज्यादा टैक्स जबकि 5 में सबसे कम। भास्कर ने हर रेट जोन में जाने वाले निगम के एआरओ व बिल कलेक्टर के साथ सर्वे किया तो खुलासा हुआ 3 लाख से ज्यादा घरों में बोरिंग हैं। कई घरों में तो इसकी संख्या 2 से 3 तक है।

ये कैसा जुनून – नर्मदा, फिर भी 15 दिन में 250

एबी रोड की ट्रेजर टाउन, ट्रेजर फेंटेसी, शिव सिटी के रहवासियों ने बताया बोरिंग के कारण रात को सोना मुश्किल है। माधवेंद्र तिवारी ने बताया ट्रेजर टाउन में बड़ा टैंक है। नर्मदा का बल्क कनेक्शन भी उसी टंकी में है। इसके बावजूद 15 दिन में 250 बोरिंग हो गए हैं।

स्कीम 140 में हर रात 3 बोरिंग

आईडीए की स्कीम 140 में नर्मदा कनेक्शन है, इसके बावजूद लगातार बोरिंग हो रहे हैं। रहवासी आनंद जैन ने बताया हर रात दो से तीन बोरिंग हो रहे हैं। खंडवा रोड के अनुराधा नगर और बायपास की पाकीजा ग्रीन कॉलोनी में हर घर में बोरिंग हो रहे हैं।

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