भाजपा-कांग्रेस में दलबदलुओं का विरोध ?
अभी तक की खास चुनावी खबरें …
- कांग्रेस की दूसरी सूची के बाद भी नाकाम टिकटार्थियों का गुस्सा और विरोध बरकरार। सिर्फ आमला सीट का ऐलान बाकी। निशा बांगरे के लिए सुरक्षित।
- बीजेपी में भी असंतोष की आग थमी नहीं। सिद्धार्थ तिवारी के पार्टी में आने का विंध्य बीजेपी ने किया विरोध। खुलेआम विद्रोह की चेतावनी।
- बीएसपी और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के बीच गठबंधन के सामने मुश्किलें ही मुश्किलें। गोंडवाना गणतंत्र पार्टी में उठने लगे विरोध के स्वर।
भाजपा में आए सिद्धार्थ तिवारी का विरोध
बघेलखण्ड में व्हाइट टाइगर कहे जाने वाले कांग्रेस के श्रीनिवास तिवारी के पौत्र सिद्धार्थ तिवारी परिवार की विरासत संभाल रहे हैं। इस बार कांग्रेस ने टिकट नहीं दिया और पार्टी छोड़ने पर मजबूर कर दिया। सिद्धार्थ ने बीजेपी जॉइन कर ली, लेकिन वहां सिर मुंडाते ही ओले पड़े जैसी स्थिति बन गई। समूची बीजेपी विरोध में खड़ी हो गई। प्रदेश अध्यक्ष को चिठ्ठी में कहा गया है कि तिवारी परिवार ने हमेशा बीजेपी का विरोध किया है, उसी परिवार को पार्टी टिकट दे रही है।
मतदान केंद्र से लेकर मंडल और जिला स्तर तक के सभी पदाधिकारी और सदस्य इस निर्णय का विरोध करते हैं। अब बीजेपी हक्का बक्का है। इस चक्कर में कई प्रत्याशियों का ऐलान रुक गया।
![श्रीनिवास तिवारी के पौत्र सिद्धार्थ तिवारी के भाजपा में आने के बाद कार्यकर्ताओं ने विरोध शुरू कर दिया है। मंडल और जिला स्तर तक के पदाधिकारी इस निर्णय का विरोध कर रहे हैं।](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2023/10/20/_1697813185.jpg)
15 दिन पहले कांग्रेस में आए शुक्ल को टिकट
उधर, बीजेपी से नाराज चल रहे रामकिशोर शुक्ल 15 दिन पहले ही कांग्रेस में शामिल हुए थे। उन्हें महू से टिकट देने के विरोध में कांग्रेस कार्यकर्ता सड़कों पर उतर आए। महू से दो बार बीजेपी विधायक रहे अंतर सिंह दरबार के समर्थकों ने निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा की है।
कार्यकर्ताओं का गुस्सा दबाने में नाकाम कांग्रेस
इससे पहले कांग्रेस ने आधी रात को अचानक अपनी दूसरी सूची जारी कर दी। इसमें 88 उम्मीदवारों के नाम थे। इस सूची में कांग्रेस ने कार्यकर्ताओं के गुस्से को ठंडा करने की कोशिश तो की, लेकिन अभी तो नाकामी मिली है। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति को गोटेगांव से फिर प्रत्याशी बना दिया गया। उनके अलावा दतिया और पिछोर में भी प्रत्याशियों को भारी विरोध के चलते बदला गया।
![कांग्रेस की 88 उम्मीदवारों की सूची आने के बाद प्रदेश के कई जिलों में विरोध देखने को मिला। बड़वानी के सेंधवा में विधायक का टिकट कटने पर पुतला जलाते कांग्रेस कार्यकर्ता।](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2023/10/20/whatsapp-image-2023-10-20-at-185403_1697813426.jpeg)
भाजपा से आए नेता बने प्रत्याशी
पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी के बेटे दीपक जोशी और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सीता शरण शर्मा के भाई गिरिजा शंकर शर्मा और बदनावर से भंवर सिंह शेखावत और जावद से समंदर पटेल को टिकट दिए गए हैं। ये सभी बीजेपी से आए हैं। आमला सीट पर कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार अभी रोका हुआ है। अनुमान है कि इस पर निशा बांगरे को टिकट मिल सकता है, लेकिन अदालत का फैसला आने तक रुकना पड़ेगा।
कांग्रेस का बीजेपी को उसी की शैली में जवाब
