ग्वालियर नगरीय निकाय चुनाव:भाजपा में चिंतन से पहले सोशल मीडिया पर हार को लेकर कलह

नगरीय निकाय चुनाव में भाजपा की महापौर प्रत्याशी की हार और उम्मीद के अनुसार पार्षद प्रत्याशियों के न जीतने के मामले पर पार्टी ने मंथन भले ही शुरू नहीं किया हो, लेकिन सोशल मीडिया पर कार्यकर्ताओं की कलह शुरू हो गई है। रोजाना नई-नई पोस्ट डालकर कार्यकर्ता टिकट वितरण के मानक व स्थानीय संगठन की भूमिका पर सवाल उठा रहे हैं।

मंगलवार को सावरकर मंडल के 5 में से 4 वार्ड हारने पर सोशल मीडिया पर विवाद चलता रहा। वीर सावरकर मंडल के वाट्सएप ग्रुप पर कार्यकर्ताओं का आरोप था कि पैनल में शामिल नामों को वजन न देकर अपने मन से टिकट दिए जाएंगे तो स्थिति यही रहेगी।

कार्यकर्ताओं ने इस ग्रुप में नगरीय चुनाव के संकेत के बाद 2023 में होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर आशंका जाहिर की है। कार्यकर्ताओं ने पार्टी में हुई भितरघात पर भी सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि हार की नैतिक जिम्मेदारी लेकर जिम्मेदारों को पद छोड़ देना चाहिए।

सीधी बात- कमल माखीजानी, जिलाध्यक्ष भाजपा

निकाय चुनाव में पार्टी की महापौर प्रत्याशी की हार के कारण क्या रहे? पहली नजर में तो मतदाता सूची में गड़बड़ी, पर्ची न बंट पाना, वोटिंग परसेंटेज कम रहने के अलावा आम आदमी पार्टी की प्रत्याशी द्वारा वोट काटना ही कारण नजर आ रहा है।

पार्टी की आंतरिक गड़बड़ी के मामले सामने आए हैं क्या? जिन्हें टिकट नहीं मिला और जो टिकट मिलने के बाद भी हार गए। ऐसे लोगाें के समर्थक एक-दूसरे की शिकायतें जरूर कर रहे हैं, लेकिन हम इसकी अपने स्तर पर जांच कराने के बाद ही किसी निष्कर्ष पर पहुंचेंगे।

जिला संगठन की भूमिका व टिकट बांटने पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं? जो लोग सवाल उठा रहे हैं, उन्हें खुद ये देखना चाहिए कि एक पार्टी कार्यकर्ता या पदाधिकारी होने के नाते उनकी भूमिका चुनाव में क्या रही।

कार्यकर्ता पार्टी फोरम पर खुलकर अपनी बात रखना चाहते हैं? पहले हम हार के कारणों पर मंथन कर लें फिर उनके हिसाब से संबंधितों को बुलाकर उनकी बात सुनी जाएगी।

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