भोपाल। मप्र में सत्ता परिवर्तन हुए करीब पांच महीने होने को आए, लेकिन कोरोना के चलते 27 सीटों पर उपचुनाव का कार्यक्रम अब तक घोषित नहीं हुआ। चुनाव 20 अक्टूबर के आगे टले तो शिवराज मंत्रिमंडल के सदस्य तुलसी सिलावट और गोविंद राजपूत को पद छोड़ना पड़ेगा। बिना विधायक के छह महीने ही मंत्रिमंडल में रहने का प्रावधान है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 23 मार्च 2020 को चौथी बार प्रदेश की कमान संभाली थी। उन्होंने 21 अप्रैल को अपनी टीम में पहले 5 मंत्रियों को शामिल किया, जिनमें विधायकी छोड़ चुके राजपूत और सिलावट भी थे। इसके बाद 2 जुलाई को मंत्रिमंडल विस्तार हुआ।

कोरोना संक्रमण बना है चुनौती

मध्यप्रदेश में दो विधायकों की असामयिक मृत्यु होने और 25 कांग्रेस विधायकों के इस्तीफों के कारण अब तक कुल 27 विधानसभा सीटें रिक्त हो चुकी हैं। कोरोना महामारी को देखते हुए उपचुनाव कराना बड़ी चुनौती है, चुनाव आयोग बिहार विधानसभा चुनाव के साथ देश भर में रिक्त हुई सभी विधानसभा की सीटों पर उपचुनाव की संभावना जता चुका है। बिहार: नवंबर अंत में चुनाव मप्र की रिक्त सीटों पर यदि बिहार के साथ उपचुनाव कराए जाते हैं तो फिर सिलावट और राजपूत को नए सिरे से सदस्यता ग्रहण करने तक पद छोड़ने की विवशता रह सकती है। बिहार में 28 नवंबर 2020 तक विधानसभा का गठन किए जाने की बाध्यता है। कुरैशी ने ली थी दोबारा शपथ प्रदेश में करीब दो दशक पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के कार्यकाल में इब्राहिम कुरैशी बिना विधायक के मंत्री रह चुके हैं। छह माह का कार्यकाल पूरा होने पर उन्हें मंत्री बनाए रखने के लिए दोबारा शपथ दिलाई गई थी।