साइबर ठगी कहने के बजाए साइबर डकैती कहना ज्यादा सही होगा?

फेक न्यूज़ चैनलों और डीपफेक साइबर डकैतों से सावधान रहें
एक बात अच्छे से समझ लीजिए। कोई पुलिस अफसर किसी केस के बारे में आपको फोन पर जानकारी नहीं देगा। कोई पुलिस अधिकारी वीडियो कॉल करके न वारंट की बात कहेगा, न गिरफ्तारी का डर दिखाएगा, न दूसरे थाने में फोन ट्रांसफऱ करेगा, न वीडियो कॉल पर पूछताछ की जाएगी, न कोई पुलिस अफसर जमानत के रास्ते बताएगा।

देश भर में साइबर ठगी के मामले बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं।  जो केसेज सामने आए हैं, उन्हें साइबर ठगी कहने के बजाए साइबर डकैती कहना ज्यादा सही होगा। इस विषय पर आगे कुछ लिखने से पहले मैं बताना चाहता हूं कि शुक्रवार को भारत सरकार ने ऐसे 9 यूट्यूब चैनलों को बंद कर दिया 

अब आपको बताता हूं, साइबर क्राइम करने वाले टैक्नोलॉजी की मदद से किस किस तरह के पैंतरे अपनाकर लोगों को ठग रहे हैं। सबसे ताजा मामला ग़ाज़ियाबाद का है।  ग़ाज़ियाबाद में एक बुजुर्ग को बिल्कुल फिल्मी स्टाइल में ठगा गया। साइबर ठगी के इस केस में AI का इस्तेमाल किया गया। रिटायर्ड पुलिस अफसर की शक्ल, उसकी आवाज, उसी के दफ्तर के वीडियो का इस्तेमाल शिकार को धमकाने के लिए किया गया। असल में हुआ य़े है कि गाजियाबाद में 74 साल के बुजुर्ग अरविन्द शर्मा ने नया स्मार्ट मोबाइल फोन खरीदा। फोन में कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के एप डाउनलोड कर लिए। अपना प्रोफाइल भी बना लिया। इसके बाद फेसबुक मैसेंजर खोला तो दूसरी तरफ से कॉल आई। बुजुर्ग ने कॉल रिसीव कर ली। इसके तुरंत बाद व्हाट्सऐप पर वीडियो कॉल आई दूसरी तरफ़ से वीडियो कॉल पर एक लेडी थी, उसने कपड़े नहीं पहन रखे थे। बुजुर्ग ने जैसे ही ये देखा तो तुरंत कॉल डिस्कनेक्ट कर दी लेकिन इससे मुसीबत खत्म नहीं हुई। मुसीबत यहीं से शुरू हुई थी। कुछ देर बाद बुजुर्ग के पास फोन आया। कॉल करने वाले ने खुद को पुलिस वाला बताया और कहा कि उनके पास शिकायत आई है कि आप फोन पर अश्लील वीडियो चैट्स करते हैं। बुजुर्ग घबरा गया। पुलिस वाले ने थाने पहुंचने को कहा। बुजुर्ग को लगा कि अगर ये बात किसी को पता लगी तो बेइज्जती होगी। बुजुर्ग से कहा गया कि वो बड़े अधिकारी से बात करे। बताया गया कि ADG प्रेम प्रकाश वीडियो कॉल पर बात करेंगे। बुजुर्ग के फोन पर वीडियो कॉल आई। मैं आपको बता दूं कि प्रेम प्रकाश वाकई में IPS अफसर थे। कुछ दिन पहले रिटायर हुए हैं लेकिन इस वीडियो कॉल में असली प्रेम प्रकाश नहीं, AI का इस्तेमाल करके उनका डीपफेक था। चेहरा प्रेम प्रकाश का, आवाज प्रेम प्रकाश की, दफ्तर भी उन्हीं का। ये सब देखकर कोई भी चकरा जाएगा।  