भाई की हादसे में मौत, अब जान बचाना मिशन …छोटे शहर में रहकर कश्मीर से कन्याकुमारी तक दौड़ाई ‘ब्लडलाइन’, खून बर्बाद होने से रोका
करीब 12 साल पहले अपने इकलौते भाई की जान बचाने के लिए खून की एक-एक बूंद के लिए तरसने वाली बहन उर्वशी सिंह आज दूसरों की जान बचाने के लिए देशभर में लोगों की मेडिकल हेल्प करती हैं। चाहे ब्लड हो या कोई दूसरी मेडिकल सुविधा, पलभर में इंतजाम कर देती हैं। यह साहसी महिला सिर्फ जिले में नहीं, बल्की देश के कोने-कोने में मदद मांगने वालों के लिए एक पैर से खड़ी रहती हैं।
साल 2009, वो मनहूस घड़ी आज भी मेरे जेहन में जिंदा है। हम तीन बहनों का इकलौता भाई जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहा था। लाख कोशिश के बावजूद हम हाथ मलते रह गए और वह हमे छोड़कर हमेशा के लिए चला गया।
अंजान शहर में भाई के दोस्त बने मददगार
बात उन दिनों की है जब भाई नई नौकरी मिलने की खबर और ‘मदर्स डे’ पर मां को सरप्राइज देने लखनऊ से जौनपुर आ रहा था। भाई तो घर नहीं पहुंचा, लेकिन उसके रोड एक्सीडेंट की खबर पहुंची। गंभीर रूप से घायल होने के कारण उसे कई यूनिट खून की जरूरत थी। अंजान शहर में भाई के दोस्तों की मदद से मैंने किसी तरह ब्लड की व्यवस्था तो कर दी, लेकिन समय पर खून न मिलने के कारण उसकी जान नहीं बचा सकी। इसका मुझे आज भी बेहद अफसोस है।
ब्लड मिल जाता तो भाई बच जाता
भाई को खोने के बाद मेरे मन में एक बात घर कर गई कि अगर सही समय पर ब्लड मिल जाता तो भाई हमारे बीच होता। मैंने उसी दिन ठान लिया कि किसी को एक कतरे खून के लिए या किसी भी मेडिकल असुविधा के कारण मरने नहीं दूंगी। अब मेरी जिंदगी का एक ही मकसद है- हमारे जैसे पीड़ितों के लिए खून की व्यवस्था कराना।
मदद करने के लिए बनाई ह्यूमन चेन
कुछ दिन मैंने अकेले अपने दम पर लोगों की मदद की, लेकिन मैं ज्यादा लोगों तक नहीं पहुंच पा रही थी। इसलिए 2018 में करणी सेना का सहारा लेकर समाजसेवा में कदम रखा। संगठन ने मुझे प्रदेश में पदाधिकारी बनाया, जिससे मेरा पूरे देश के बड़े पदाधिकारियों से सीधा संपर्क हो गया। यही वजह है कि अब मैं देश के कोने-कोने में पीड़ित मरीजों की सहायता कर पाती हूं। पहले जिला स्तर पर मरीजों के लिए मैं खुद रक्तदान करती थी, इसमें मेरा परिवार भी साथ देता था।
भाई के नाम पर मैं अतुल वेलफेयर ट्रस्ट चलती हूं। पूरे प्रदेश समेत दूसरे राज्यों में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिये जरूरतमंदों की एक कॉल पर अपने सहयोगियों से ब्लड डोनेट करवा कर सहायता करती हूं।
इस मुहिम से सैकड़ों लोगों की जान बचाई जा चुकी है। कोविड के दौरान जब एक दूसरे के पास लोग खड़े होने की हिम्मत नहीं जुटा पाते थे, उस समय दोस्तों और परिचितों को जोड़कर लोगों की जान बचाने के लिए ह्यूमन चेन बनाई। हम कश्मीर से कन्याकुमारी तक देशभर के लोगों की मदद करते हैं।
घर वालों से छिपकर बात करती हूं
मैं बस इतना चाहती हूं कि ज्यादा से ज्यादा लोग आगे आकर जरूरतमंदों को समय-समय पर ब्लड देकर उनकी जान बचाने में मदद करें। खून की कमी से किसी की असमय मौत न हो। मेरे पास ब्लड के लिए जरूरतमंदों के फोन कॉल, मैसेज आते हैं, जिसका कोई निर्धारित समय नहीं होता। रात तीन बजे भी फोन आ जाता है। ऐसे में मैं घर वालों से छुपकर बात करती हूं। मुझे ऐसा इसलिए करना पड़ता है कि मैं अस्थमा और शुगर की मरीज हूं। परिवार वाले मेरी सेहत को लेकर फिक्रमंद रहते हैं। कुछ दिन पहले दिल्ली एम्स में एक बच्ची को 3 यूनिट ब्लड दिलाया, जम्मू कश्मीर में एक गर्भवती महिला को ब्लड दिला कर उसकी जान बचाई। ब्लड पाने के बाद लोग मुझे दिल से दुआ देते हैं। मेरी प्रशासन और सरकार से अपील है कि ब्लड बैंक में हर तीन महीने बाद जो ब्लड खराब हो जाता है उसे समय रहे जरूरतमंदों तक पहुंचाने के लिए कोई नियम बनाएं जाएं।