सेहत से खिलवाड़:खाने लायक नहीं था पनीर, धनिया और मिर्च पाउडर, फिर भी सब बिक गया
- मार्च में लिए थे सैंपल, जुलाई में आई रिपोर्ट से चला पता
आयुक्त खाद्य सुरक्षा पी नरहरि ने 15 जुलाई को सभी जिला कलेक्टरों को लिखे पत्र में कहा है कि मिलावटखोरों के खिलाफ रासुका के प्रकरणोंं में फोरेंसिक और स्टेट फूड लैब की जांच में गंभीरता बरतने को कहा है। हालांकि तथ्य दूसरी ओर इशारा कर रहे हैं।
खाद्य पदार्थों में मिलावटखोरी थम नहीं रही है, लेकिन इसके खिलाफ सख्ती बरतने वाले महकमे और जिम्मेदार अफसरों की सुस्ती भी खूब है। इसके चलते लोगों की सेहत के साथ खिलवाड़ हो रहा है। 110 नमूनों की जांच रिपोर्ट इसका उदाहरण है। इनमें से दुग्ध प्रॉडक्ट के 23 सहित कुल 38 नमूनों में कुछ न कुछ गड़बड़ मिली है। पनीर, धनिया व मिर्च पावडर के तीन नमूनों की रिपोर्ट असुरक्षित निकली है। इनकी रिपोर्ट आने में इतनी देर हुई कि जो पनीर और मसाले खाने योग्य नहीं थे। उसके बाद भी दुकानदारों ने उन्हें बेच दिया। पनीर की रिपोर्ट 16 जून को, धनिया और मिर्च पाउडर की रिपोर्ट 6 जुलाई को आई।
सिस्टम की सुस्ती मिलावट खोर बेखौफ
- 1. भोपाल लैब में पिछले तीन साल के 244 नमूनों की रिपोर्ट आनी है। इनमें चालू वर्ष के 130, वर्ष 2020 के 84 और वर्ष 2019 के 30 नमूने शामिल हैं। वर्ष 2019 के कुछ नमूने लैब में खराब होने के बाद ग्वालियर से दूसरे नमूने फिर जांच के लिए भेजे जा चुके हैं पर रिपोर्ट अभी तक नहीं मिली है।
- 2. अफसरों के कोरोना ड्यूटी में व्यस्त रहने से रिपोर्ट आने के बाद भी 199 प्रकरण में आदेश लंबित है। जुर्माना होने के बाद वसूली का काम भी 50 फीसदी तक ही हो सका है। मिलावट रोकने के लिए पूरे प्रदेश में 5 अगस्त 2011 से खाद्य संरक्षा मानक अधिनियम लागू कया गया है।