नेता प्रतिपक्ष बने डॉ. गोविंद सिंह का पॉलिटिकल कॅरियर …
क्लिनिक के साथ पब्लिक के बीच में आए, चुनाव लड़ा और 7 बार विधायक बने…..
भिंड जिले की लहार विधानसभा क्षेत्र से सात बार विधायक रहे डॉ. गोविंद सिंह को कांग्रेस ने नेता प्रतिपक्ष बनाया है। छात्र जीवन में डाॅ. राममोहर लोहिया की विचारधारा से प्रभावित होकर वे जाॅर्ज फर्नाडीज, शरद यादव, मुलायम सिंह यादव, देवीलाल चौधरी जैसे नेताओं के संपर्क में आए। इससे पहले वे जबलपुर से BAMS की डिग्री करके लहार में क्लिनिक शुरू किया। लहार के सरकारी अस्पताल के सामने डॉक्टर गोविंद सिंह की क्लिनिक थी। सन् 1980 की बात है। कुछ प्रशासनिक अफसरों की टीम सड़क किनारे जीवनयापन करने वाले फुटपाथी दुकानों को हटाने पहुंची। प्रशासन की अतिक्रमण विरोधी मुहिम को लोहियावादी विचारधारा के डॉ. गोविंद सिंह सहन नहीं कर सके। वे विरोध में उतरे। उन दिनों पुलिस की लाठियां सहन की और जनता की आवाज बुलंद की। यह पहला मौका था, जब डॉ. गोविंद सिंह के विरोध और साहस की क्षेत्र में प्रशंसा हुई थी।
मार्केटिंग सोसायटी के अध्यक्ष बनने से शुरू हुआ राजनीतिक सफर
![अर्जुन सिंह के साथ डॉ. गोविंद सिंह।](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2022/04/28/bhind2_1651156818.jpeg)
सन् 1983 की बात है। डॉ. गोविंद सिंह मार्केटिंग सोसायटी के अध्यक्ष पद के लिए पहली बार चुनाव मैदान में उतरे। पहली बार में लोकतंत्र की परीक्षा में पास की और अध्यक्ष बने। मार्केटिंग सोसाइटी अध्यक्ष बनने के बाद किसानों की समस्या सुनना और उनका समाधान कराने लगे। किसानों के घर-घर पहुंचकर उन्हें खाद बीज, शक्कर जैसी जरूरत का सामान उपलब्ध कराते। इसके बाद उन्होंने लहार नगर पालिका अध्यक्ष का चुनाव लड़ा और जीते।
विधायकी का पहला चुनाव हारे, फिर सात बार जीते
डॉ. गोविंद सिंह लहार नगर पालिका अध्यक्ष के रहते हुए जनता दल से पहला चुनाव सन् 1985 में लड़े। इस चुनाव में डाॅ. गोविंद सिंह को हार मिली। मथुरा प्रसाद महंत विधायक बने। गोविंद सिंह तीसरे नंबर पर रहे थे। चुनाव में मिली हार से सबक लेकर डॉ. गोविंद सिंह ने पांच साल तैयारी की। लोगों के सुख-दुख में शामिल होते रहे। इसके बाद 1990 में फिर जनता दल के टिकट पर मैदान में उतरे। इस बार जीत मिली। इसके बाद डॉक्टर गोविंद सिंह की जीत का सफर अब तक जारी है।
![जनता दल के टिकट पर चुनाव प्रचार के दौरान डॉ.गोविंद सिंह।](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2022/04/28/bhind3_1651156534.jpg)
दिग्विजय सिंह के साथ कांग्रेस में हुए शामिल
जनता दल के टिकट पर पहला चुनाव जीतने के बाद डाॅ. गोविंद सिंह विधानसभा पहुंचे। उस समय मात्र ढाई साल विधायक रहे और विधानसभा भंग हो गई। इसके बाद 1993 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर मैदान में उतरे और दूसरी बार विधायक बने। इस चुनाव के बाद कांग्रेस की सरकार बनी और मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह बने। डॉ. गोविंद गृहमंत्री, सहकारिता मंत्री, संसदीय कार्य जैसे मंत्रालयों का दायित्व संभाल चुके हैं।
![दिग्विजय सिंह के साथ डॉ.गोविंद सिंह।](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2022/04/28/bhind1_1651156677.jpeg)
जानिए डॉ. गोविंद सिंह को
- डॉ. गोविंद सिंह का जन्म एक जुलाई 1951 में भिंड के ग्राम वैशपुरा में एक कृषक परिवार में हुआ।
- वे 2018 में 7वीं बार लहार विधानसभा क्षेत्र से विधानसभा सदस्य के रूप में निर्वाचित हुए
- डॉ. सिंह छात्र जीवन से ही सामाजिक और राजनैतिक गतिविधियों में सक्रिय रहे हैं। उन्होंने BA और शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालय जबलपुर से BAMS की डिग्री ली।
- साल 1971-72 में पत्रिका सचिव व वर्ष 1974-75 में शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालय जबलपुर छात्रसंघ अध्यक्ष और जबलपुर विश्वविद्यालय छात्र संघ कार्यकारिणी के सदस्य निर्वाचित हुए।
- 1979 से 1982 और वर्ष 1984-85 में सहकारी विपणन संस्था मर्यादित, लहार के अध्यक्ष निर्वाचित हुए।
- 1984 से 1986 तक जिला सहकारी भूमि विकास बैंक भिण्ड के संचालक, 1985 से 1987 तक नगर पालिका परिषद लहार के अध्यक्ष पद पर रहे।
- वे 1990 में पहली बार 9वीं विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए।
- 1998 में राज्य मंत्री गृह, 26 अप्रैल 2000 से राज्य मंत्री सहकारिता (स्वतंत्र प्रभार) और 12 अगस्त 2002 से मंत्री सहकारिता विभाग रहे।