पदयात्रा की पॉलिटिक्स:पदयात्रा राजनीतिक सफलता का मंत्र क्यों?

चंद्रशेखर से दिग्विजय तक ने नापी हजारों किमी जमीन, अब पीके की बारी……..

चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पॉलिटिक्स में एंट्री के संकेत दिए हैं। पीके ने कहा है कि वे अगले 3-4 महीनों में 3 हजार किलोमीटर की पदयात्रा करेंगे। यात्रा की शुरुआत चंपारण से होगी। इस दौरान पीके करीब 17 हजार लोगों से बात भी करेंगे।

पॉलिटिकल एंट्री का रास्ता आखिर पदयात्रा ही क्यों? क्या ये सियासी सफलता का अचूक हथियार है? शायद हां… क्योंकि देश में पदयात्राओं का इतिहास इसी ओर इशारा कर रहा है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने 1930 में आधुनिक पदयात्रा की नींव रखी थी। नमक पर लगने वाले ब्रिटिश टैक्स के विरोध में उन्होंने 388 किमी की दांडी यात्रा की थी। पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर से लेकर कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह तक पदयात्रा कर चुके हैं।

 आइए जानते हैं कि सियासी सफलता का फॉर्मूला बन चुकी पद यात्राओं का इतिहास…

1983: चंद्रशेखर की भारत यात्रा

1983 में 4 हजार किमी लंबी पद यात्रा करने वाले चंद्रशेखर 1990 में देश के प्रधानमंत्री बने।
1983 में 4 हजार किमी लंबी पद यात्रा करने वाले चंद्रशेखर 1990 में देश के प्रधानमंत्री बने।

युवा तुर्क के तौर पर पहचाने जाने वाले पूर्व PM चंद्रशेखर ने 1983 में पदयात्रा की थी। कन्याकुमारी से दिल्ली तक की गई इस यात्रा को चंद्रशेखर ने भारत यात्रा नाम दिया था। उनकी यह भारत यात्रा 4,000 किमी से अधिक की थी। 6 जनवरी 1983 को कन्याकुमारी के विवेकानंद स्मारक से शुरु हुई यह यात्रा 25 जून 1984 को दिल्ली के राजघाट पर खत्म हुई।

चंद्रशेखर को इस यात्रा का तत्काल राजनीतिक फायदा तो नहीं मिला, लेकिन साल 1990 में वे देश के 8वें प्रधानमंत्री चुने गए। हालांकि, मार्च 1991 में बहुमत की कमी के चलते चंद्रशेखर की सरकार गिर गई और उन्होंने PM पद से इस्तीफा दे दिया।

2003: वाईएसआर ने की 1,500 किमी यात्रा, CM बने

अपनी 1,500 किमी पद यात्रा के दौरान वाईएसआर ने आंध्र के 11 जिलों का दौरा किया।
अपनी 1,500 किमी पद यात्रा के दौरान वाईएसआर ने आंध्र के 11 जिलों का दौरा किया।

9 अप्रैल 2003 को आंध्र प्रदेश के नेता वाई एस राजशेखर रेड्डी ने 2 महीने के पदयात्रा की शुरुआत की। अपनी 1,500 किमी की इस यात्रा के दौरान वाई एस आर ने 11 जिलों का दौरा किया और कई पब्लिक मीटिंग्स में हिस्सा लिया। यात्रा के दौरान वह लोगों से मिले और उनकी समस्याएं सुनीं। इस यात्रा का फायदा उन्हें 2004 के विधानसभा चुनाव में मिला। मई 2004 में उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और सितंबर 2009 तक कार्यभार संभाला। उनके बेटे जगह मोहन रेड्डी फिलहाल आंध्र प्रदेश के CM हैं।

2013: चंद्रबाबू नायडू सत्ता वापसी के लिए 1,700 किमी चले

2004 में कुर्सी गंवाने वाले चंद्रबाबू नायडू ने 2013 में पदयात्रा की और CM बने।
2004 में कुर्सी गंवाने वाले चंद्रबाबू नायडू ने 2013 में पदयात्रा की और CM बने।

वाई एस रेड्डी की पदयात्रा की वजह से चंद्रबाबू नायडू ने 2004 में CM की कुर्सी गंवाई थी। तेलुगु देशम पार्टी के नेता चंद्रबाबू ने 2013 में 1,700 किमी लंबी पदयात्रा की। नायडू ने साल 2014 में विधानसभा चुनाव लड़ा और राज्य के मुख्यमंत्री चुने गए। चंद्रबाबू ने 1989 में भी नायडू पदयात्रा की थी। 1995 में नायडू ने तेलुगु देशम पार्टी (TDP) के नेता और ससुर एनटी रामाराव को हटाकर तख्‍तापलट कर दिया और खुद मुख्यमंत्री चुने गए।

2018: दिग्विजय सिंह की नर्मदा यात्रा

2017 में दिग्विजय ने नर्मदा यात्रा की थी। मध्य प्रदेश की 110 विधानसभाओं का दौरा किया।
2017 में दिग्विजय ने नर्मदा यात्रा की थी। मध्य प्रदेश की 110 विधानसभाओं का दौरा किया।

कांग्रेस नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने सितंबर 2017 में 6 महीने की नर्मदा यात्रा की शुरुआत की। इस दौरान उन्होंने प्रदेश की 110 विधानसभा सीटों का दौरा किया और जनता से उनकी समस्याएं भी सुनीं। हालांकि, दिग्विजय ने अपनी इस यात्रा को धार्मिक यात्रा ही बताया था।

दिसंबर 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को कुल 230 विधानसभा सीटों में से 114 सीटों पर जीत मिली थी। हालांकि, दोनों ही पार्टियां बहुमत के आंकड़े 116 से दूर थीं। भाजपा को 109 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। बाद में कांग्रेस ने बसपा और सपा से गठबंधन कर सरकार बनाई थी।

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