मगर कहानी सिर्फ टिकट नहीं मिलने से खफा उम्मीदवारों की नहीं है। कई बार सियासत में जो तीर एक पार्टी चलाती है, कभी-कभी वही तीर उलटकर भी लगता है। कांग्रेस ने बीजेपी को उसी के तीर से शिकार करने का प्रयास किया है। बीते वर्षों में बीजेपी ने कांग्रेस को कमजोर करने के लिए उसके नेताओं को धड़ल्ले से पार्टी में लाने की नीति अपनाई थी। पहली बार कांग्रेस ने बीजेपी को उसी की शैली में उत्तर दिया है। इसके दो कारण हैं। एक तो कमलनाथ सरकार का गिरना नहीं भूल पा रहे हैं और दूसरी ओर पार्टी आला कमान बेहद आक्रामक अंदाज में बीजेपी से दो-दो हाथ करने के मूड में हैं।
गोंगपा और बसपा समझौते पर सवाल
गोंडवाना गणतंत्र पार्टी (गोंगपा) और बहुजन समाज पार्टी ने आपस में चुनावी गठबंधन किया है, लेकिन अब गठबंधन पर सवाल उठने लगे हैं। गोंडवाना पार्टी के कार्यकर्ताओं ने पदाधिकारियों तक यह बात पहुंचाई है कि बीएसपी परदे के पीछे से बीजेपी की मदद कर रही है। कार्यकर्ताओं का आरोप है कि ऐसी पार्टी को सहयोग करने वाले दल से गठबंधन का औचित्य नहीं है, जिसके नेता और कार्यकर्ता आदिवासियों के चेहरे पर पेशाब करते हैं और सरेआम अपमानित करते हैं।
मध्य प्रदेश में 47 सीटें आदिवासियों के लिए आरक्षित हैं। उन इलाकों में बीएसपी का कोई जनाधार नहीं है। जाहिर है कि गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का वोट बैंक बीएसपी को फायदा पहुंचाएगा। दोनों पार्टियों ने तय किया है कि जहां गोंडवाना पार्टी का प्रत्याशी होगा, वहां बीएसपी का मतदाता उसे वोट करेगा और जहां बीएसपी का प्रत्याशी होगा, वहां गोंडवाना पार्टी का वोट उसे दिलवाया जाएगा। ध्यान देने की बात यह है कि अनुसूचित जाति के लिए 35 सीटें आरक्षित हैं। इस तरह दोनों की रिजर्व सीटें 82 हैं। आदिवासियों के वोट एक करोड़ दस लाख के आसपास हैं और अनुसूचित जाति के वोट लगभग 75 लाख। अनुमान लगाया जा सकता है कि किस दल को किसके वोटों का फायदा होगा। कुछ मुखर कार्यकर्ता तो समझौते के पीछे लेनदेन का आरोप लगाते हैं।
![गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के अध्यक्ष दादा हीरा सिंह मरकाम ने 2018 में समाजवादी पार्टी से गठबंधन किया था। (फाइल फोटो)](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2023/10/20/_1697816889.jpg)
अलग राज्य की मांग और आदिवासियों के लिए चावल बैंक
आपको याद होगा कि पिछले चुनाव में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का समझौता समाजवादी पार्टी से हुआ था। दिलचस्प है कि पार्टी का गठन 1991 में हीरासिंह मरकाम ने किया था। वे गोंडवाना राज्य बनाना चाहते थे। उन्होंने आदिवासियों के लिए चावल बैंक बनाया था। इसमें हर महिला रोज एक मुट्ठी चावल डालती थी। इस चावल को बेचकर जो पैसा आता था, वह महिलाओं को बिना ब्याज के ऋण के रूप में दिया जाता था। तब तक वह महिला दो मुट्ठी चावल डालती थी। मैं जब इस चावल बैंक पर एक फीचर लिखने सरगुजा गया तो यह करोड़ों रुपए का बैंक हो गया था। जब छत्तीसगढ़ बना तो यह पार्टी दो फाड़ हो गई।
भाजपा-कांग्रेस में दलबदलुओं का विरोध …बसपा-गोंगपा गठबंधन पर सवाल; कार्यकर्ताओं का गुस्सा दबाने में कांग्रेस नाकाम
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भाजपा से कांग्रेस में आए 6 नेताओं को टिकट, इनके हाथ खाली, ऐसा है दलबदलुओं का हाल
कांग्रेस ने 229 विधानसभा सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं। पार्टी ने भाजपा से कांग्रेस में आए 6 नेताओं को टिकट दिया है।
भाजपा से आए 6 नेताओं को कांग्रेस ने दिया टिकट
……मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने दो सूचियां जारी कर 229 विधानसभा सीटों पर प्रत्याशियों के नाम घोषित कर दिए हैं। बैतूल की आमला विधानसभा सीट को फिलहाल होल्उ पर रखा गया है। वहीं कांग्रेस की इन दोनों सूची पर नजर डालें तो पार्टी ने इस चुनाव में भाजपा से कांग्रेस में आए 6 दल बदलुओं को टिकट दिया है। वहीं दो नेताओं के हाथ खाली है।
इन नेताओं को मिला टिकट
गिरिजाशंकर शर्मा
गिरिजाशंकर शर्मा ने सितंबर में भाजपा छोड़ कांग्रेस की सदस्यता ली थी, वे वर्तमान विधायक सीताशरण शर्मा के भाई है। वे पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की मौजूदगी में कांग्रेस में शामिल हुए थे। उस दौरान उन्होंने भाजपा पर सुनवाई न करने का आरोप लगाया था। कांग्रेस ने उन्हें होशंगाबाद से टिकट दिया है।
दीपक जोशी
दीपक जोशी पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी के बेटे थे, वे लंबे समय से भाजपा से नाराज चल रहे थे। उन्होंने भाजपा पर उनके पिता की उपेक्षा का आरोप लगाया था, जिसके बाद वे भाजपा छोड़ कांग्रेस में शामिल हो गए थे। जोशी की देवास जिले में खासी पैठ मानी जाती है, पार्टी ने उन्हें खातेगांव से प्रत्याशी बनाया है।
भंवर सिंह शेखावत
पूर्व विधायक भंवर सिंह शेखावत सितंबर में कांग्रेस में शामिल हुए थे। वे भाजपा से लंबे समय से नाराज चल रहे थे। उन्हें कमलनाथ ने भोपाल में पार्टी की सदस्यता दिलाई थी। शेखावत बदनावर से चुनाव लडे़गे।
अभय मिश्रा
अभय मिश्रा कांग्रेस की ओर से टिकट मिलने के कुछ दिन पहले ही भाजपा छोड़ी थी। दरअसल, अभय मिश्रा ने पूर्व में भाजपा में थे, लेकिन साल 2018 में वे भाजपा छोड़ कांग्रेस में शामिल हो गए, पार्टी ने उन्हें रीवा से टिकट दिया था, लेकिन वे चुनाव हार गए। जिसके बाद अगस्त 2023 में वे फिर भाजपा में शामिल हो गए। लेकिन उनका कुछ माह में ही पार्टी से मोह भंग हो गए और वे दोबारा कांग्रेस में शामिल हो गए। पार्टी ने मिश्रा को सेमरिया से टिकट दिया है।
समंदर सिंह पटेल
भाजपा प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य रहे समंदर सिंह पटेल अगस्त में सैकड़ों गाड़ियों के काफिले के साथ भोपाल पहुंचे और कांग्रेस में शामिल हुए थे। पटेल का नीमच की राजनीति में बड़ा नाम है। वे कांग्रेस के टिकट पर जावद सीट से चुनाव लड़ेंगे।
अमित राय
अमित राय निवाड़ी सीट से विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। खास बात यह है कि अमित राय ने औपचारिक तौर पर न तो भाजपा की सदस्यता से इस्तीफा दिया है और न ही औपचारिक तौर पर कांग्रेस की सदस्यता ली है।
अमित राय भाजपा के जिलाध्यक्ष पर है।
इन नेताओं के हाथ खाली
अवधेश नायक
अवधेश नायक भाजपा से बगावत कर कांग्रेस में शामिल हुए थे। उन्हें पार्टी ने पहली सूची में दतिया से टिकट दिया था, लेकिन नायक के विरोध के बाद दूसरी सूची में उनका नाम काट दिया गया और उनके स्थान पर राजेंद्र भारती को टिकट दिया गया है। अवधेश नायक उमा भारती के समर्थक थे और उन्होंने उमा भारती की भारतीय जनशक्ति पार्टी से टिकट लड़ा था।
वीरेंद्र रघुवंशी
कोलारस विधायक वीरेंद्र रघुवंशी उन विधायकों में शामिल है, जो ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए थे, लेकिन अगस्त में उनका भाजपा से मोहभंग हो गया और वे दोबारा कांग्रेस में लौट आए। उन्हें शिवपुरी से लड़ाए जाने की चर्चा थी, लेकिन कांग्रेस ने उनका नाम काटकर केपी सिंह को टिकट दे दिया। अब रघुवंशी केपी सिंह को टिकट देने का विरोध कर रहे हैं।