व्यापमं भर्तियों के फर्जीवाड़े का मामला … 2014 से 2019 तक रोकी जांच; 1355 शिकायतों में से 917 बंद, सिर्फ 423 में जांच, वह भी 8 साल से लंबित
प्रदेश के व्यापमं भर्ती फर्जीवाड़े की जांच सात साल में भी पूरी नहीं हो पाई है। पीएमटी समेत सरकारी नौकरियों के लिए ली गई भर्ती परीक्षाओं में बैठे 38 लाख 98 हजार 106 प्रभावित छात्र अभी भी न्याय के लिए भटक रहे हैं। हालात यह हैं कि व्यापमं फर्जीवाड़े की 1355 शिकायतें मिली थीं, जिनमें से 917 को नस्तीबद्ध (बंद) कर दिया गया है, 423 में जांच जारी है।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर 2004 से 2013 के बीच एसटीएफ ने जो 217 प्रकरण सीबीआई को सौंपे थे, उनमें से सिर्फ 43 प्रकरणों में चालान पेश हो पाया है। पीएमटी घोटाले में 12 प्रकरण में ही दोषी पाए गए हैं। 150 प्रकरणों में जांच चल रही है। व्यापमं भर्तियों के फर्जीवाड़े का मामला सोमवार को विधानसभा में उठा, जिस पर गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा का लिखित जवाब सिर्फ इतना है कि जांच प्रचलन में है।
व्यापमं फर्जीवाड़े की जांच के संबंध में प्रताप ग्रेवाल, हर्ष गेहलोत, कुणाल चौधरी और मनोज चावला ने प्रश्न पूछे थे। व्यापमं फर्जीवाडे़ के बारे में आई जानकारी में यह खुलासा हुआ कि 1355 शिकायतों में से शुरुआत में ही 628 को नस्तीबद्ध कर दिया। पुलिस ने सिर्फ 197 शिकायतें ही अपने पास रखी, जिनमें से भी जांच कर 70 को बंद कर दिया।
मुख्य सचिव को सीबीआई ने लिखा, फिर भी कार्रवाई नहीं
- सीबीआई को पूर्व विधायक पारस सकलेचा ने 12 अगस्त 2016 को पत्र लिखा, जिसमें कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट ने 217 प्रकरण में सीबीआई को जांच करने को कहा है, शेष प्रकरण में जांच राज्य सरकार करेगी। इस मामले में सीबीआई ने मुख्य सचिव को पत्र लिखकर जांच करने की बात कही। इस पत्र पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। गृह मंत्री के जवाब में इस शिकायत का उल्लेख किया गया है। सरकार यह बताने के लिए तैयार नहीं है कि सीबीआई कौन-कौन सी पीएमटी की जांच नहीं करा रही है। वास्तविकता यह है कि पीएमटी 2007 से 2011 तक की जांच एसटीएफ को करना था जो बंद कर दी गई। यह तर्क दिया गया कि इमें सक्षम साक्ष्य नहीं है। जबकि रोल नंबर के हिसाब से सुप्रीम कोर्ट ने पिटीशन क्रमांक 1727/2016 में इसे सही ठहराया तथा सीबीआई ने 2012 और 2013 की जांच में इसी को मजबूत साक्ष्य के रूप में कोर्ट में पेश किया।
- एसटीएफ निजी चिकित्सा महाविद्यालय की स्टेट कोटे में भर्ती की जांच नहीं कर रही है। इस मामले में पिटीशन 327/2015 सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं।
- सीबीआई ने पीएमटी 2012 तथा 2013 में निजी चिकित्सा महाविद्यालयों को आरोपी बनाया। एसटीएफ ने पीएमटी 2012 तथा 2013 के प्रकरण सीबीआई को सौंपने के पूर्व डेढ़ वर्ष की जांच मे पूछताछ कर किसी को आरोपी नहीं बनाया और सबको क्लीन चिट दे दी। सीबीआई ने एसटीएफ की जांच खारिज की और उन्हें आरोपी बनाया।
- व्यापमं 2008 से 2011 तक परीक्षा में फर्जीवाड़े से चयनित होने वाले अभ्यर्थियों की सूची एसटीएफ को सौंप चुका है, जहां इन मामलों को जांच के नाम पर लंबित रखा गया और 2020 में इन्हें नस्तीबद्ध (बंद) कर दिया गया।
13 शिकायतों पर प्रकरण दर्ज किए, 114 में जांच लंबित है
बाकी 530 शिकायतें प्रदेश के विभिन्न थानों में भेजी गई, जिनमें से सिर्फ 2 में प्रकरण दर्ज हुए, वहां भी 219 में जांच बंद कर दी गई हैं, जबकि 309 मामलों में नवंबर 2014 से जांच लंबित है। इसमें खास यह है कि इन मामलों में सरकार ने नवंबर 2014 से सितंबर 2019 तक जांच स्थगित रखी। तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने जांच शुरू करवाई और व्यापमं के शिकायतकर्ताओं के बयान दर्ज किए, जो ढाई साल से प्रचलन में हैं।