पत्नी को डिप्रेशन, परेशान पति बना देशद्रोही ….!

बिगड़ रही दुनिया की मेंटल हेल्थ…भारत में भी 14% आबादी को मेंटल डिसऑर्डर

‘मेरी पत्नी/मेरा पति मुझे पागल कर देगी/देगा…’ ऐसी लाइनें हम अपने आस-पास लगभग हर रोज सुनते हैं। लेकिन क्या पत्नी का डिप्रेशन पति को देश से गद्दारी पर भी मजबूर कर सकता है?

अमेरिका में कुछ ऐसा ही हुआ है। नेवल डिफेंस डिपार्टमेंट में काम करने वाला एक व्यक्ति न्यूक्लियर सबमरीन से जुड़ी सीक्रेट जानकारी ब्राजील को बेचने की कोशिश में गिरफ्तार हुआ। उसने कहा कि पत्नी के लंबे डिप्रेशन और काम के तनाव के चलते उसने नर्वस ब्रेकडाउन की हालत में यह कोशिश की।

इससे भी ज्यादा चौंकाने वाली बात ये है कि अमेरिकी कोर्ट ने उसकी पत्नी को भी इस अपराध में भागीदार ही नहीं, पति को उकसाने वाला माना है। पति को 19 साल तो पत्नी को 22 साल की सजा दी गई है।

ये घटना रोचक तो है, मगर इसने एक बड़ी समस्या को फिर उजागर किया है जिसे पूरी दुनिया और खासतौर पर भारत में इग्नोर किया जाता है। मेंटल हेल्थ आज भी पूरी दुनिया में 20% से डायवोर्स का कारण बनता है। इसके बावजूद 80% से ज्यादा मेंटल इलनेस के मरीज इलाज नहीं करवाना चाहते। भारत में करीब 14% आबादी किसी न किसी मेंटल हेल्थ डिसऑर्डर से ग्रस्त है।

जानिए, आखिर कैसे एक सदस्य के डिप्रेशन ने अमेरिका के पूरे परिवार को तबाह कर दिया। और कैसे भारत में दबे पांव मेंटल इलनेस अपने पांव पसार रहा है…

पहले जानिए, अमेरिका की वो घटना जिसने पूरी दुनिया का ध्यान खींच लिया

ब्राजील को बेचना चाहते थे न्यूक्लियर सीक्रेट्स…ब्राजील ने ही पकड़वाया

ब्राजील अपना न्यूक्लियर सबमरीन प्रोग्राम खड़ा करना चाहता है। जोनाथन टोब्बे का मानना था कि ब्राजील चूंकि अमेरिका का सहयोगी देश है इसलिए उसे न्यूक्लियर सीक्रेट्स बेचना खतरनाक नहीं होगा।

जोनाथन टोब्बे वॉशिंगटन नेवी यार्ड में न्यूक्लियर रिएक्टर्स सेक्शन में काम करता था जहां अमेरिका की न्यूक्लियर सबमरीन्स पर काम होता है। उसके देशद्रोही होने का पता चलने की कहानी भी रोचक है।

ब्राजील की इंटेलिजेंस एजेंसी को एक अनाम खत मिला जिसमें अमेरिकी न्यूक्लियर सबमरीन्स की खुफिया जानकारी बेचने की पेशकश की गई थी। ब्राजीली सरकार अमेरिका से संबंध खराब नहीं करना चाहती, इसलिए ब्राजीली एजेंसी ने यह खत एफबीआई को सौंप दिया।

एफबीआई ने खत की पड़ताल शुरू की और अंतत: पता चला कि इसे लिखने वाला जोनाथन टोब्बे था। उसने अपने दफ्तर से कुछ कॉन्फिडेंशल दस्तावेज चुराए थे। जांच एजेंसियों ने इस काम में मदद करने के आरोप में उसकी पत्नी डायना टोब्बे को भी गिरफ्तार कर लिया।

जोनाथन ने स्वीकारा- पत्नी की मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम्स की वजह से उसे नर्वस ब्रेकडाउन

कोर्ट में दिए अपने बयान में जोनाथन टोब्बे ने माना है कि वह अपने परिवार को अमेरिका से बाहर किसी दूसरे देश में बसाना चाहता था।
कोर्ट में दिए अपने बयान में जोनाथन टोब्बे ने माना है कि वह अपने परिवार को अमेरिका से बाहर किसी दूसरे देश में बसाना चाहता था।

कोर्ट में जोनाथन टोब्बे ने स्वीकारा कि उससे गलती हुई है। उसने कहा कि परिवार में लंबे समय से मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम्स चल रही हैं। काम के दबाव और देश की राजनीतिक हालत में उसे लगा कि इस समय परिवार को अमेरिका से बाहर कहीं बसाना ठीक होगा।

