MP में दम तोड़ती दवाओं का धंधा ….. जिस टीबी के इंदौर में 250 मरीज भी नहीं, उसके लिए भोपाल से भेजीं 1 लाख गोलियां, आधी दिसंबर में ही एक्सपायर हो जाएंगी
सरकारी अस्पतालों में दम तोड़ती दवाओं की खरीदी का बड़ा मामला सामने आया है। राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के तहत इंदौर को बिना किसी जरूरत और मांग के करीब 31 लाख रुपए की एक लाख गोलियां भेज दी हैं। इनकी एक्सपायरी दिसंबर और फरवरी माह में है। हद यह है कि दवाएं भेजने से पहले मेडिकल कॉलेज के अफसरों से पूछा भी गया था कि कितनी दवाएं खपा सकेंगे। जवाब ना में मिलने के बाद भी गोलियां थोप दी गईं।
सूत्रों के अनुसार, 8 नवंबर को 250 एमजी के 57 हजार 330 साइक्लोसिरिन कैप्सूल भेजे हैं, जो दिसंबर में एक्सपायर होंगे। फरवरी में एक्सपायर होने वाली 16 हजार एंटी टीबी गोलियां भेजी हैं, जिसके इंदौर में 250 मरीज भी नहीं हैं। 11 हजार इथेमबूटोल टैबलेट भी भेजी हैं। इसके पहले ऐसे ही रेमडेसिविर इंजेक्शन भी भेजे गए थे, जो अब तक स्टोर में ही पड़े हैं।
खपाने को मेडिकल कॉलेज को पकड़ा दी गोलियां
जिला क्षय कार्यालय में पहले से साइक्लोसिरिन के 12 से 15 हजार कैप्सूल का स्टॉक है। इनकार के बावजूद दवाएं भेजी गईं। एमजीएम डीन डॉ. संजय दीक्षित का कहना है कि भोपाल पत्र भेजा है कि इनकी आवश्यकता नहीं है।
कोरोना के कारण रजिस्ट्रेशन ही बंद
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की संचालक प्रियंका दास ने आयुक्त को पत्र लिखा कि कोरोना के कारण नए मरीजों का रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ। मरीज कम आ रहे हैं, इसलिए इन दवाइयों का उपयोग नॉन टीबी मरीजों के लिए कर सकते हैं।
3 साल में MDR टीबी के केस
- 2019-70
- 2020-90
- 2021-134
10 कॉलेज को 6 लाख कैप्सूल भेजे
- इंदौर- 57,330
- सागर- 50,000
- ग्वालियर- 50,000
- भोपाल- 57, 340
- जबलपुर- 55,000
- रीवा- 50,000
- दतिया- 50,000
- शहडोल- 50,000
- रतलाम- 50,000
- खंडवा- 50,000
- विदिशा- 50,000
- शिवपुरी- 50,000