अमेरिका में गर्भपात बैन:अब 2 रास्ते-महिलाएं हजारों किलोमीटर दूर दूसरे स्टेट में कराएं अबॉर्शन या घर में खाएं पिल्स, LGBTQ+ पर भी संकट

अमेरिका में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसला सुनाते हुए महिलाओं का गर्भपात का संवैधानिक अधिकार खत्म कर दिया है। इस फैसले ने सुप्रीम कोर्ट के 49 साल पुराने रो बनाम वेड केस में दिए गए फैसले को पलट दिया है। इस केस में महिलाओं को गर्भपात का अधिकार दिया गया था।

नए आदेश के बाद राज्य अब खुद इस प्रोसिस को खत्म कर सकते हैं या फिर इसकी इजाजत दे सकते हैं। अदालत के इस फैसले का असर अब अमेरिका के आधे राज्यों में देखा जाएगा। जहां रिपब्लिक पार्टी सत्ता में है वहां गर्भपात पर प्रतिबंध लगाया जाएगा। अदालत में यह फैसला सुनाने वाले जज को डोनाल्ड ट्रंप की सरकार ने भर्ती किया था। इस फैसले से नाराज होकर अमेरिकी महिलाएं प्रदर्शन कर रही हैं और सोशल मीडिया पर अपना गुस्सा निकाल रही हैं।

आगे पढ़ें फैसले का असर अमेरिकी महिलाओं पर कैसे पढ़ेगा? क्या कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स खरीद पर भी रोक लगेगी या नहीं? ये बैन एलजीबीटीक्यू कम्यूनिटी के अधिकारों के आड़े कैसे आएगा?

साउथ और मिडवेस्ट अमेरिका में गर्भपात होगा गैरकानूनी
इस फैसले के आने के बाद से अमेरिका के कुछ राज्यों में जबरदस्त प्रदर्शन शुरू हो गया तो कुछ राज्यों में इसे तुरंत लागू करते हुए गर्भपात पर बैन लगा दिया है। अमेरिका के 7 राज्य अलबामा, अरकांसस,केंटकी, लूसियाना, मिसूरी, ओक्लाहोमा और साउथ डेकोटा ने इस फैसले के आते ही लागू कर दिया है। जबकि साउथ और मिडवेस्ट अमेरिका के 26 राज्य ऐसे हैं जोकि इसे जल्द लागू करने वाले हैं।

इन राज्यों में गर्भपात कराने वाली महिलाएं अब क्या करेंगी?
जिन राज्यों ने गर्भपात पर बैन लगाया है वहां कि महिलाओं को गर्भपात कराने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ेगी। उनके सामने अब दो ही विकल्प बचे हैं। पहला कि वे अपने राज्य से हजारों किलोमीटर दूर दूसरे राज्य में जाकर गर्भपात करवाएं। दूसरा रास्ता यह रहेगा कि वह घर रहकर ही कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स खाकर गर्भपात कर लें, मगर यह कितना सुरक्षित होगा और उनकी सेहत पर कितना बुरा असर डालेगा। इसके बारे में किसी को कोई अंदाजा नहीं है।

सुरक्षित गर्भपात न होने से महिलाओं की हो सकती है मौत
अनचाही प्रेग्नेंसी और गर्भपात ज्यादातर उन महिलाओं के साथ होता है जोकि दूसरे देशों से आई होती हैं या फिर गरीब परिवार की होती हैं। यह हाल सिर्फ अमेरिका ही नहीं बल्कि दुनियाभर में है। शोध में देखा गया है कि भले ही गर्भपात पर बैन लग जाए मगर यह कभी भी पूरी तरह से बंद नहीं होता। जिन लोगों को गर्भपात कराना होता है या जिनकी मजबूरी होती है वे इसे किसी भी हाल में कराते हैं।

