राष्ट्रपति के बाद होगा उपराष्ट्रपति का चुनाव, जानिए दोनों में कितना अंतर, कैसे होगा जीत-हार का फैसला?
देश में 18 जुलाई को राष्ट्रपति का चुनाव होना है। 21 जुलाई को इसके नतीजे आ जाएंगे और 25 जुलाई को नए राष्ट्रपति का शपथ ग्रहण समारोह होगा। इस बीच अब उपराष्ट्रपति चुनाव को लेकर भी चर्चा शुरू हो गई है। मौजूदा उपराष्ट्रपति वैंकैया नायडू का कार्यकाल 11 अगस्त को खत्म हो रहा है। इसके पहले नए उपराष्ट्रपति का चुनाव होना है।
ऐसे में आइए जानते हैं कि उपराष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है? ये राष्ट्रपति के चुनाव से कितना अलग होता है? इसमें कैसे जीत और हार का फैसला होता है? कौन उपराष्ट्रपति का चुनाव लड़ सकता है?
![Vice-President Election: राष्ट्रपति के बाद होगा उपराष्ट्रपति का चुनाव, जानिए दोनों में कितना अंतर, कैसे होगा जीत-हार का फैसला? राज्यसभा](https://spiderimg.amarujala.com/cdn-cgi/image/width=414,height=233,fit=cover,f=auto/assets/images/2022/06/10/750x506/rajya-sabha-election-2022_1654839065.jpeg)
राष्ट्रपति चुनाव से कितना अलग है उपराष्ट्रपति का चुनाव?
1. संसद के दोनों सदनों के सदस्य वोट डालते हैं: उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों के सदस्यों से मिलकर बनने वाले निर्वाचक मंडल यानी इलेक्टोरल कॉलेज के जरिए आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति से होता है। संसद के दोनों सदनों के सदस्य इसमें हिस्सा लेते हैं। हर सदस्य केवल एक वोट ही डाल सकता है। राष्ट्रपति चुनाव में निर्वाचित सांसदों के साथ-साथ विधायक भी मतदान करते हैं लेकिन उपराष्ट्रपति चुनाव में केवल लोकसभा और राज्यसभा के सांसद ही वोट डाल सकते है।
2. मनोनीत सांसद भी डाल सकते हैं वोट: राष्ट्रपति चुनाव में मनोनीत सांसद वोट नहीं डाल सकते हैं, लेकिन उपराष्ट्रपति चुनाव में ऐसा नहीं है। उपराष्ट्रपति चुनाव में ऐसे सदस्य भी वोट कर सकते हैं। इस तरह से देखा जाए तो उपराष्ट्रपति चुनाव में दोनों सदनों के 790 निर्वाचक हिस्सा लेते हैं। इसमें राज्यसभा के चुने हुए 233 सदस्य और 12 मनोनीत सदस्यों के अलावा लोकसभा के 543 चुने हुए सदस्य और दो मनोनीत सदस्य वोट करते हैं। इस तरह से इनकी कुल संख्या 790 हो जाती है।
![Vice-President Election: राष्ट्रपति के बाद होगा उपराष्ट्रपति का चुनाव, जानिए दोनों में कितना अंतर, कैसे होगा जीत-हार का फैसला? उपराष्ट्रपति चुनाव](https://spiderimg.amarujala.com/cdn-cgi/image/width=414,height=233,fit=cover,f=auto/assets/images/2022/06/24/750x506/uparashhatarapata-canava_1656069626.jpeg)
1. भारत का नागरिक हो।
2. 35 साल वर्ष की आयु पूरी कर चुका हो।
3. वह राज्यसभा के लिए चुने जाने की योग्यताओं को पूरा करता हो।
4. उसे उस राज्य या संघ राज्य क्षेत्र में संसदीय निर्वाचन क्षेत्र का मतदाता होना चाहिए।
5. कोई व्यक्ति, जो भारत सरकार के या किसी राज्य सरकार के अधीन या किसी अधीनस्थ स्थानीय प्राधिकरण के अधीन कोई लाभ का पद धारण करता है, वह इसका पात्र नहीं हो सकता है।
6. उम्मीदवार संसद के किसी सदन का या किसी राज्य के विधानमंडल के किसी सदन का सदस्य नहीं होना चाहिए। अगर वह किसी सदन का सदस्य है तो उसे उपराष्ट्रपति चुने जाने के बाद अपनी सदस्यता छोड़नी पड़ेगी।
![Vice-President Election: राष्ट्रपति के बाद होगा उपराष्ट्रपति का चुनाव, जानिए दोनों में कितना अंतर, कैसे होगा जीत-हार का फैसला? उपराष्ट्रपति चुनाव](https://spiderimg.amarujala.com/cdn-cgi/image/width=414,height=233,fit=cover,f=auto/assets/images/2022/06/24/750x506/uparashhatarapata-canava_1656069716.jpeg)
उम्मीदवारी कब स्वीकार होती है?
