चार महीने पहले तक विराट कोहली थे सबसे ताकतवर…फिर इन 4 कारणों ने बदल दी पूरी तस्वीर और छूट गई कप्तानी

विराट कोहली 2015 में टीम इंडिया के टेस्ट कप्तान नियुक्त हुए थे, जिसके बाद उन्होंने बाकी फॉर्मेट में भी कमान संभाली और अब टेस्ट में ही उन्होंने आखिरी बार टीम की कप्तानी की.

पहले टी20, फिर वनडे और अब टेस्ट…चार महीने के अंदर भारतीय क्रिकेट टीम (Indian Cricket Team) में विराट कोहली की कप्तानी (Virat Kohli Resigns From Test Captaincy) पूरी तरह से खत्म हो गई. 2015 में सबसे पहले जिस टेस्ट फॉर्मेट में कोहली टीम के कप्तान बने थे, सात साल बाद कोहली ने उसी फॉर्मेट में टीम इंडिया के कप्तान के तौर पर अपना इस्तीफा देकर कप्तानी के कार्यकाल का अंत किया. कुछ ही महीने पहले तक भारतीय क्रिकेट के सबसे ताकतवर चेहरे के तौर पर दिख रहे विराट कोहली अचानक सबसे अलग-थलग खिलाड़ी के तौर पर नजर आ रहे हैं. इसके साथ ही जाहिर तौर पर सवाल उठने लगे हैं कि जिस टेस्ट फॉर्मेट में कोहली ने टीम इंडिया को ऊंचाईयों पर पहुंचाया, उससे उन्होंने अचानक इस्तीफा क्यों दे दिया.

कोहली ने सितंबर 2021 में टी20 टीम की कप्तानी छोड़ने का फैसला किया था. तब उन्होंने कहा था कि वह टी20 विश्व कप के बाद कप्तानी छोड़ देंगे, लेकिन वनडे और टेस्ट में कप्तानी जारी रखेंगे. लेकिन दिसंबर में भारतीय क्रिेकेट कंट्रोल बोर्ड ने कोहली को वनडे की कप्तानी से हटाकर रोहित शर्मा को जिम्मेदारी दी थी. अब विराट कोहली ने टेस्ट की कप्तानी भी छोड़ दी है और इसके साथ ही उनके सफल कार्यकाल का अंत हो गया है. अगर कारणों की बात की जाए, तो कोहली के मन की बात सिर्फ वही जान सकते हैं, लेकिन बाहरी तौर पर इन चार कारणों की भी उनके फैसले में अहम भूमिका रही.

एकछत्र सत्ता खत्म

विराट कोहली ने टी20 वर्ल्ड कप के साथ ही इस फॉर्मेट में टीम की कप्तानी से इस्तीफा देने का फैसला किया था. कोहली वनडे और टेस्ट में कप्तानी जारी रखना चाहते थे, लेकिन बोर्ड ने वनडे की कप्तानी उनसे छीन ली और रोहित शर्मा को कमान सौंप दी. जाहिर तौर पर टीम में रोहित के पहले से ज्यादा बढ़ते कद और जिम्मेदारी से कोहली की लंबे समय से चली आ रही एकछत्र सत्ता बिखर गई.

बोर्ड के साथ विवाद

वनडे कप्तानी छिनने के साथ ही विराट कोहली और बीसीसीआई के बीच विवाद खुलकर सामने आ गया. बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली ने दावा किया था कि उन्होंने कोहली से टी20 कप्तानी नहीं छोड़ने को कहा था, जिसके जवाब में कोहली ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में खुलकर इसे गलत बताते हुए बोर्ड से दुश्मनी मोल ले ली थी. ऐसे में जैसा कि हमेशा से चलता आया है, मजबूत बोर्ड के सामने बड़े से बड़ा खिलाड़ी भी आखिर अकेला पड़ जाता है, वही कोहली के साथ हुआ. बोर्ड का सपोर्ट कोहली के लिए पूरी तरह खत्म हो गया.

बल्ला भी खामोश

वनडे-टी20 में आईसीसी ट्रॉफी न जीत पाने का तर्क कोहली के खिलाफ गया, तो टेस्ट में उनकी खराब फॉर्म का दबाव बढ़ने लगा था. कोहली पिछले 2 साल से किसी भी फॉर्मेट में शतक नहीं लगा सके. लेकिन टेस्ट क्रिकेट में तो स्थिति और भी ज्यादा खराब रही, जहां वह पहले की तरह गेंदबाजों पर अपना दबदबा कायम नहीं कर पा रहे थे और लगातार एक ही तरह की गलतियों से विकेट गंवा रहे थे. उस पर से साउथ अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट सीरीज में मिली अप्रत्याशित हार से कोहली के पास अपनी स्थिति मजबूत करने का मौका भी छूट गया.

कोच बदलने से बदले समीकरण

टी20 वर्ल्ड कप 2021 में टीम इंडिया की पहले राउंड में हार के साथ ही मुख्य कोच रवि शास्त्री का कार्यकाल भी खत्म हो गया. शास्त्री 2017 में टीम इंडिया के कोच बने थे और उनकी नियुक्ति में कोहली की ही अहम भूमिका थी. दोनों की जोड़ी ने कई सफलताएं हासिल की और बहुत हद तक एकतरफा राज भी टीम इंडिया पर किया. शास्त्री के जाते ही राहुल द्रविड़ नए कोच बने और ऐसे में कोहली के पास शास्त्री जैसा भरोसेमंद साथी नहीं रहा, जिससे समीकरण बदल गए और संभवतः शास्त्री जैसा सपोर्ट उनके पास नहीं रहा.

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