कानपुर -कानपुर के इतिहास के सबसे बड़े अग्निकांड की 5 वजह ..!

कानपुर के इतिहास के सबसे बड़े अग्निकांड की 5 वजह …

एक-दूसरे से सटी बिल्डिंग, ज्यादा दुकान निकालने के चक्कर में सुरक्षा पर नहीं दिया ध्यान ..

………….आग के कारणों की पड़ताल की …………………..

कानपुर के इतिहास में सबसे बड़ी आग
सबसे पहले आपको बता दें कि ये अग्निकांड कानपुर के इतिहास में सबसे बड़ा है। इससे पहले वर्ष 2009 में किदवईनगर स्थित आलू मंडी में विकराल आग लगी थी। करीब 12 से 15 घंटे तक चले रेस्क्यू ऑपरेशन में आग पर काबू पाया गया था। इस हादसे में करीब 10 लोगों की मौत हो गई थी।

फायर कर्मचारी लगातार पानी की बौछार कर आग पर काबू पाने की कोशिश में लगे हुए हैं।

अब बात उन 5 बड़े कारणों की, जिससे इतनी विकराल आग लगी…

1. सेटबैक छोड़ते तो नहीं बढ़ती आग

फायर ऑफिसर अजय सिंह ने बताया कि आग बढ़ने की सबसे बड़ी वजह ये है कि सभी कॉम्प्लेक्स एक-दूसरे लगे हुए हैं। जबकि नियमों के मुताबिक अगर बिल्डिंग के चारों ओर 2 मीटर का सेटबैक छोड़ा गया होता तो आग एक टावर से दूसरे टावर तक नहीं पहुंचती। किसी भी बड़ी कॉमर्शियल बिल्डिंग में 1.60 मीटर की चौड़ी सीढ़ियां बनाई जानी चाहिए। लेकिन सभी कॉम्प्लेक्स में 1 मीटर से भी कम चौड़ी सीढ़ियां बनाई गई हैं।

फायर फाइटर्स को आग बुझाने के लिए अंदर घुसने की जगह तक नहीं मिली।
फायर फाइटर्स को आग बुझाने के लिए अंदर घुसने की जगह तक नहीं मिली।

2. फायर फाइटिंग के इंतजाम नहीं
सभी 6 कॉम्प्लेक्स में फायर फाइटिंग के एक भी इंतजाम नहीं हैं। न तो बिल्डिंग में स्मोक डिटेक्टर लगाए गए, न तो फायर स्प्रिंकलर मिले। न ही पूरी बिल्डिंग में आग से बचाव के लिए पाइप लाइन बिछाई गई। फायर ऑफिसर्स की मानें तो अगर बिल्डिंग में स्प्रिंकलर लगे होते तो बंद दुकानों में आग न फैलती। मसूद कॉम्प्लेक्स की छतें तक गिर गईं हैं। ये टावर कभी भी ढह सकता है।

मसूद कॉम्प्लेक्स के ग्राउंड फ्लोर की छत लटक गई है। कॉम्प्लेक्स कभी भी ढह सकता है

3. ज्यादा दुकान निकालने पर रहा जोर, सुरक्षा पर नहीं

फायर डिपार्टमेंट के अधिकारियों के मुताबिक, इन कॉम्प्लेक्स को बनाते हुए ज्यादा से ज्यादा दुकान निकालने पर जोर दिया गया। सुरक्षा इंतजाम पर नहीं। यहीं वजह है कि इस अग्निकांड में एआर टावर, मसूद कॉम्प्लेक्स और हमराज कॉम्प्लेक्स पूरी तरह तबाह हो चुके हैं। इसमें सबसे ज्यादा बुरे हालात मसूद कॉम्प्लेक्स के हैं। फायर ऑफिशियल्स के मुताबिक आग के चलते टावर के ग्राउंड फ्लोर और ऊपरी हिस्से की छतें ढह गई हैं। वहीं हमराज और एआर टावर की बीमों तक में दरारें पड़ गई हैं। यही बड़ा कारण है कि फायर फाइटर ऑफिशियल्स अब बिल्डिंग के अंदर नहीं जा रहे हैं।

प्रयागराज से आई हाइड्रोलिक मशीन से आग बुझाने की कोशिश की जा रही है

4. हवा के साथ बढ़ती रही आग

प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक आग लगने के बाद हवा तेजी से चल रही थी। जिस दिशा में हवा चली, आग ने उसी तरफ रुखकर अपना तांडव मचाना शुरू कर दिया। जबकि बड़े कॉम्प्लेक्स की बात करें तो एआर टावर जहां से आग फैली वो अन्य टावर्स के सबसे किनारे हैं। लेकिन आग की दिशा ने बगल में सटे मसूद कॉम्प्लेक्स, इसके बाद हमराज कॉम्प्लेक्स और इससे सटे नफीस टावर तक आग फैलती चली गई। इसके आगे 15 फीट चौड़ा गलियारा होने से आगे आग नहीं फैल सकी।