मजबूरी में आकर महिलाएं सुरक्षित गर्भपात नहीं करा पाती और ऐसी महिलाओं का स्वास्थ्य हमेशा खराब रहता है। कई बार वे इंफेक्शन का शिकार हो जाती है, तो कभी उनकी ज्यादा ब्लीडिंग हो जाती है। जिन महिलाओं की प्रेग्नेंसी ज्यादा महीने की है वे कई बार सुरक्षित गर्भपात नहीं होने पर मर भी जाती हैं।

अब अमेरिका में नए फैसले के आधार पर हर राज्य को गर्भपात के लिए अगर निर्णय लेने का अधिकार दिया है। इस कारण महिलाओं को गर्भपात के लिए बहुत दूर ट्रैवल कर जाना पड़ेगा। इतना दूर जाना हर महिला के बस की बात नहीं होगी क्योंकि इसके लिए अच्छा खर्च भी आएगा, जोकि गरीब तबके की महिलाएं नहीं दे सकती तो उनके लिए यह रास्ता भी बंद हो जाएगा। इस समस्या को खुद अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट ने साल 2016 में स्वीकारा था।

कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स (गर्भनिरोधक दवाई) पर भी लगेगा बैन ?
अमेरिका में ज्यादातर महिलाएं गर्भनिरोधक दवाई लेकर ही गर्भपात करती हैं। साल 2020 यानी कोरोना काल में यह तरीका अमेरिका में सबसे ज्यादा अपनाया गया। इसमें महिलाओं को दो गोलियां खानी होती हैं, जिससे घर बैठे गर्भपात हो जाता है। इसके लिए डॉक्टर अब मरीज से सामने से मिलते भी नहीं है बल्कि उन्हें फोन पर या ई-मेल पर ही दवाईयां लिखकर देते हैं। इसलिए यह तरीका सबसे ज्यादा महिलाएं अपना रही हैं।

10 में से एक महिला अगर प्रेग्नेंसी को जारी भी रखती है तो वह भी सिर्फ इसलिए क्योंकि उन्हें सही समय पर इलाज नहीं मिल पाता है।

जिन राज्यों में गर्भपात पर बैन लगा है वे कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स पर बैन लगाने की भी कोशिश करेंगे। मगर फोन और मेल पर डॉक्टर से प्रिस्क्रिप्शन लेने से रोकना उन राज्यों के लिए भी चुनौतीपूर्ण होगा। अगर इन राज्यों में कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स पर भी बैन लगा तो लोगों का गुस्सा और भी बढ़ सकता है।

कुछ राज्य फिलहाल के लिए कुछ चुनिंदा कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स को अपने राज्यों में जरूर बैन करेंगे। खासकर उन दवाईयों को जिनकी वजह से धार्मिक सभ्यता को नुकसान पहुंचता है।

LGBTQA+ के अधिकार का कैसे होगा हनन
अमेरिका के इस फैसले से लेस्बियन, गे, बाईसेक्शुअल और एलजीबीटी कम्यूनिटी पर भी सीधे असर पड़ेगा। एलजीबीटी कम्यूनिटी अपनी रीप्रोडक्टिव हेल्थ केयर के लिए काफी परेशान होगी, क्योंकि ज्यादातर एलजीबीटी लोग गर्भपात करवाते हैं। इसमें से कई लोग कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स पर आश्रित रहते हैं। साल 2017-19 के नेशनल सर्वे फॉर फैमिली ग्रोथ के मुताबिक 15.4% हेट्रोसेक्शुअल महिलाओं के मुकाबले, 22.8 % लेस्बियन, 27.3 % बाईसेक्शुअल वुमन प्रेग्नेंट होने के बाद गर्भपात करवाती हैं।

2019 में बीएमजे सेक्शुअल एंड रिप्रोडक्टिव हेल्थ जर्नल की रिपोर्ट के अनुसार 1/3 ट्रांसजेंडर महिलाएं गर्भपात करवाती हैं।

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