भोपाल : अपराधों के खुलासे की रफ्तार न के बराबर …?

एक साल में राजधानी के थानों में सायबर से जुड़ी 263 एफआईआर अफसर रूटीन ड्यूटी में लगे रहे, इसलिए सिर्फ 7 का ही खुलासा …

राजधानी में भी दोगुनी रफ्तार से बढ़ रहे सायबर अपराधों के खुलासे की रफ्तार न के बराबर है। भोपाल सायबर क्राइम पुलिस ने बीते एक साल में 263 एफआईआर और 1560 शिकायतें जिले के थानों को भेजी हैं। इनमें अब तक महज 7 मामलों का ही पुलिस खुलासा कर पाई है।

ये सभी मामले ऐसे हैं, जिनमें एक लाख रुपए से कम की धोखाधड़ी हुई थी। थानों में दर्ज हो रहे इन सायबर अपराधों के सुपरविजन की जिम्मेदारी संबंधित डीसीपी को सौंपी गई है। अफसरों का तर्क है कि ज्यादातर मामलों में जालसाज किसी दूसरे राज्य में बैठकर वारदात करते हैं, इसलिए उन्हें पकड़ने में परेशानी आती है। बीते एक साल में भोपाल के लोगों से जालसाजों ने करीब 5.5 करोड़ ठगे हैं। भोपाल सायबर क्राइम पुलिस के पास भी 1500 शिकायतें पेंडिंग हैं।

5.5 करोड़ रुपए की भोपाल के लोगों से जालसाजों ने की ठगी
5.5 करोड़ रुपए की भोपाल के लोगों से जालसाजों ने की ठगी

सायबर फ्रॉड पर लगाम के लिए ये थी प्लानिंग

मैन पाॅवर प्लानिंग

  • सायबर इन्वेस्टिगेशन की समझ रखने वाले 10 एसआई सायबर क्राइम की टीम को दिए गए।
  • जिले के सभी थानों में ऐसे 70 एसआई पदस्थ किए, जो सायबर अपराध पर भी काम करेंगे।
  • 100 सिपाहियों की परीक्षा लेकर टॉप 15 को थानों में भेजा, जो सायबर क्राइम में मददगार होते।

कैपेसिटी बिल्डिंग

  • भोपाल सायबर क्राइम के सभी विवेचना अधिकारियों को हाईटेक लैपटॉप उपलब्ध कराए गए हैं।
  • हाई परफॉर्मेंस डेस्कटॉप यूनिट खरीदी गईं, जो जरूरी सॉफ्टवेयर्स से पूरी तरह लैस हैं।
  • इंस्पेक्टर स्तर के तीन अफसर भोपाल सायबर क्राइम टीम को मिले विभाग की ओर दिए गए हैं।

डीसीपी स्तर पर रोज नहीं हो पा रही मॉनिटरिंग

  • सायबर इन्वेस्टिगेशन के लिए थानों में भेजे गए आईटी बैकग्राउंड के एसआई इन दिनों थानों के सामान्य अपराध और कानून व्यवस्था ड्यूटी भी कर रहे हैं।
  • यहां एक लाख से कम के अपराध आते हैं, जो थाना प्रभारियों की नजर में गंभीर अपराध नहीं है, इसलिए इन पर इन्वेस्टिगेशन आगे ही नहीं बढ़ पाता है।
  • डीसीपी स्तर पर रोजाना सायबर अपराधों की मॉनिटरिंग नहीं हो पा रही है, इसलिए इन्वेस्टीगेटर्स भी इन मामलों को लेकर बेफिक्र ही रहते हैं।

खुलासे में ये अड़चनें

करीब 95 फीसदी मामलों में आरोपी दूसरे राज्यों के होते हैं

एसीपी सायबर क्राइम अक्षय चौधरी ने बताया कि 95 प्रतिशत मामलों में आरोपी दूसरे राज्यों के होते हैं। इन्हें पकड़ने के लिए किसी भी टीम को तकनीकी जांच के बाद 4-5 दिन का समय चाहिए होता है। टीम को पात्रता पब्लिक ट्रांसपोर्ट से ही जाने की होती है, इतने समय में कई बार आरोपी अपना ठिकाना तक बदल लेते हैं। ऑनलाइन खुलने वाले बैंक खातों की जानकारी जुटाना भी मुश्किल हो रहा है। सायबर फ्रॉड में ज्यादातर इन्हीं खातों का इस्तेमाल किया जा रहा है। फिजिकली खुलने वाले बैंक खातों में पहचान की संभावना ज्यादा रहती है। फिर भी टीम कोशिश करती है कि ज्यादा से ज्यादा मामलों को खुलासा हो।

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