अंचल का सबसे बड़ा जयारोग्य अस्पताल,जहां पर प्राकृतिक रूप से तैयार होने वाली आक्सीजन में कमी आती जा रही है। उसका कारण यह है कि अस्पताल में वर्षों पुराने पेड़ों को विकास में नाम पर काटा जा रहा है। पिछले पांच साल में दो सैंकड़ा से अधिक पेड़ काट दिए गए, लेकिन इन पांच साल में पेड़ पौधे लगाने की दिशा में ठोस कदम नहीं उठाया गया। हरियाली के नाम पर कागजों में खानापूर्ति की जा रही है, जबकि शासन द्वारा भवन निर्माण के लिए काटे गए पेड़ों के एवज में नए पेड़ लगाने के लिए अलग से बजट भी निर्धारित किया है। जो पेड़ पौधे लगाए जाने हैं उनमें खाद व रखरखाव के लिए भी बजट अलग से दिया गया है। पर अस्पताल व कालेज प्रबंधन की अनदेखी के चलते साइट डेवलपमेंट का काम नहीं हो सका। हालात यह है कि अस्पताल में प्राकृतिक आक्सीजन की कमी होती जा रही है और आर्टिफिशियल आक्सीजन पर निर्भरता बढ़ती जा रही है।

आधा सैकड़ा पेड़ों को साफ कर बना सुपर स्पेशियलिटी हास्पिटलः जिस स्थान पर सुपर स्पेशियलिटी हास्पिटल बनकर खड़ा है। उसके बगल से टीबी अस्पताल बना हुआ है। टीबी अस्पताल के पीछे घना जंगल हुआ करता था। इस स्थान पर लगे आधा सैकड़ा पेड़ों को हटाकर पूरे मैदान को सुपर स्पेशियलिटी हास्पिटल के लिए चिन्हित किया गया। वर्ष 2017 से 165 करोड़ के सुपर स्पेशियलिटी हास्पिटल का निर्माण कार्य शुरू किया गया, जो वर्ष 2019 में बनकर तैयार हो गया। पूरे मैदान का कंक्रीट से पक्का कर दिया गया

पेड़ों की कमी होने से प्रदूषण बढ़ता जा रहाः वाहनों से निकलते धुएं में कार्बनडाई आक्सीजन का पेड़, पौधे अवशोषण कर लेते हैं। उसके एवज में वह आक्सीजन छोड़ते हैं। इसके अलावा अन्य हानिकारक गैसों को भी नष्ट करते हैं। पर पेड़ों की कमी और अस्पताल व उसके आसपास वाहनों से निकलता धुआं व ध्वनि प्रदूषण मरीजों के लिए परेशानी बनता जा रहा है, क्योंकि लगातार घट रहे पेड़ों की वजह से प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है।

बंगले व पेड़ों को हटाकर नया छात्रावास बनायाः जयारोग्य अस्पताल परिसर में पीजी छात्रों के रहने के लिए छात्रावास बनाया गया। इस स्थान पर बने बंगले व पेड़ों को हटाया गया। जहां पर छात्रावास बनकर तैयार हो चुका है, पर साइट डेवपलपमेंट के नाम पर यहां पर कुछ पौधे तो लगाए गए पर उनका रखरखाव न के बराबर हो रहा है जिसके कारण पौधे शायद ही पेड़ बन सकें। इसके अलावा खुली जगह पर घास लगानी थी, जो नहीं लगाई गई।

हजार बिस्तर अस्पताल बनने के बाद हरियाली नष्ट हो गईः हजार बिस्तर अस्पताल करीब 21 एकड़ में बनकर तैयार हो रहा है। अस्पताल निर्माण से पहले यहां पर लगे वर्षों पुराने पेड़ों को काटा गया। करीब एक सैंकड़ा से अधिक पेड़ पौधे काटे गए या फिर उन्हें अन्यंत्र शिफ्ट किया गया। जिसके कारण यहां की हरियाली नष्ट हो गई।अस्पताल में निर्माण कार्य तो जोर शोर से किया गया और चल रहा है, पर साइट डेवलपमेंट का काम ठप पड़ा हुआ है।

बर्न यूनिट: बर्न यूनिट बनाने के लिए भी यहां पेड़ों की आहुति दी गई। बर्न यूनिट बनकर तैयार हो चुकी है, पर इस स्थान पर जितने पेड़ काटे गए उसके एवज में पौधा रोपण नहीं किया गया।

वर्जन-

निर्माण कार्य के नाम पर जो पेड़ पौधे नष्ट हुए है। उनके एवज में पेड़ पौधे लगाने और हरियाली तैयार करनी है। जिसके लिए शासन से बजट भी स्वीकृत हुआ है, पर निर्माण एजेंसी द्वारा साइट डेवलपमेंट का काम नहीं किया जा रहा है, जबकि उन्हें समय रहते करना है।

डा.समीर गुप्ता, डीन,जीआर मेडिकल कालेज