पुलिस वाले ने उनसे कॉन्टैक्ट किया। बुजुर्ग से 74 हजार रूपए वसूल लिए लेकिन पीछा नहीं छोड़ा। जब परिवार वालों ने देखा कि अरविन्द परेशान हैं तो उन पर बहुत दवाब डाला। तब जाकर अरविन्द ने अपनी बेटी को सारी बात बताई। बेटी ने वकील से संपर्क किया। जब वकील ने ठगों से बात की तो ठगों ने कॉल डिस्कनेक्ट कर दी और सारे नंबर स्विच ऑफ हो गए। ग़ाज़ियाबाद के DCP सिटी निपुण अग्रवाल ने कहा कि पुलिस को वो बैंक एकाउंट नंबर मिल गया है, जिसमें अरविंद शर्मा ने पैसे ट्रांसफर किए थे और फेक कॉल करने वाले का IP एड्रेस भी मिल गया है, बहुत जल्दी, अपराधियों को पकड़ लिया जाएगा। इसी तरह हरियाणा के फ़रीदाबाद में एक छात्रा अनन्या को ठगों ने साइबर ठगी का शिकार बनाया। परिवार वालों ने उसे नया लैपटॉप दिलवाया था। इसी लैपटॉक के जरिए डिजिटल डकैतों ने अनन्या को 17 दिन तक हाउस अरेस्ट कर दिया। अनन्या के पास आशीष शर्मा नामक एक व्यक्ति का फोन कॉल आया, उसने कहा कि वह कस्टम अधिकारी है, एक कूरियर पकड़ा गया है, जिसमें 16 पासपोर्ट और 68 एटीएम कार्ड बरामद हुए हैं। फर्जी कस्टम अफसर ने कहा कि वह इसकी शिकायत लखनऊ पुलिस से कर सकती है। इसके बाद कॉल को एक दूसरे शख्स के पास ट्रांसफर कर दिया गया जिसने अपना परिचय लखनऊ के पुलिस अधिकारी के तौर पर दिया। अनन्या को स्काइप के जरिए वीडियो कॉल पर कनेक्ट कर लिया गया ।जो शख्स वीडियो कॉल पर था, उसने अनन्या से आधार कार्ड का नंबर पूछा और बताया कि उसके खिलाफ तो ह्यूमन ट्रैफिकिंग का केस भी दर्ज है, अरेस्ट वारंट भी निकला हुआ है और इस मामले में अनन्या को 3 करोड़ 80 लाख रुपए भी मिले हैं। उसने कॉल ट्रांसफऱ की और अनन्या से कहा कि आपकी बात CBI अफसर से कराई जा रही है। अब फर्जी CBI अफसर वीडियो कॉल पर आया। उसने कहा अगर आप गिरफ्तारी से बचना चाहती हैं, तो 3 करोड़ 80 लाख की जो पांच परसेंट रक़म बनती है, यानी तकरीबन 15 लाख रुपए आपको अपने बेल अमाउंट के तौर पर जमा करना होगा। अनन्या मंगला ने कहा कि उसके पास इतना पैसा नहीं है, तो साइबर ठग ने अनन्या  से कहा कि वह उसे डिजिटल अरेस्ट भी कर सकते हैं और तब तक वह पैसे का इंतजाम कर ले इसके बाद अनन्या मंगला को साइबर ठगों ने यह हिदायत दी कि वो अपना कॉल कभी भी डिस्कनेक्ट नहीं करेगी। वीडियो वह बंद कर सकती हैं, लेकिन ऑडियो कभी भी डिस्कनेक्ट नहीं करेगी। सायबर ठगों ने ये भी कहा कि वो इस केस की जानकारी अपने घरवालों को नहीं देंगी।