इसके लिए पैसा जुटाने के इरादे से उसने दफ्तर से गोपनीय दस्तावेज चुराए। उसकी पत्नी डायना टोब्बे ने भी कहा कि उसने पति को रोकने के बजाय उसके प्लान में साथ देने की गलती की। हालांकि उसके मुताबिक यह पूरा प्लान उसके पति का था।

जज ने कहा- पत्नी ही पूरे प्लान की ड्राइवर…अब पति को फंसाकर खुद कम सजा चाहती है

यह तस्वीर इस दंपती के इंस्टाग्राम अकाउंट पर थी। दंपती के दो बच्चे हैं जो अब रिश्तेदारों के पास रहेंगे।
यह तस्वीर इस दंपती के इंस्टाग्राम अकाउंट पर थी। दंपती के दो बच्चे हैं जो अब रिश्तेदारों के पास रहेंगे।

जांच एजेंसियों ने डायना टोब्बे के लिए 3 साल की जेल की सजा मांगी थी, मगर जज ने उसे 22 साल की सजा दी और जोनाथनन टोब्बे को 19 साल की।

जज का कहना था कि डायना ने ही अपने पति को इस तरह का काम करने के लिए उकसाया और वही इस पूरे प्लान के पीछे है। पकड़े जाने के बाद उसने अपने पति पर इस बात का भी दबाव बनाया कि वह पूरा इल्जाम अपने सिर ले ताकि डायना को कम सजा मिले।

डायना ने ट्रायल के दौरान कस्टडी में चोरी-छुपे अपने पति तक दो बार खत पहुंचाने की कोशिश की थी। ये खत जेल प्रशासन के हाथ लग गए। इनमें भी डायना ने अपने पति को धमकाने के अंदाज में कहा था कि वह कोर्ट में स्वीकार करे कि पूरे प्लान में डायना का कोई हाथ नहीं था।

जज ने इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए यह माना कि पत्नी की मेंटल हालत की वजह से ही जोनाथन ने देशद्रोह जैसा कदम उठाया। इस अपराध में पत्नी की भूमिका ज्यादा है, इसलिए उसे सजा ज्यादा मिलेगी।

अब बात उस बहस की जो इस घटना की वजह से फिर उठ खड़ी हुई है

दुनिया की 15% और भारत की 13.73% आबादी किसी न किसी मेंटल डिसऑर्डर से जूझ रही है

ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में हर 7 में से 1 व्यक्ति यानी करीब 15% आबादी किसी न किसी मेंटल डिसऑर्डर से जूझ रही है।

भारत में यूं तो मेंटल डिसऑर्डर्स के पीड़ितों की संख्या 2014 के बाद से लगातार घटी है। मगर 2019 के आंकड़े बताते हैं कि देश की 13.73% आबादी किसी न किसी मेंटल डिसऑर्डर से पीड़ित है।

महिलाओं में मेंटल डिसऑर्डर ज्यादा

भारत में मेंटल डिसऑर्डर के मरीजों को जेंडर के आधार पर देखें तो महिलाओं में इनकी संख्या थोड़ी ज्यादा है। भारत के पुरुषों में 14.46% मेंटल डिसऑर्डर्स से पीड़ित हैं, जबकि 14.57% महिलाएं ऐसे रोगों का शिकार हैं।

ग्लोबल स्केल पर देखें तो यह अंतर और भी ज्यादा है। अमेरिका में ही 16.26% पुरुष और 18.35% महिलाएं मेंटल डिसऑर्डर्स से पीड़ित हैं।

भारतीय कानून में गंभीर मेंटल इलनेस ही बन सकता है तलाक की वजह

हिंदू मैरिज एक्ट के सेक्शन 13 के मुताबिक किसी की लाइलाज मेंटल बीमारी या बार-बार पड़ने वाले दिमागी दौरे तलाक का ग्राउंड बन सकते हैं।

हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने 2021 में एक फैसले में यह स्पष्ट किया है कि मेंटल इलनेस तलाक का कारण तभी माना जा सकता है जब बीमार व्यक्ति अपना इलाज करवाने से मना कर दे।

भारत के मामले में यह स्थिति ज्यादा खराब है क्योंकि सामाजिक या आर्थिक कारणों की वजह से करीब 80% लोग मेंटल इलनेस का इलाज नहीं करवाना चाहते हैं।

ज्यादातर लोग मनोचिकित्सक के पास सिर्फ इसलिए नहीं जाना चाहते कि लोगों को पता चला तो उन्हें पागल करार दिया जाएगा।

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