जुमा को दहशत का दिन न बनाओ

मुस्लिम समुदाय में एक संस्कृति है कि भले आप पांच वक्त की नमाज न पढ़ें लेकिन शुक्रवार (जुमे) की नमाज अदा करके परिवार की खुशहालीकीदुआकरें।

मुस्लिम समुदाय में एक संस्कृति है कि भले आप पांच वक्त की नमाज न पढ़ें लेकिन शुक्रवार (जुमे) की नमाज अदा करके परिवार की खुशहाली की दुआ और गलतियों की क्षमा जरूर मांगे। अहा कितना प्यारा और पवित्र दिन है। ठीक वैसा ही जैसे हिंदुओं में मंगलवार और ईसाई समाज में रविवार का होता है। शुक्रवार को लेकर सभी समुदाय में सम्मान का भाव होता है। नमाजियों के लिए कई हिंदु परिवार अपना परिसर उपलब्ध कराते हैं, कई शहरों में सड़कों पर भी सौहार्दपूर्वक नमाज अदा होती है। लेकिन कुछ समय से शुक्रवार दहशत का दिन सा बनने लगा है। देश में कोई घटना होती है और डर लगा रहता है कि अब जुमा आएगा, कुछ गड़बड़ होगी। कर्ताधर्ताओं से मेरा आग्रह है कि शांतिपूर्वक विरोध प्रदर्शन,रैली का सभी को संवैधानिक अधिकार है लेकिन ईश की आराधना के नाम पर जुटे मुस्लिम समाज के लोगों को हिंसक भीड़ के रूप में प्रदर्शित न करिए। पत्थर चंद फेंकते हैं लेकिन शक हर उस नमाजी का जाता है जो उस दिन मस्जिद में खुशहाली की दुआ मांगने गया था।

अब पता चलेगा उसूल कितने मजबूत हैं

बड़े-बड़े दल दावे तो खूब करते हैं कि कर्मठ कार्यकर्ताओं को टिकट दिया जाएगा लेकिन जैसे ही अंतिम लिस्ट जारी होती है तो दावों की कलई खुल जाती है। लिस्ट में ज्यादातर वह नाम होते हैं जिनका कोई न कोई राजनीति का मठाधीश बनकर बैठा है। जल्दी ही जनप्रतिनिधि के सबसे पहले चरण यानी वार्ड पार्षद के टिकट की लिस्ट भाजपा और कांग्रेस जारी करने वाली है। यह देखना रोचक होगा कि इनमें से सही मायनों में कितने युवाओं को टिकट दिया जाता है, कितने ऐसे व्यक्तियों को टिकट दिया जाता है कि जो खुद की मेहनत के बूते टिकट लेने के सबसे मजबूत दावेदार थे न कि इसलिए कि चाचा विधायक है हमारे टाइप कुछ मामला है उनके साथ। वार्ड महिला के लिए आरक्षित हुआ तो पार्षद जी की श्रीमती जी को टिकट दे दो जैसा कुछ हुआ तो समझ लेना कि हर राजनीतिक दल का बस एक ही लक्ष्य है सीट जीतना,उसूलों का क्या है वह तो होते ही बदलने के लिए हैं।

सबका बदला लेगा रे ये तेरा…

कुछ दिन आप मस्त महाराज सा फील करो। घर पर आने वाला हर दूसरा इंसान आपसे आग्रह के भाव में बात करेगा। आपको यह अहसास कराया जाएगा कि आपके बिना तो वार्ड का पत्ता भी नहीं हिल सकता। आप भी मौका का फायदा उठाना। बहती नाली, उखड़ी सड़क,बंद स्ट्रीट लाइट पर आप डर के मारे अभी तक भले ही न बोल पाए हो लेकिन वोटिंग तक इतनी गदर पीट दो कि भड़ास निकालने का कई सालों का कोटा पूरा हो जाए। क्या है कि कोई दबंग-क्रिमनल टाइप का व्यक्ति आपका प्रतिनिधि बन गया तो फिर तो आपकी बोलती बंद वैसे भी रहेगी। इसलिए यह कालम पढ़ने के बाद लिस्ट बना लो कि किस-किस ने आपको अनसुना किया, किसने परेशान किया है। नवाजुद्दीन सिद्दकी की फिल्म गैंग आफ वासेपुर में एक डायलाग है,बाप का,भाई का,दादा का सबका बदला लेगा रे ये तेरा फैजल। बस तो आप भी फैजल बन जाओ और सबको खूब सुनाओ।

मुस्लिम देशों का दोहरा रवैया

भाजपा की प्रवक्ता नुपुर शर्मा ने ज्ञानवापी मस्जिद में शिवलिंग मिलने की खबर के दौरान एक टीवी डिबेट में मुस्लिम समुदाय के आराध्य पैगंबर मोहम्मद को लेकर एक आपत्तिजनक टिप्पणी की। निश्चित तौर से वह टिप्पणी अस्वीकार्य है। किसी भी तरफ से किसी भी प्लेटफार्म पर एक दूसरे के भगवान को लेकर सम्मान का भाव होना ही चाहिए। भाजपा ने उन्हें पद से हटाया और पुलिस ने उन पर केस भी दर्ज कर लिया लेकिन जिस ढंग से मुस्लिम देश भारत को धार्मिक स्वतंत्रता का ज्ञान देने लगे वह हास्यास्पद है। भाजपा के किसी प्रवक्ता का बयान भारत का बयान मानने की बेवकूफी यह देश कैसे कर सकते हैं। वैसे इन देशों को अपने गिरेबान में झाकना चाहिए। पाकिस्तान-बांग्लादेश में पिछले कई सालों से मंदिर तोड़े जा रहे हैं। मजाल कि किसी देश ने इन देशों को सीख दी हो।

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