लड़की इतना डर गई कि उसने 17 दिन तक न तो कॉल डिस्कनैक्ट की, न घर वालों को कुछ बताया। इस दौरान उसने इधर उधर से जुगाड़ करके ढाई लाख रूपए भी ठगों को दे दिए। एक दिन वो बाथरूम में थी, लैपटॉप का स्पीकर खुला था। ठगों ने उसे वीडियो पर नहीं देखा तो आवाज दी। घर में नौकरानी काम कर रही थी। उसने आवाज सुनी तो घर वालों को बताया कि कोई बार बार अनन्या को बुला रहा है। ठगों ने जब ये आवाज सुनी तो तुरंत कॉल डिस्कनेक्ट कर दी और अनन्या को मैसेज भेज दिया कि उसकी जमानत हो गई है। अब वो आजाद है। साइबर फ्रॉड का एक केस नोएडा में भी सामने आया।  नोएडा में एक IT कंपनी में काम करने वाली महिला को कॉल आई कि उसके ख़िलाफ़ मुंबई में मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज है। कॉल करने वाले ने इतना बताने के बाद, लड़की को वीडियो कॉल पर कनेक्ट किया। फिर वर्दी पहनकर बैठे एक आदमी से बात कराई। क्लेम किया कि वो मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच का DCP है। बैक ग्राउंड बिल्कुल थाने वाला था। कुछ क़ैदी बैठाए गए थे, वॉकी टॉकी भी रखा हुआ था। अपने आप को DCP कहने वाले शख़्स ने उस महिला से कहा कि कुछ दिन पहले नरेश गोयल नाम के कारोबारी के यहां रेड पड़ी थी, वहां, दो करोड़ रुपए पकड़े गए और इसमें से 20 लाख का कमीशन उस महिला को भी पे किया गया है। DCP बने ठग ने कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग के ये पैसे ट्रांसफर करने के लिए महिला के बैंक एकाउंट और आधार नंबर का इस्तेमाल हुआ है। फिर कहा कि इस मामले में जमानत के तौर पर उसे 20 लाख रुपए ट्रांसफर करने होंगे। इस  महिला के पास सिर्फ़ 11 लाख रुपए थे। उससे ठगों ने कहा कि अभी वो 11 लाख ही ट्रांसफर करे, उसके बाद बाकी के पैसों का इंतजाम करे। डर के कारण महिला ने, ठगी करने वालों के खाते में ट्रांसफर कर दिए। पैसे ट्रांसफर करने के बाद भी उस महिला को दस घंटे तक ऑनलाइन रखा गया।और कहा गया कि आपका केस सेटेल हो गया है। आप डिजिटल अरेस्ट से रिहा की जाती हैं। 

ये सही है कि सरकार डिजिटल क्राइम करने वालों के खिलाफ सख्ती कर रही है। साइबर पुलिस स्टेशन खोले जा रहे हैं। इस नए तरह के क्राइम से लड़ने के लिए पुलिस को ट्रेनिंग दी जा रही है। पुलिस इस मामले में पहले के मुकाबले ज्यादा एलर्ट और इक्यूप्ड हुई है लेकिन टैक्नोलॉजी रोज रोज अपडेट हो रही है और अपराधी क्राइम के तरीके भी रोज रोज बदल रहे है। इसलिए इस तरह के अपराधों से लड़ने का एक ही तरीका है, अवैयरनैस यानि जागरूकता। एक बात अच्छे से समझ लीजिए। कोई पुलिस अफसर किसी केस के बारे में आपको फोन पर जानकारी नहीं देगा। कोई पुलिस अधिकारी वीडियो कॉल करके न वारंट की बात कहेगा, न गिरफ्तारी का डर दिखाएगा।, न दूसरे थाने में फोन ट्रांसफऱ करेगा, न वीडियो कॉल पर पूछताछ की जाएगी, न कोई पुलिस अफसर जमानत के रास्ते बताएगा। अगर कोई ऐसा कॉल आपके पास आता है तो समझ लीजिए कि आपको ठगने की कोशिश हो रही है। कॉल करने वाला खुद अपराधी है, इसलिए डरने के बजाए, उसकी बात मानने की बजाय, फोन काट दीजिए। इसकी जानकारी सबसे पहले परिवार वालों को और फिर पुलिस को दीजिए। एक और सबसे जरूरी बात, कभी किसी के डराने से डरिए मत। ब्लैकमेल होने के बजाय घरवालों को पूरी बात बताइए। क्योंकि अपराधियों की कोशिश यही होती है कि वो जिसको ठग रहे हैं, वो घरवालों से बात न करे, पुलिस के पास न चला जाए। अगर आप डरे नहीं, तो बच जाएंगे। अगर डर गए तो लुट जाएंगे, इसलिए सावधान रहिए।

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