एआर टॉवर में सिर्फ बाहर से पानी डालकर आग बुझाने की कोशिशें जारी हैं।
एआर टॉवर में सिर्फ बाहर से पानी डालकर आग बुझाने की कोशिशें जारी हैं।

5. आग बुझाने में हुई देरी, अधिकारी भी नहीं भांप पाए हालात

प्रत्यक्षदर्शी रामगोपाल ने बताया कि पहले एआर बिल्डिंग के ट्रांसफॉर्मर में तेज हवा चलने की वजह से शॉर्ट सर्किट हुआ। पुलिस कर्मी मौके पर आए। उन्होंने ही फायर सर्विस को सूचना दी। एक गाड़ी मौके पर पहुंची थी, लेकिन बाहर के हिस्से में आग बुझाते रहे। जब तक आग बुझाने में वो लोग तेजी दिखाते तब तक आग ने विकराल रूप ले लिया। अधिकारी भी हालातों का भांपने में नाकाम रहे।

आग के 5 बड़े कारणों के बाद अब बात रेस्क्यू की, आखिर क्यों लगा इतना लंबा वक्त

कानपुर के इतिहास में ये पहली बड़ी आग है, जिस पर 54 घंटे बाद भी काबू नहीं पाया जा सका है। फायर सर्विस की 50 गाड़ियां आग बुझाने में जुटी हुई हैं। करीब 1 हजार से ज्यादा गाड़ियों का पानी आग बुझाने में खर्च किया जा चुका है। फायर सर्विस के सीओ दीपक शर्मा के मुताबिक आग को बुझाने में सबसे बड़ी समस्या बिल्डिंग के अंदर प्रवेश नहीं मिलने की वजह से हुआ।

एक के बाद एक दुकानों में लग रही आग

दीपक शर्मा ने बताया कि किसी भी बिल्डिंग में आग के पर्याप्त इंतजाम नहीं हैं। किसी भी बिल्डिंग में मेन एंट्रेंस के अलावा इमरजेंसी एग्जिट या दूसरा कोई और रास्ता नहीं है। सिर्फ सामने की तरफ से ही आग बुझाने का मौका हमारे पास है। सभी दुकानों के अंदर शटर बंद हैं और दुकानें कपड़ों से भरी हुई हैं। दुकानें अंदर ही अंदर ही जल रही हैं। लगातार पानी का छिड़काव किया जा रहा है, लेकिन आग पर काबू नहीं हो पा रहा है।

हमराज कॉम्प्लेक्स रह-रहकर आग बढ़ती जा रही है।
हमराज कॉम्प्लेक्स रह-रहकर आग बढ़ती जा रही है।

दीवारें तक गर्म हो गईं

सभी कॉम्प्लेक्स एक-दूसरे से सटे हुए हैं। मसूद कॉम्प्लेक्स के पीछे बने सुपर हमराज कॉम्प्लेक्स में देर शाम आग भड़की। यहां आग लगने का बड़ा कारण बताया जा रहा है कि आग से दीवारें धधक रहीं हैं। मसूद कॉम्प्लेक्स में आग के बाद यहां अंदर ही अंदर दुकानें जल उठी हैं। बिल्डिंग में करीब 100 मीटर तक गहराई में दुकानें हैं, जहां तक फायर सर्विस द्वारा छोड़ा जा रहा पानी भी नहीं पहुंच पाया है।

अब आपको इस कपड़ा बाजार के इतिहास के बारे में भी बता देते हैं…

कानपुर का कोपरगंज बेहद घना इलाका है। ये पूरा क्षेत्र कपड़ा बाजार का हब है। जो कॉम्प्लेक्स आज आग की जद में हैं। वहां सबसे पहले टिंबर मार्केट हुआ करता था। आज भी इस इलाके को बांस मंडी के नाम से जाना जाता है। कपड़ा व्यापारी रविशंकर दुबे ने बताया कि जहां हमराज कॉम्प्लेक्स बना है, वहां सबसे पहले रस्तोगी, रुही गारमेंट, न्यू राजू गारमेंट्स के नाम दुकान खुली थीं।

जब कपड़ा व्यापार बढ़ने लगा तो, यहां 1989 में कॉम्प्लेक्स का निर्माण कराया गया। यहां के हर एक कॉम्प्लेक्स में एक-एक दुकान की कीमत एक-एक करोड़ रुपए तक है। हर मार्केट की अपनी एक एसोसिएशन है। हमराज कॉम्प्लेक्स में 240, एआर कॉम्प्लेक्स में 160, मसूद कॉम्प्लेक्स में 140, नफीस टॉवर में 200, सुपर हमराज कॉम्प्लेक्स में 200 और अर्जन कॉम्प्लेक्स में 140 दुकानें बनी हैं।

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