कम से कम उस ऊंचाई के बारे में तो जरूर ही सोचें, जिसे हासिल करना हाथ में है

एक भिखारी रोज ट्रेन में एक स्टेशन से दूसरे स्टेशन तक भीख मांगता और फिर उसी ट्रेन से लौट आता। एक दिन वह एक सूटधारी बिजनेसमैन को देखता है तो उससे भी कुछ देने को कहता है। सूटधारी यह कहते हुए मना कर देता है कि मैं बिजनेसमैन हूं और तभी किसी को कुछ देता हूं, जब बदले में वह भी मुझे कुछ दे। भिखारी कहता है, मैं क्या दे सकता हूं सर? मैं खुद भिखमंगा हूं।

बिजनेसमैन उसे इग्नोर करके चला जाता है। इस बातचीत का भिखारी पर गहरा असर पड़ता है और वो रातभर सोचता है कि बदले में क्या दे सकता है। अगली सुबह वह स्टेशन से कुछ फूल चुनता है और उसे पैसा या भोजन देने वालों को वो फूल देने लगता है। धीरे-धीरे यह उसकी रोज की आदत बन जाती है और उसे ‘फूलोंवाला भिखारी’ नाम से जाना जाने लगता है। बहुत समय बाद उसकी उसी बिजनेसमैन से मुलाकात होती है।

वह उसे भी फूल देता है, जिससे वह चकित रह जाता है। वो कहता है, ओह तो तुम भी मेरी तरह कारोबारी बन गए, मुझे तुम्हारा एटिट्यूड अच्छा लगा। अब भिखारी ट्रेन से उतरता है और जोर से कहते हुए चलता-चला जाता है कि आज से मैं भिखारी नहीं कारोबारी बन गया हूं। उसे सुनने वालों को लगता है कि वह शायद पगला गया है। उसके बाद वह भिखारी दिखाई नहीं देता। 4 साल बाद उसी कम्पार्टमेंट में दो सूटधारी बिजनेसमैन यात्रा कर रहे थे।

एक वही पुराना वाला, और एक नया। नए बिजनेसमैन ने पुराने वाले से हाथ मिलाया और कहा, मुझे पहचाना? पुराने बिजनेसमैन ने कहा, शायद मैं आपसे पहली बार मिल रहा हूं। नए बिजनेसमैन ने उसे बिजनेस कार्ड थमाते हुए कहा, नहीं सर, हम पहले दो बार मिल चुके हैं। मैं फूलों का व्यापारी हूं, बिजनेस डील के लिए शहर से बाहर जा रहा हूं। इसका श्रेय आप ही को जाता है।

जब मेरी आपसे पहली मुलाकात हुई थी तो आपने सिखाया था कि मुझे जीवन में क्या करना चाहिए और दूसरी मुलाकात में आपने बताया कि मैं कौन हूं। इन दोनों मुलाकातों ने मेरे सोचने की प्रक्रिया ही बदल दी। मैं समझ गया कि जब तक मैं खुद को भिखारी समझता था, तब तक भिखारी का जीवन बिता रहा था। जैसे ही आपने मुझे कारोबारी कहकर पुकारा, मैं कारोबारी बन गया।

इसमें केवल कुछ साल लगे। 11 साल के प्रथमेश सिन्हा ने जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने अपना परिचय थिंकरबेल लैब्स के ब्रांड एम्बैसेडर के तौर पर दिया और गैजेट एनी का डेमंस्ट्रेशन दिया तो मुझे बचपन में सुनी ये कहानी याद आ गई। एनी अपने तरह का अनूठा ब्रेल सेल्फ-लर्निंग डिवाइस है, जिसकी ईजाद थिंकरबेल लैब्स ने की है। प्रथमेश शार्क टैंक इंडिया शो में भी आ चुका है।

गांधीनगर में चल रहे डिजिटल इंडिया वीक 2022 में उसकी भेंट इस सोमवार को पीएम से हुई और उसने सेल्फ-लर्निंग गैजेट से उन्हें प्रभावित किया। बाद में भाषण में पीएम ने कहा कि प्रथमेश जैसे आत्मविश्वास से भरे बच्चों से मिलकर मेरा भरोसा और पुख्ता हो जाता है कि देश प्रगति-सुनहरे भविष्य की दिशा में बढ़ रहा है। जीवन हर आयाम में आपको ऊंचे-नीचे का विकल्प देता है।

अपनी बुद्धिमत्ता का उपयोग कर दोनों में अंतर पहचानें और पूरे दिल से ऊंचाई की ओर बढ़ने की इच्छा रखें। जैसे कोई बच्चा नया खिलौना पाते ही पुराने को भूल जाता है, उसी तरह जब आपकी अंदरूनी चेतना भी निचले को छोड़कर ऊंचे को अपनाएगी तो जीवन में ‘गिव-अप’ की कोई जगह नहीं होगी, और ‘गो-अप’ का सिलसिला चलता ही रहेगा।

फंडा यह है कि जब जीवन आपको उस मुकाम पर ले जाए, जहां आपको अपने बारे में सोचना हो तो हमेशा ऊंचा सोचें। कम से कम उस ऊंचाई के बारे में तो जरूर ही सोचें, जिसे हासिल करना हाथ में है।

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