- चुनाव में खड़े होने के लिए किसी भी व्यक्ति को कम से कम 20 संसद सदस्यों को प्रस्तावक और कम से कम 20 संसद सदस्यों को समर्थक के रूप में नामित कराना होता है।
- उपराष्ट्रपति का प्रत्याशी बनने के लिए 15 हजार रुपए की जमानत राशि जमा करनी होती है।
- नामांकन के बाद फिर निर्वाचन अधिकारी नामांकन पत्रों की जांच करता है और योग्य उम्मीदवारों के नाम बैलट में शामिल किए जाते हैं।
![Vice-President Election: राष्ट्रपति के बाद होगा उपराष्ट्रपति का चुनाव, जानिए दोनों में कितना अंतर, कैसे होगा जीत-हार का फैसला? 2017 में उपराष्ट्रपति पद के लिए वोट डालते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी।](https://spiderimg.amarujala.com/cdn-cgi/image/width=414,height=233,fit=cover,f=auto/assets/images/2022/06/24/750x506/2017-ma-uparashhatarapata-patha-ka-le-vata-dalta-parathhanamatara-narathara-matha_1656069806.jpeg)
2017 में उपराष्ट्रपति पद के लिए वोट डालते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी।
उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव इलेक्शन अनुपातिक प्रतिनिधि पद्धति से किया जाता है। इसमें वोटिंग खास तरीके से होती है जिसे सिंगल ट्रांसफेरेबल वोट सिस्टम कहते हैं। आसान शब्दों में समझें तो इसमें मतदाता को वोट तो एक ही देना होता है मगर उसे अपनी पसंद के आधार पर प्राथमिकता तय करनी होती है। मसलन वह बैलट पेपर पर मौजूद उम्मीदवारों में अपनी पहली पसंद को एक, दूसरी पसंद को दो और इसी तरह से अन्य प्रत्याशियों के आगे अपनी प्राथमिकता नंबर के तौर पर लिखता है।
![Vice-President Election: राष्ट्रपति के बाद होगा उपराष्ट्रपति का चुनाव, जानिए दोनों में कितना अंतर, कैसे होगा जीत-हार का फैसला? लोकसभा](http://spiderimg.amarujala.com/assets/images/2020/09/21/750x506/lok-sabha_1600702400.jpeg)
पहले यह देखा जाता है कि सभी उम्मीदवारों को पहली प्राथमिकता वाले कितने वोट मिले हैं। फिर सभी को मिले पहली प्राथमिकता वाले वोटों को जोड़ा जाता है। कुल संख्या को दो से भाग किया जाता है और भागफल में एक जोड़ दिया जाता है। अब जो संख्या मिलती है उसे वह कोटा माना जाता है जो किसी उम्मीदवार को काउंटिंग में बने रहने के लिए जरूरी है।अगर पहली गिनती में ही कोई कैंडिडेट जीत के लिए जरूरी कोटे के बराबर या इससे ज्यादा वोट हासिल कर लेता है तो उसे विजयी घोषित कर दिया जाता है। अगर ऐसा न हो पाए तो प्रक्रिया आगे बढ़ाई जाती है। सबसे पहले उस उम्मीदवार को चुनाव की रेस से बाहर किया जाता है जिसे पहली गिनती में सबसे कम वोट मिले हों।
लेकिन उसे पहली प्राथमिकता देने वाले वोटों में यह देखा जाता है कि दूसरी प्राथमिकता किसे दी गई है। फिर दूसरी प्राथमिकता वाले ये वोट अन्य उम्मीदवारों के खाते में ट्रांसफर कर दिए जाते हैं। इन वोटों के मिल जाने से अगर किसी उम्मीदवार के मत कोटे वाली संख्या के बराबर या ज्यादा हो जाएं तो उस उम्मीदवार को विजयी घोषित कर दिया जाता है।
अगर दूसरे राउंड के अंत में भी कोई उम्मीदवार न चुना जाए तो प्रक्रिया जारी रहती है। सबसे कम वोट पाने वाले कैंडिडेट को बाहर कर दिया जाता है। उसे पहली प्राथमिकता देने वाले बैलट पेपर्स और उसे दूसरी काउंटिंग के दौरान मिले बैलट पेपर्स की फिर से जांच की जाती है और देखा जाता है कि उनमें अगली प्राथमिकता किसे दी गई है।
फिर उस प्राथमिकता को संबंधित उम्मीदवारों को ट्रांसफर किया जाता है। यह प्रक्रिया जारी रहती है और सबसे कम वोट पाने वाले उम्मीदवारों को तब तक बाहर किया जाता रहेगा जब तक किसी एक उम्मीदवार को मिलने वाले वोटों की संख्या कोटे के बराबर न हो जाए।
![Vice-President Election: राष्ट्रपति के बाद होगा उपराष्ट्रपति का चुनाव, जानिए दोनों में कितना अंतर, कैसे होगा जीत-हार का फैसला? उपराष्ट्रपति चुनाव (फाइल फोटो)](http://spiderimg.amarujala.com/assets/images/2022/06/24/750x506/uparashhatarapata-canava_1656069982.jpeg)
यूं तो उपराष्ट्रपति की संवैधानिक जिम्मेदारियां बहुत सीमित हैं लेकिन राज्यसभा के सभापति के तौर पर भूमिका काफी अहम हो जाती है। इसके अलावा उनकी जिम्मेदारी तब और अहम हो जाती है, जब राष्ट्रपति का पद किसी वजह से खाली हो जाए। ऐसी स्थिति में राष्ट्रपति की जिम्मेदारी भी उपराष्ट्रपति को ही निभानी पड़ती है क्योंकि राष्ट्रप्रमुख के पद को खाली नहीं रखा जा सकता। देश के प्रोटोकॉल के हिसाब से भी राष्ट्रपति सबसे ऊपर होता है। इसके बाद उपराष्ट्रपति और फिर प्रधानमंत्री।