ये मां-बाप अपने बच्चों के लिए रोज रोते हैं … 80 साल का दादा लगा रहा पोतियों के पोस्टर, अनजानी आवाज सुनकर चौखट पर दौड़ पड़ती है मां

कोर्ट में अपने क्लाइंटस के लिए बेखौफ होकर जिरह करने वाले जयपुर के अवधेश की आंखों में इन दिनों अजीब सा खौफ तैर रहा है। ये खौफ है अपनी बेटियों को लेकर। 50 से ज्यादा दिन हो गए उनसे मिले। बेटियां कहां हैं, किन हालात में हैं? उनके साथ कोई अनहोनी तो नहीं हो गई? ये सारे सवाल दिल और दिमाग पर लिए अवधेश अपनी बेटियों के कमरे में जाते हैं और हड़बड़ाते हुए वापस आ जाते हैं। इस बीच उनका फोन बजता है तो एक उम्मीद की किरण चेहरे पर दिखती है कि कहीं बेटियों की खबर तो नहीं आ गई, लेकिन फिर निराशा हाथ लगती है। उनके पिता सत्यनारायण का फोन था। बोले- कुछ पता नहीं चल रहा बेटा।

इधर, हर अनजानी आवाज सुनकर मां चौखट पर दौड़ती है कि शायद कोई उनकी बेटियों की खबर लाया है। यहां बेटियों का इंतजार करते-करते मां-बाप की आंखें पथरा गई हैं और उधर, 600 किमी दूर लखनऊ में 80 साल के दादा बदहवास हालत में पोतियों को ढूंढ रहे हैं। पोतियों के फोटो लिए लोगों से उनके बारे में जानकारी जुटा रहे हैं।

अवधेश की दो नाबालिग बेटियां भावना (17) और रमा (16) 3 फरवरी को स्कूल गई थीं, लेकिन लौटी नहीं। 52 दिन बाद भी उनको पुलिस ढूंढ नहीं पाई है। परिवार से मिलने जब दैनिक भास्कर की टीम उनके घर पहुंची तो उनके चेहरे पर पुलिस के प्रति नाराजगी और गुस्सा था। बातचीत में उन्होंने बताया कि पुलिस समय पर एक्टिव होती तो अब तक बेटियां मिल जातीं।

भावना और रमा की तरह ही राजस्थान में बीते 5 साल में 13 हजार से ज्यादा बच्चे लापता हो चुके हैं। अवधेश की दो नाबालिग बेटियों के लापता होने का मुद्दा विधानसभा में गूंजा तो एक बार फिर राज्य पुलिस निशाने पर आ गई। BJP विधायक अशोक लाहोटी ने सदन में कहा कि जब पुलिस एक मंत्री का पालतू कुत्ता ढूंढ सकती है तो नाबालिग बच्चियों को क्यों नहीं? लाहोटी का ये बयान जरूर राजस्थान पुलिस के कलेजे को चुभा हो, लेकिन अपने कलेजे के टुकड़ों को सालों से तलाश रहे मां-बाप का दर्द इन्हें फिर भी सुनाई नहीं देता। सालों से अपनों से मिलने की आस लगाए बैठे ऐसे परिवारों से दैनिक भास्कर मिला और उनका दर्द जाना…..

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