जनता से toll collection में नहीं होती कोई कोताही

ठेकेदारों से सड़कों की नियमित मरम्मत कराने में नजरअंदाज करते है इंजीनियर

– सड़कों में प्रति वर्ष डामरीकरण के बजाय पैंचवर्क कर काम चलाते रहते हैं ठेकेदार

भोपाल। Madhya Pradesh Road Development Corporation (एमपीआरडीसी) के जरिए संचालित स्टेट हाइवे और नेशनल हाइवे में जिस अनुपात से टोल वसूली होती है, उस अनुसार सड़कें चकाचक नहीं कराई जाती हैं। इन सड़कों पर आम जनता से पूरा toll collection जाता है, लेकिन सड़कों की मरम्मत काम चलाऊ की जाती है। सड़कों में प्रति वर्ष डामरीकरण कराने के बदले सिर्फ पैंचवर्क किया जाता है। इससे सड़कों के बीच-बीच में गड्ढे और उखड़ी सड़कें होने से धूल के गुब्बारे उड़ते हैं। सड़कों की मरम्मत कराने के जिम्मेदार इंजीनियर, ठेकेदारों से इसे दुरूस्त कराने के बजाय नजर अंदाज करते हैं। टोल में वाहन चालकों के जेब से पैसा तो जाता ही जाता है, साथ ही खराब सड़क होने से गाडिय़ां भी खराब होती हैं।

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ऐसे क्यों नहीं करते हमारे मंत्री और अफसर दावे
मप्र में सितम्बर 2021 में Union Surface Transport Minister Nitin Gadkari ने दिल्ली-मुम्बई एक्सप्रेस-वे में कार पर बैठकर सफर किया। सफर करते-करते उन्होंने थर्मस से चाय निकालकर चाय पी और इस दौरान उन्होंने अफसरों से कहा कि अगर एक बूंद भी चाय गिरी तो आप लोगों की खैर नहीं। जबकि उनकी गाड़ी 170 के स्पीड में थी। हम यह बात इस लिए कर रहे हैं कि दिल्ली- मुम्बई एक्सप्रेस-वे भी टोल की सड़क है और स्टेट हाइवे की करीब पांच हजार किमी सड़कों से भी टोल वसूला जाता है, जिनमें जगह-जगह गड्ढे और ऊबड़-खाबड़ हैं। हमारे नेता और अफसर कभी भी इन सड़कों के बारे में इस तरह के दावे नहीं करते है, क्योंकि यहां की सड़कों में 40 से ऊपर स्पीड बढ़ाने पर गाड़ी उचकने लगती है। बीच-बीच में ऊबड़-खाबड़ सड़कें गड्डे होने के कारण दुर्घाटनाएं होने की आशंका बनी रहती है।
कई सड़कों की स्थिति रखाब …. 
सड़क नम्बर एक- टोल पर चल रही कई सड़कों की स्थिति खराब है। भोपाल वाईपास में टोल वसूला जाता है, इससे होकर कई बार अफसर, मंत्री और नेता भी गुजरते हैं, लेकिन इस सड़क में बीच-बीच में कई गड्ढ़े हैं।
सड़क नम्बर- दो, मप्र में सबसे ज्यादा ट्राफिक के दवाब वाली सड़क भोपाल-देवास की स्थति भी उतनी बेहतर नहीं है, जिसके अनुसार उस सड़क पर टोल वसूला जाता है। भोपाल टोल के बाद आष्टा तक इस सड़क में कई जगह सड़क उखड़ी है और सड़क के बीच-बीच में गड्ढे हैं। इस सड़क से नौकरशाहों के अलावा, मंत्री और उद्योगपति भी गुजरते हैं। वैसे देखा जाए तो यह सड़क प्रदेश के मुखौटे की तरह है।
सड़क नम्बर तीन, एमपीआरडीसी द्वारा संचालित नेशनल हाइवे नम्बर-7 को देखे तो उसकी स्थिति और ज्यादा खराब है। यह सड़क खराब होने के साथ साथ नीचे धसती जा रही है। इसमें रीवा शहर के बाद देवतालाब विधानसभा तक सड़क बीच-बीच में उखड़ी हुई है। जबकि इस सड़क में नेशनल हाइवे के मानदंड से टोल वसूला जाता है। एक कार से 50 रुपए टोल लिया जाता है।
सड़क नम्बर चार- ग्वालियर एमपीआरडीसी की सिरोल क्षेत्र में करीब 40 किमी में से 4 किमी की सड़क खराब पड़ी हुई है और 36 किमी की सड़के अच्छी हंै। अभी हाल में अडूपुरा तिराहे से मोहनपुर की एक तरफ की लेन को ठीक किया गया है।
टोल पर वाहन चालकों से अभद्रता भी
टोल पर वाहन चालकों से अभद्रता भी की जाती है। इस अभद्रता के शिकार पूर्व भाजपा मंत्री रुस्तम सिंह, कांग्रेस विधायक रविद्र सिंह भिडोसा, लेबड़-मानपुर टोल नाके पर टोल देने की बात पर कर्मचारियों व कुक्षी से कांग्रेस विधायक सुरेंद्रसिंह बघेल (हनी) के बीच विवाद हो गया। टोल कर्मचारियों ने विधायक बघेल पर लाठी-डंडों से हमला कर दिया। टोल पर इस तरह का व्यवहार विधायकों के साथ किया जाता है तो आम जनता से यहां किस तरह की बातचीत की जाती होगी इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।
टोल पर वाहन चालकों से अभद्रता भी
टोल पर वाहन चालकों से अभद्रता भी की जाती है। इस अभद्रता के शिकार पूर्व भाजपा मंत्री रुस्तम सिंह, कांग्रेस विधायक रविद्र सिंह भिडोसा, लेबड़-मानपुर टोल नाके पर टोल देने की बात पर कर्मचारियों व कुक्षी से कांग्रेस विधायक सुरेंद्रसिंह बघेल (हनी) के बीच विवाद हो गया। टोल कर्मचारियों ने विधायक बघेल पर लाठी-डंडों से हमला कर दिया। टोल पर इस तरह का व्यवहार विधायकों के साथ किया जाता है तो आम जनता से यहां किस तरह की बात चीत की जाती होगी इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।्र्र्र

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